Last Updated:August 20, 2025, 20:26 IST
Agni Missile Journey: अग्नि-1 से अग्नि-5 तक भारत का सामरिक सफर, जिसने देश को आत्मनिर्भर और वैश्विक ताकतों की कतार में खड़ा कर दिया. जानिए हर मिसाइल की की कहानी... आगे भारत का क्या है प्लान.

Agni Missile Journey: भारत की सामरिक मजबूती की कहानी सिर्फ जमीन पर लड़ी गई जंगों की नहीं है बल्कि आसमान में लिखी गई गाथाओं की भी है. वह गाथा जिसने दुनिया को चौंका दिया और दुश्मनों को साफ संदेश दिया. भारत अब किसी से दबने वाला नहीं. यह कहानी है अग्नि मिसाइल कार्यक्रम की. जिसने एक राष्ट्र की आत्मा में आग जलाई और उसे आत्मनिर्भरता की राह पर मजबूती से खड़ा कर दिया.
1990 के दशक में जब भारत ने अपनी मिसाइल टेक्नोलॉजी पर काम करना शुरू किया था, दुनिया ने उपहास उड़ाया. आलोचक कहते थे, “भारत यह कर ही नहीं पाएगा.” लेकिन हमारे वैज्ञानिकों ने पसीने और खून से यह साबित कर दिया कि जब भारत ठान लेता है तो असंभव भी संभव हो जाता है. पहला जवाब था… अग्नि-1, और इसके बाद की हर मिसाइल ने भारत की ताकत को और ऊंचा उठाया.
अग्नि-2: बढ़ी मारक क्षमता (1999)
अग्नि-1 के बाद वैज्ञानिकों का अगला लक्ष्य था रेंज बढ़ाना. 1999 में अग्नि-2 का सफल परीक्षण हुआ. इसकी क्षमता 2,000 किलोमीटर से अधिक थी. इससे भारत ने चीन और पाकिस्तान के अहम ठिकानों को भी अपने रेंज में ले लिया. यह मिसाइल सड़क से भी लॉन्च हो सकती थी, जिससे सेना की ताकत और लचीलापन दोनों बढ़ गए.
अग्नि-1 से लेकर अग्नि-5 तक का सफर भारत को वैश्विक ताकतों में शामिल कर चुका है. (फोटो PTI)
अग्नि-3: एशिया में गूंजी धमक (2007)
2007 में अग्नि-3 ने भारत की रक्षा नीति को नया मोड़ दिया. 3,000 किलोमीटर से अधिक मारक क्षमता वाली इस मिसाइल ने भारत को चीन के कई बड़े शहरों तक पहुंचने की ताकत दी. एडवांस नेविगेशन और मजबूत वारहेड जैसी तकनीक ने इसे और भरोसेमंद बनाया. इसने भारत की रणनीतिक पहुंच को मजबूत कर दिया.
अग्नि-4: लंबी दूरी का विश्वास (2011)
साल 2011 में अग्नि-4 का परीक्षण हुआ. इसकी रेंज 4,000 किलोमीटर थी. इसके साथ ही भारत लंबी दूरी की मिसाइलों वाले देशों की कतार में शामिल हो गया. यह वह मुकाम था, जहां भारत ने यह साबित किया कि अब एशिया का कोई भी हिस्सा उसकी पहुंच से बाहर नहीं.
अग्नि-5: भारत की सबसे बड़ी छलांग (2012)
साल 2012 में अग्नि-5 का पहला सफल परीक्षण किया गया. इसने भारत को वैश्विक ताक़तों के क्लब में शामिल कर दिया. 5,000 किलोमीटर से अधिक मारक क्षमता वाली यह इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल (ICBM) यूरोप, चीन और एशिया के बड़े हिस्सों तक पहुंच सकती थी. अग्नि-5 सिर्फ़ एक मिसाइल नहीं, बल्कि भारत की संप्रभुता और आत्मनिर्भरता का एलान थी. इसने भारत को उन चुनिंदा देशों में खड़ा किया, जिनके पास वैश्विक शक्ति संतुलन बदलने का सामर्थ्य है.
अग्नि-5 मिसाइल में ही भारत ने अपनी पहली इंटर कॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल अग्नि-5 का सफल परीक्षण कर लिया है. यह परीक्षण आज यानी 20 अगस्त 2025 को की गई. ओडिशा के चांदीपुर में इंटीग्रेटेड टेस्ट रेंज में बुधवार को इसकी टेस्टिंग हुई. यह मल्टिपल इंडिपेंडेंटली टार्गेटेबल री-एंट्री व्हीकल (MIRV) टेक्नोलॉजी से लैस है. यानी इसे एक साथ कई टारगेट्स पर लॉन्च किया जा सकता है.
अब दुश्मन भारत की ओर आंख उठाकर देखने से पहले सौ बार सोचेगा. (फोटो PTI)
भविष्य: अग्नि प्राइम और अग्नि-6
भारत का सफर अग्नि-5 पर खत्म नहीं होता. नई पीढ़ी की अग्नि प्राइम (Agni-P) हल्की, अधिक सटीक और मोबाइल है. वहीं अग्नि-6 का सपना और भी बड़ा है 10,000 किलोमीटर से अधिक मारक क्षमता. इसका मतलब है कि भारत दुनिया के किसी भी कोने तक अपनी शक्ति दिखा सकेगा.
अग्नि सिर्फ मिसाइल नहीं, भारत का आत्मसम्मान
अग्नि मिसाइल कार्यक्रम सिर्फ तकनीकी विकास की कहानी नहीं है. यह राष्ट्र के संकल्प वैज्ञानिकों की तपस्या और भारत के आत्मसम्मान का प्रतीक है. यह वह सफर है जिसने भारत को वहां खड़ा किया, जहां अब कोई भी दुश्मन भारत की ओर आंख उठाकर देखने से पहले सौ बार सोचेगा.
Sumit Kumar is working as Senior Sub Editor in News18 Hindi. He has been associated with the Central Desk team here for the last 3 years. He has a Master's degree in Journalism. Before working in News18 Hindi, ...और पढ़ें
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First Published :
August 20, 2025, 20:26 IST