रांची. झारखंड की राजनीति में ये वक्त रंगों के घालमेल का है. जो कल तक भगवा थे वह अब हरे हो रहे हैं और जो कभी हरे थे वह अब भगवा हो गए हैं. इसी तरह जो कभी तीन रंग में थे वह अब एक रंगा हो गए और जो एक रंगा थे वह अब तीन रंगा हो गए. हरा यानी जेएमम और भगवा यानी बीजेपी के बीच धरती पर जोरदार टक्कर होने वाला है. झारखंड में कल तक जो भगवापट्टा बांध कर हिंदुत्व की विचारधारा को दहाड़ रहे थे, वह आज झारखंड मुक्ति मोर्चा के हरियाली में सेकुलर हो गए हैं. लोकतंत्र बचाने की बात कर कुछ दिन तक हेमंत सोरेन को कोसने वाले नेताओं के लिए हेमंत सोरेन अब हेमंत भैया हो गए. झारखंड की राजनीति में जो रंगों का खेल चल रहा है क्या उसमें चंपई रंग सबसे गहरा रंग नजर आ रहा है?
भाजपा के इतिहास में पहली बार किसी पिता-पुत्र को एक साथ और वह भी एक चुनाव में टिकट मिला है. वहीं, दशकों तक संघ का झंडा उठाने वालों ने अब ‘डंडा’ उठा लिया है. ऐसे में संघ और बीजेपी का झंडा बुलंद करने वाले बाबू भाई यानी बाबू लाल मरांडी को एक बार फिर से सीएम पद के लिए कड़ी परीक्षा से गुजरना पड़ेगा. क्योंकि, बीजेपी ने जेएमएम से आए चंपई सोरेन का कद अचानक बढ़ गया है. अगर चंपई सोरेन बीजेपी की अपेक्षाओं पर खड़े उतरते हैं तो झारखंड की राजनीति में चुनाव परिणाम आने के बाद एक नए दौड़ की शुरुआत होगी.
भगवा के रंग में रंगा चंपई
बता दें कि बीजेपी या बीजेपी से जुड़े पांच-पांच मुख्यमंत्रियों की किस्मत इस बार दांव पर लगी है. इनमें से तीन मुख्यमंत्रियों का तो राज्य की सक्रिय राजनीति में तुरंत लौटना फिलहाल मुश्किल लग रहा है. लेकिन, बीजेपी में मौजूद दो पूर्व मुख्यमंत्रियों में से एक को सत्ता की चाबी का बागडोर मिल सकता है. ऐसे में सवाल उठता है कि वे दो पूर्व मुख्यमंत्री कौन हैं, जो इस बार सीएम की रेस में आगे हैं?
कोल्हान में नई राजनीति की होगी शुरुआत
कोल्हान में टायगर के नाम से मशहूर पूर्व मुख्यमंत्री और हाल ही में बीजेपी में शामिल चंपई सोरेन और बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष और राज्य के पहले मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी दो ऐसे नाम हैं, जो सीएम की रेस में हैं. अगर इन दोनों में से किसी एक की हार होती है या फिर एक का प्रदर्शन बीजेपी आलाकमान के उम्मीदों पर खड़ा नहीं उतरता है तो फिर तो मामला फंस जाएगा. अगर दोनों का प्रदर्शन अच्छा रहता है तो ये देखा जाएगा कि किसका योगदान सबसे ज्यादा है. इसी के हिसाब से ताजपोशी की जाएगी.
बीजेपी से जुड़े पांच सीएम की प्रतिष्ठा दांव पर
बीजेपी के दो पूर्व सीएम रघुवर दास और अर्जुन मुंडा इसलिए सीएम की रेस में फिलहाल नहीं हैं क्योंकि एक ओडिशा के राज्यपाल हैं और दूसरा लोकसभा का चुनाव हार चुके हैं. वहीं, बीजेपी से अप्रत्यक्ष तौर पर जुड़े मधु कोड़ा की पत्नी जगन्नाथपुर सीट से बीजेपी की टिकट पर चुनाव लड़ रही हैं. दूसरी तरफ कोड़ा का पिछला रिकॉर्ड भी बीजेपी के लिए फिट नहीं बैठता है. ऐसे में बीजेपी की जीत के बाद चंपई सोरेन और बाबूलाल मरांडी में से ही कोई एक का सीएम बनने का चांस ज्यादा नजर आ रहा है.
पार्टियों में गुटबाजी शुरू
झारखंड की राजनीति में पाला बदलने का दौर भी शुरू हो चुका है. बीजेपी उपाध्यक्ष और 24 साल से पार्टी का झंडा बुलंद करने वाली लुईस मरांडी भी पार्टी को बाय-बाय बोल दिया है. पार्टी छोड़ने से पहले लुईस ने आरोप लगाया कि पार्टी के निष्ठावान और समर्पित कार्यकर्ता को दरकिनार करने की साजिश तेज हो गई है. दूसरे दल से आए लोग हावी हो रहे हैं. पार्टी के अंदर गुटबाजी चरम पर पहुंच गई है. पार्टी के समर्पित कार्यकर्ताओं की निष्ठा पर शक किया जा रहा है.’
वहीं, जेएमएम प्रवक्ता सुप्प्रीयो भट्टाचार्या ने दावा किया है कि भाजपा के 66 में 35 से अधिक प्रत्याशी दूसरे दल से आए हैं. जेएमएम ने एक्स पर किए पोस्ट में लिखा है कि भाजपा के कार्यकर्ता आजीवन झोला और झंडा ढ़ोते रहें और दल-बदलकर आने वालों को पार्टी टिकट दे दिया. खास बात यह कि इस लिस्ट में बाबूलाल मरांडी, लोबिन हेंब्रम, परितोष सोरेन, माधव महतो, सीता सोरेन, देवेंद्र कुंवर, गंगा नारायण, रंधीर सिंह और अमित यादव जैसे कई नाम हैं.
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FIRST PUBLISHED :
October 22, 2024, 18:19 IST