Last Updated:August 20, 2025, 20:37 IST
गद्दी छोड़ो बिल पर राहुल गांधी और तेजस्वी यादव ने विरोध जताया है. राहुल ने इसे मध्ययुगीन राजा की तानाशाही बताया, जबकि तेजस्वी ने इसे नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू को डराने का तरीका कहा.

गद्दी छोड़ो बिल ने नई बहस छेड़ दी है. इसमें लिखा है कि अगर प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री या मंत्री पर कोई गंभीर आपराधिक आरोप लग गया, तो उनकी कुर्सी खिसक जाएगी. सुनने में बड़ा क्रांतिकारी लगता है, लेकिन कांग्रेस नेता राहुल गांधी और आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने इसके दूसरे ही मायने निकाल लिए. राहुल को इसमें राजा की याद आ गई तो तेजस्वी नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू को डराने लगे. मगर ये कहते हुए डर उनकी जुबां पर आ ही गया.
राहुल गांधी ने कहा, ये लोग ऐसा बिल लेकर आ रहे हैं, जो मध्ययुग में हमें ले जाएगा. जब राजा अपनी मर्जी से किसी को भी हटा सकता था. उसमें चुने हुए व्यक्ति का कोई मतलब नहीं था. आपको उनका चेहरा पसंद नहीं तो केस दर्ज करेंगे और हटा देंगे. मगर ये कहते हुए राहुल गांधी ईडी की बात करना नहीं भूले. राहुल गांधी पर भी कई मामले दर्ज हैं और कांग्रेस आरोप लगा रही है कि यह कानून विपक्ष के नेताओं को निशाना बनाने के लिए लाया गया है.
तेजस्वी का नया दांव
इस बीच तेजस्वी यादव ने तो पूरे मामले को ही अलग रंग दे दिया. तेजस्वी बोले- ये ब्लैकमेल करने का नया तरीका है. कानून नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू को डराने के लिए लाया गया है. इनका यही काम है. पहले भी हेमंत सोरेन और केजरीवाल को जेल में रखा, लेकिन दोनों बरी हो गए. ये सब लोकतंत्र को कमजोर करने की चाल है. अब जरा सोचिए, बिहार के नीतीश कुमार, जो दिन में तीन बार पाला बदल सकते हैं और आंध्र के चंद्रबाबू नायडू जो चुनावी हवा के हिसाब से पाल बदलते हैं… दोनों को ये संदेश देना कि जरा संभल कर, वरना गद्दी जाएगी.
नीतीश और नायडू – NDA की मजबूरी या निशाना?
तेजस्वी का सीधा इशारा बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू की ओर है. दोनों नेता मौजूदा समय में एनडीए के अहम सहयोगी हैं. नीतीश कुमार की सियासी पहचान ही यही है कि वह लगातार सत्ता समीकरण बदलते रहे हैं, जबकि नायडू हाल के चुनाव में भाजपा के साथ लौटकर एनडीए को दक्षिण में नई ताकत दे रहे हैं. तेजस्वी का दावा है कि इन नेताओं को यह संकेत दिया जा रहा है कि अगर वे केंद्र की लाइन से हटे, तो उन पर गंभीर आपराधिक मामलों का हवाला देकर कार्रवाई हो सकती है. यानी यह बिल सत्ता के भीतर तोड़ मरोड़ कर सहयोगियों को काबू में रखने का औजार बन सकता है.
केजरीवाल और सोरेन का उदाहरण क्यों?
तेजस्वी यादव ने अपने बयान में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का उदाहरण दिया. दोनों ही नेताओं को जेल का सामना करना पड़ा, लेकिन बाद में अदालतों से उन्हें राहत मिली. तेजस्वी ने इन मामलों का हवाला देकर यह बताने की कोशिश की कि भाजपा सरकार पहले से ही विपक्षी नेताओं के खिलाफ एजेंसियों का इस्तेमाल करती रही है. अब यदि इस तरह का विधेयक कानून का रूप ले लेता है, तो जेल में डालने की बजाय सीधे सत्ता से बेदखल करने का रास्ता खुल जाएगा.
Mr. Gyanendra Kumar Mishra is associated with hindi.news18.com. working on home page. He has 20 yrs of rich experience in journalism. He Started his career with Amar Ujala then worked for 'Hindustan Times Group...और पढ़ें
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Location :
Delhi,Delhi,Delhi
First Published :
August 20, 2025, 20:37 IST