Last Updated:August 20, 2025, 18:13 IST
Hyderabad News: हैदराबाद हाईकोर्ट ने एक महिला की 90 लाख रुपए एलुमनी मांग ठुकराई. पत्नी ने पति पर नपुंसकता का आरोप लगाया था, लेकिन सबूत न मिलने पर कोर्ट ने केस खारिज कर दिया.

हैदराबाद: इन दिनों तलाक लेने के नाम पर हैवी एलुमनी की डिमांड बढ़ती जा रही है. तेलंगाना हाईकोर्ट ने हाल ही में एक महिला की तलाक और 90 लाख रुपए स्थायी गुजारे भत्ते की मांग ठुकरा दी. अदालत ने साफ कहा कि पति की नपुंसकता (impotency) के आरोपों को साबित करने वाला कोई ठोस सबूत पेश नहीं किया गया. दरअसल पत्नी ने आरोप लगाया कि पति ने हनीमून के दौरान भी कुछ नहीं किया.
यह शादी दिसंबर 2013 में हैदराबाद में हुई थी. पत्नी का आरोप था कि उनके पति ने अपनी मेडिकल स्थिति छुपाई और शादी के पहले दिन से ही वह शारीरिक संबंध बनाने में असमर्थ रहे. उसने कोर्ट को बताया कि हनीमून के दौरान (केरल और कश्मीर में) भी यह समस्या बनी रही. 2015 में जब वह अमेरिका गई, तब वहां के डॉक्टरों ने कथित तौर पर उनके पति में “इलाज न हो सकने वाली समस्या” की पुष्टि की. पत्नी ने कहा कि इससे वह मानसिक तौर पर टूट गई और परिवार शुरू करने का उसका सपना अधूरा रह गया.
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पति की दलील
पति ने अदालत में कहा कि यह एक लव मैरिज थी और भारत व अमेरिका दोनों जगह उनका वैवाहिक जीवन सामान्य रहा. उन्होंने स्वीकार किया कि शुरुआती दिक्कतें थीं, लेकिन दवाइयों से स्थिति सुधर गई. साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि उन्होंने पत्नी को आर्थिक मदद दी, जिसमें करीब 28 लाख रुपए सीधे उसके खाते में ट्रांसफर किए. पति का कहना था कि पत्नी का केस असली परेशानी से ज्यादा पैसे की लालसा पर आधारित है.
कोर्ट ने क्यों खारिज किया मामला?
हाईकोर्ट ने सभी मेडिकल द की समीक्षा की. 2021 में गांधी हॉस्पिटल, सिकंदराबाद में कराए गए पोटेंसी टेस्ट में पति के नपुंसक होने की कोई पुष्टि नहीं हुई. शादी से पहले की रिपोर्ट में भी उनका स्पर्म काउंट सामान्य बताया गया था. जजों ने यह भी कहा कि पत्नी ने 2018 में शादी के पूरे पांच साल बाद तलाक की अर्जी दाखिल की. अगर शादी के कभी भी शारीरिक संबंध नहीं बने तो वह इतनी देर तक चुप क्यों रही? अदालत ने यह देरी भी संदेहास्पद माना.
इसके अलावा, पत्नी द्वारा अमेरिका में चल रहे कुछ वित्तीय मामलों के कागज़ात भी कोर्ट में पेश किए गए. लेकिन जजों ने कहा कि उनका इस वैवाहिक विवाद से कोई लेना-देना नहीं है.
हाईकोर्ट का फैसला
जस्टिस मौसमी भट्टाचार्य और बी.आर. मधुसूदन राव की बेंच ने निचली अदालत (रंगारेड्डी फैमिली कोर्ट, 2024) का आदेश बरकरार रखते हुए कहा, “पति के वैवाहिक दायित्व निभाने में असमर्थ होने का कोई सबूत नहीं है.”
Sumit Kumar is working as Senior Sub Editor in News18 Hindi. He has been associated with the Central Desk team here for the last 3 years. He has a Master's degree in Journalism. Before working in News18 Hindi, ...और पढ़ें
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First Published :
August 20, 2025, 18:13 IST