Trump & Modi Meeting: अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन ने कहा था, एक दुश्मन को नष्ट करने का सबसे अच्छा तरीका है उसे अपना दोस्त बना लेना. तो क्या अमेरिका के मौजूदा राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप अमेरिका के 16वें राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन की दिखाई राह पर चल रहे हैं. क्योंकि कुछ दिनों पहले तक युद्ध नहीं बंद करने पर रूस को गंभीर परिणाम भुगतने की धमकी दे रहे डॉनल्ड ट्रंप ने यू टर्न ले लिया है. अलास्का में ट्रंप ने पुतिन के साथ ऐसी केमिस्ट्री दिखाई जैसे बिछड़े हुए दो बहुत पक्के दोस्तों की मुलाकात हो रही हो. ट्रंप ने पुतिन का ऐसा शानदार स्वागत किया जैसा आजतक किसी दूसरे राष्ट्रअध्यक्ष का नहीं किया था.
पहली बार किसी नेता को एयरपोर्ट पर किया रिसीव
ये पहली बार था जब ट्रंप किसी देश के नेता को रिसीव करने के लिए एयरपोर्ट पर मौजूद थे. पुतिन के लिए अलास्का में रेड कारपेट बिछाई गई थी और डॉनल्ड ट्रंप खुद उनकी अगवानी के लिए खड़े होकर इंतजार करते दिखाई दिए. अमेरिका समेत पूरी दुनिया तस्वीरें देखकर ही समझ गई थी कि अलास्का से पुतिन कुछ बड़ा फायदा लेकर जाएंगे.
पुतिन रेड कारपेट पर तेज कदमों से आगे बढ़ रहे थे और ट्रंप इत्मिनान से उनका इंतजार कर रहे थे. पुतिन करीब आए तो ट्रंप ने तालियां बजानी शुरू कर दीं. तालियां तभी बजाई जाती हैं जब व्यक्ति बहुत उत्साहित होता है.
पुतिन मुस्कुराते हुए ट्रंप के करीब पहुंचे दोनों नेताओं ने गर्मजोशी से हाथ मिलाया और मुस्कुराकर एक दूसरे का अभिवादन किया. ट्रंप और पुतिन ने एक दूसरे का हाथ 11 सेकंड तक पकड़ कर रखा.
आसमान से बॉम्बर्स ने दी पुतिन को सलामी
इसके बाद पुतिन और ट्रंप फोटो के लिए आगे बढ़े और ठीक इसी वक्त आसमान में तेज़ आवाज़ सुनाई पड़ी. पुतिन की नजरें आसमान की तरफ गईं. अमेरिका के सबसे आधुनिक और विनाशक विमान B-2 बॉम्बर और चार F-22 रैप्टर आसमान से पुतिन को सलामी देते हुए गुजरे. एक बार फिर से पुतिन के चेहरे पर मुस्कुराहट आ गई.
आगे बढ़ते हुए दोनों नेता फोटो के लिए एक प्लेटफॉर्म पर खड़े हुए, जिस पर अलास्का 2025 लिखा हुआ था. यानि ट्रंप जानते थे ये दिन ये साल ये मुलाकात हमेशा के लिए इतिहास में दर्ज होने वाली है.
इस फोटो के बाद एक और सरप्राइज दुनिया का इंतजार कर रहा था. पुतिन की कार भी एयरपोर्ट पर मौजूद थी. लेकिन अमेरिकी राष्ट्रपति रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन को अपनी कार बीस्ट में लेकर वार्ता के लिए निकले. इस तरह अमेरिकी राष्ट्रपति की कार में दूसरे देश के राष्ट्रअध्यक्ष के बैठने की तस्वीरें अक्सर नहीं देखी जातीं. इस तस्वीर में कार के अंदर बैठे पुतिन और ट्रंप दोनों की मुस्कुराते हुए हाथ उठाकर अभिवादन करते दिखाई दिए.
#DNAWithRahulSinha | ट्रंप-पुतिन की मुलाकात में भारत के लिए क्या? ट्रंप की 'तेल वाली शर्त' में क्या-क्या बदला ?#DNA #DonaldTrump #Putin #Alaska #AlaskaSummit #India #USTarrif@RahulSinhaTV pic.twitter.com/6nrgzha0yr
— Zee News (@ZeeNews) August 16, 2025
ट्रंप से ज्यादा बोले पुतिन
वार्तास्थल पर भी पुतिन-ट्रंप के बीच दोस्ताना अंदाज में बातचीत हुई. वार्ता स्थल पर pursuing peace का संदेश लिखा हुआ था यानि दोनों नेता शांति के लिए खुले मन से बातचीत करने पहुंचे थे.
3 घंटे की वार्ता के बाद ट्रंप ने ब्रीफिंग के दौरान पुतिन को पहले और ज्यादा वक्त तक बोलने का मौका दिया. पुतिन ने 8 मिनट और ट्रंप ने सिर्फ 4 मिनट बात की. पुतिन जब अलास्का से रवाना हुए तो भी अमेरिका के सबसे आधुनिक एफ-22 रैप्टर विमानों ने उनके प्लेन को गार्ड किया. उन्हें सीमा तक छोड़ने के लिए गए यानि मीटिंग खत्म होने के बाद जब पुतिन रवाना हुए तो भी ट्रंप ने उनको सम्मान दिया.
आप भी सोच रहे होंगे आखिरकार ट्रंप की पुतिन से इस दोस्ती की वजह क्या है. आखिरकार पुतिन से ट्रंप को ऐसा क्या मिल जाएगा कि ट्रंप ने पुतिन के स्वागत में पलक पांवड़े बिछा दिए. आज आपको इसकी संभावित वजहों के बारे में भी जानना चाहिए.
ट्रंप को क्या फायदा होगा?
यूक्रेन वॉर खत्म होने पर ट्रंप की Peace Deal Maker यानि शांति दूत वाली छवि मजबूत होगी. अमेरिकी जनता युद्ध से थकी हुई है. अगर ट्रंप शांति लाने वाले नेता के रूप में उभरे तो उनका समर्थन बढ़ेगा.
रूस दुनिया का प्रमुख तेल और गैस उत्पादक देश है. अगर पुतिन अमेरिका में सस्ती दरों पर तेल और गैस की आपूर्ति करते हैं तो अमेरिका में गैसोलीन की कीमतें कम हो जाएंगी. इससे अमेरिका में महंगाई भी कम हो जाएगी.
अमेरिकी कंपनियां जैसे शेल, कटरपिलर और बोइंग फिर से रूस में व्यापार कर सकती हैं. इससे अमेरिका को लगभग 6 से 10 अरब डॉलर का प्रत्यक्ष लाभ हो सकता है.
अगर ट्रंप यूक्रेन और NATO से रूस का समझौता करवा देंगे तो इसके बदले रूस को चीन की मदद करने से रोकने की डील कर सकते हैं. अमेरिकी थिंक टैंक भी मान रहे हैं कि अमेरिका के लिए असली खतरा अब रूस नहीं चीन है.
अमेरिका और रूस के बीच हथियारों की New START Treaty 2026 में समाप्त हो रही है. अगर ये डील फिर से हो जाएगी तो ट्रंप की वैश्विक स्तर पर जिम्मेदार और मजबूत नेता की छवि मजबूत होगी, जिससे उनका शांति के नोबल का सपना भी पूरा हो सकता है.
इन दोनों नेताओं की केमिस्ट्री बता रही है. ट्रंप और पुतिन के बीच डील तय हो चुकी है. अगर ट्रंप जेलेंस्की और यूरोप को भी इसके लिए तैयार कर लेते हैं तो उनको इसका फायदा ही फायदा मिलेगा.
क्या टैरिफ में होगा बदलाव?
डॉनल्ड ट्रंप और पुतिन की मीटिंग के बाद सबकी जुबान पर एक ही सवाल था. रूस से तेल लेने वाले देशों पर ट्रंप के टैरिफ में क्या बदलाव होगा. इस सवाल से जुड़ा एक संकेत खुद ट्रंप की जुबान से निकला. एक टीवी इंटरव्यू में ट्रंप ने टैरिफ को लेकर क्या कहा है, चलिए वो आपको बताते हैं.
भारत का हो सकता है फायदा!
ट्रंप ने कहा है कि रूस से तेल खरीदने वाले देशों पर लगे टैरिफ को लेकर वो 2 से 3 हफ्तों में फैसला ले सकते हैं. भारत भी रूस से तेल खरीदता है. अगर भारत के लिहाज से देखें तो फिलहाल ट्रंप के इस बयान से तीन हालात बनते नजर आते हैं.
पहली सूरत ये है कि ट्रंप भारत पर लगाए गए अतिरिक्त 25 प्रतिशत के टैरिफ को हटा सकते हैं. हम आपको बता दें कि ये अतिरिक्त टैरिफ 27 अगस्त से लागू होना था. दूसरी सूरत ये है कि ट्रंप पहले लगाए गए 25 प्रतिशत टैरिफ को कम कर सकते हैं और तीसरी सूरत ये बन सकती है कि अमेरिका रूस के तेल से प्रतिबंध हटा दे तो टैरिफ की जरूरत नहीं रहेगी. और भारत के साथ अमेरिका ऐसी ट्रेड डील कर सकता है जिसमें दोनों देशों का हित हो.
अगर ट्रंप ने तीसरे विकल्प यानी टैरिफ रद्द करके द्विपक्षीय व्यापार समझौते को अपनाया तो इससे अमेरिकी और भारतीय निर्यात दोनों को राहत मिलेगी. खासकर भारत से अमेरिका जाने वाले कपड़े, चमड़ों के उत्पाद और ज्वैलरी जैसे क्षेत्रों पर पड़ने वाला निर्यात ड्यूटी का बोझ कम हो जाएगा. साथ ही साथ अमेरिकी उपभोक्ताओं को भी भारत में बनने वाला सामान कम दाम पर मिलेगा और सबसे बड़ी बात कि टैरिफ हटाने के जवाब में भारत भी अमेरिकी उत्पादों पर आयात ड्यूटी कम कर सकता है.
4 गुना बढ़ सकता है व्यापार
द्विपक्षीय व्यापार समझौता अमेरिका को किस तरह फायदा दे सकता है. ये समझने के लिए आपको कुछ आकलन बेहद गौर से समझने चाहिए. कुछ अनुमानों के अनुसार अगर भारत और अमेरिका के बीच इम्पोर्ट और एक्सपोर्ट ड्यूटी कम की जाती है. तो दोनों देशों के बीच व्यापार 4 गुना बढ़ सकता है.
वर्ष 2024 में भारत और अमेरिका ने 130 बिलियन डॉलर का व्यापार किया था. अनुमान है अगर कम ड्यूटी लगाई गई तो व्यापार का ये आंकड़ा वर्ष 2030 तक 500 बिलियन डॉलर तक पहुंच सकता है. उड्डयन, ड्रोन और सेमीकंडक्टर जैसे हाई वैल्यू क्षेत्रों में व्यापार बढ़ने से अमेरिका में रोजगार की दर भी बढ़ सकती है.
अगर भारत को अमेरिका से निर्यात बढ़ा तो ट्रंप दोनों देशों के बीच व्यापार में अमेरिकी घाटे को भी दो तिहाई तक कम कर सकते हैं. लेकिन ये सभी अनुमान तभी सच साबित होंगे. जब भारत पर लगाए गए टैरिफ को लेकर ट्रंप कोई ऐसा फैसला लें. जो दोनों देशों के लिए हितकारी साबित हो पाए.
क्या है ट्रंप का गेम?
भारत के साथ ही साथ रूस से चीन भी बड़ी मात्रा में तेल खरीदता है. इसी वजह से सवाल पूछे जा रहे हैं. पुतिन से मुलाकात के बाद चीन पर टैरिफ को लेकर ट्रंप क्या फैसला ले सकते हैं. इस सवाल से जुड़ा एक जवाब ट्रंप ने भी दिया है. ट्रंप ने कहा है कि रूस के राष्ट्रपति पुतिन से मुलाकात के बाद मुझे लगता है कि भारत रूस से तेल लेना बंद कर देगा. इसी वजह से मुझे लगता है कि चीन के मुद्दे पर मुझे अभी ज्यादा सोचने की जरूरत नहीं है. इसलिए चीन पर अतिरिक्त टैरिफ लगाने का फैसला अभी रोक दिया गया है.
ट्रंप को पता है कि चीन के साथ आर्थिक युद्ध अमेरिका को भारी पड़ेगा. इसी वजह से पुतिन के साथ मुलाकात को बहाना बनाकर वो चीन को राहत देने जैसे संकेत दे रहे हैं. अब सबकी नजर जेलेंस्की और ट्रंप की मुलाकात पर टिकी हैं. अगर जेलेंस्की ने ट्रंप का युद्धविराम प्रस्ताव शब्दश: स्वीकार लिया तो दुनिया एक बड़े आर्थिक युद्ध से बच जाएगी. लेकिन अगर युद्धविराम को लेकर जेलेंस्की ने आना कानी की तो ट्रंप की टैरिफ वाली सनक किसी भी हद को पार कर सकती है.