समुद्रयान मिशन: 5000 मीटर गहराई... तेल-खनिज की खोज में भारत की ऐतिहासिक छलांग

4 hours ago

Last Updated:August 20, 2025, 16:27 IST

Samudrayaan Mission Update: प्रधानमंत्री मोदी ने स्वतंत्रता दिवस पर डीप ओशन मिशन का जिक्र किया था. भारतीय वैज्ञानिकों ने फ्रांस में 5,000 मीटर गहराई तक ट्रेनिंग पूरी की. मत्स्य-6000 सबमर्सिबल 6,000 मीटर गहराई त...और पढ़ें

 5000 मीटर गहराई... तेल-खनिज की खोज में भारत की ऐतिहासिक छलांगलाल किले से ऐलान और अब अटलांटिक तक सफर, गहरे समुद्र में भारत का विज्ञान रच रहा इतिहास (Representative Photo)

नई दिल्ली: स्वतंत्रता दिवस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जिस डीप ओशन मिशन का जिक्र किया था, उसी का अगला बड़ा कदम अब सामने आया है. भारत के वैज्ञानिकों ने फ्रांस में 5,000 मीटर गहराई तक अंतरराष्ट्रीय स्तर की ट्रेनिंग पूरी कर ली है. यह ट्रेनिंग अटलांटिक महासागर में फ्रेंच इंस्टीट्यूट IFREMER के विकसित सबमर्सिबल NAUTILE में हुई. इससे भारतीय वैज्ञानिकों ने न सिर्फ गहराई में जाने का अनुभव हासिल किया, बल्कि यह भी समझा कि ऐसे मिशनों के दौरान किन तकनीकों और प्रोटोकॉल की जरूरत होती है.

‘मत्स्य-6000’ – भारत का समुद्री ब्रह्मास्त्र

भारत ने अपना स्वदेशी मानव-सबमर्सिबल मत्स्य-6000 तैयार किया है, जो तीन वैज्ञानिकों को लेकर 6,000 मीटर गहराई तक जा सकेगा. यह डीप ओशन मिशन का सबसे अहम हिस्सा है. इसमें वैज्ञानिक पेलोड्स लगाए जाएंगे, ताकि समुद्र की गहराई में मौजूद जीव-जंतुओं और खनिजों का अध्ययन किया जा सके.

इस साल जनवरी-फरवरी में मत्स्य-6000 के वेट हार्बर ट्रायल्स सफलतापूर्वक तमिलनाडु के कटुपल्ली स्थित L&T शिपबिल्डिंग फैसिलिटी में पूरे हुए. यह दिखाता है कि भारत की तकनीकी तैयारी अब अंतिम चरण में पहुंच चुकी है.

The Deep Ocean Mission, with its pioneering Samudrayaan Project, marks a significant leap in India’s scientific and strategic capabilities.

By exploring ocean depths, India is unlocking valuable resources and joining the ranks of nations with advanced deep-sea exploration… pic.twitter.com/Rc1EB6qgM5

— Ministry of Information and Broadcasting (@MIB_India) August 18, 2025

मत्स्य-6000 में कई अत्याधुनिक इनोवेशन शामिल हैं:

बायो-वेस्ट सिस्टम, जो रियल-टाइम में क्रू की मॉनिटरिंग करेगा. कॉग्निटिव डिजिटल ट्विन, जो इमरजेंसी हालात में मदद करेगा. अंडरवॉटर एकॉस्टिक टेलीफोन और बैलास्ट मैनेजमेंट सिस्टम. 80 mm मोटा टाइटेनियम एलॉय स्फीयर, जिसे ISRO और भारतीय इंडस्ट्री के सहयोग से विकसित किया गया है. लिथियम-पॉलिमर आधारित पावर सिस्टम, जो सबमर्सिबल को लंबे समय तक ऊर्जा देगा.

‘समुद्रयान’ मिशन क्यों अहम है?

समुद्र की गहराई में सिर्फ नए जीव-जंतुओं और पर्यावरणीय रहस्यों का ही पता नहीं चलता, बल्कि यहां बहुमूल्य खनिज, दुर्लभ धातुएं और ऊर्जा के नए स्रोत भी मौजूद हैं. दुनिया की नजर आजकल समुद्री संसाधनों पर है और भारत इस क्षेत्र में देर से ही सही, लेकिन मजबूती से कदम रख रहा है.

डीप ओशन मिशन न सिर्फ विज्ञान और तकनीक के लिहाज़ से बड़ा कदम है, बल्कि यह भारत को उन देशों की कतार में खड़ा करता है जो डीप-सी माइनिंग और अंडरवॉटर रिसर्च में अग्रणी हैं. अमेरिका, चीन और फ्रांस पहले से इस क्षेत्र में सक्रिय हैं, और अब भारत भी प्रतिस्पर्धा के मैदान में है.

अगला ट्रायल @6000 मीटर

मत्स्य-6000 का अगला बड़ा ट्रायल समुद्र में होगा, जहां इसे वास्तविक गहराई में ले जाकर टेस्ट किया जाएगा. सफल होने पर भारत दुनिया के उन चुनिंदा देशों में शामिल हो जाएगा, जो 6,000 मीटर गहराई तक मानव मिशन कर सकते हैं.

Deepak Verma

Deepak Verma is a journalist currently employed as Deputy News Editor in News18 Hindi (Digital). Born and brought up in Lucknow, Deepak's journey began with print media and soon transitioned towards digital. He...और पढ़ें

Deepak Verma is a journalist currently employed as Deputy News Editor in News18 Hindi (Digital). Born and brought up in Lucknow, Deepak's journey began with print media and soon transitioned towards digital. He...

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Location :

New Delhi,Delhi

First Published :

August 20, 2025, 16:24 IST

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