किसके नाम पर जुट रही भीड़... राहुल के नाम पर या तेजस्वी की पहचान पर?

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Last Updated:August 20, 2025, 19:06 IST

राहुल गांधी की 'वोटर अधिकार यात्रा' ने बिहार की राजनीति को गर्म कर दिया है. तेजस्वी यादव इस यात्रा में प्रमुख भूमिका निभा रहे हैं. यात्रा में भीड़ ने कई सवाल उठाए हैं.

किसके नाम पर जुट रही भीड़... राहुल के नाम पर या तेजस्वी की पहचान पर?भीड़ राहुल को देखने आती है या तेजस्वी को सुनने?

पटना. बिहार की राजनीतिक जमीन पहले से ही गर्म थी, कांग्रेस नेता राहुल गांधी की ‘वोटर अधिकार यात्रा’ ने उसको और गर्म कर दिया है. इस यात्रा ने एनडीए खेमे के साथ-साथ प्रशांत किशोर की पार्टी जन सुराज में भी बेचैनी ला दी है. राहुल गांधी की इस यात्रा में वैसे तो तेजस्वी यादव कभी सारथी तो कभी सहभागी बनकर भूमिका निभा रहे हैं. लेकिन कहीं न कहीं तेजस्वी इस यात्रा से अपने आपको और सिद्ध भी कर रहे हैं कि वह किसी से 20 हैं 19 नहीं. राहुल गांधी और तेजस्वी यादव जनता से सीधा संवाद करने की कोशिश कर रहे हैं. लेकिन जितना यह यात्रा लोकतांत्रिक अधिकारों के प्रचार के लिए है, उतना ही यह राजनीतिक शक्ति प्रदर्शन भी बन चुकी है. वोटर परिवर्तन यात्रा में आ रही भीड़ ने कई सवालों का जन्म दिया है. पहला, क्या यह भीड़ राहुल गांधी को देखने या सुनने जुट रही है? या फिर राहुल गांधी कांग्रेस की राजनीतिक को बिहार में ताक पर रखकर तेजस्वी यादव को स्थापित कर रहे हैं?

बिहार की राजनीति और इतिहास गवाह है कि कई राजनीतिक यात्राएं कभी-कभी तनाव का रूप भी ले चुकी हैं. जब नेताओं की लोकप्रियता की तुलना शुरू होती है तो कार्यकर्ता समूहों में टकराव की संभावना बन जाती है. राजद और कांग्रेस ही नहीं मुकेश सहनी औऱ लेफ्ट पार्टियों के नेता भले ही वोटर अधिकार यात्रा में मंच साझा कर रहे हैं, लेकिन मालिकाना भाव और ‘कौन बड़ा नेता’ की प्रतिस्पर्धा उनके बयानों और आव-भाव में देखा जा रहा है.

वोटर अधिकार यात्रा में भीड़ किसको देखने जुटती है?

कांग्रेस के रणनीतिकार इस यात्रा को बड़ी उपलब्धि मान रहे हैं, लेकिन चेतावनी भी दे रहे हैं कि अगर नेतृत्व स्पष्ट नहीं रहा तो यह भीड़ वोटों में तब्दील नहीं हो सकता है. वैसे तो बिहार में राहुल गांधी की ‘वोटर अधिकार यात्रा’ का मकसद है देश के नागरिकों को यह याद दिलाना कि लोकतंत्र में वोट सिर्फ अधिकार नहीं, जिम्मेदारी भी है. यह यात्रा बेरोजगारी, महंगाई, जातीय जनगणना, सामाजिक न्याय और आरक्षण जैसे मुद्दों को सामने लाकर जनता के बीच एक नई चर्चा खड़ी करने की कोशिश कर रही है. लेकिन इस आदर्शवादी उद्देश्य के पीछे की वास्तविक सियासत को कोई अनदेखा नहीं कर सकता.

भीड़ को तेजस्वी पसंद या राहुल?

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लेकिन, इस यात्रा में एक तरफ राहुल गांधी हैं, जो कांग्रेस के राष्ट्रीय नेता, जिन्हें विपक्षी एकता का चेहरा बनाया जा रहा है. दूसरी ओर तेजस्वी यादव हैं, जो बिहार की राजनीति के युवा चेहरे औऱ पिछले बिहार चुनाव में विपक्ष के सबसे बड़े स्तंभ बनकर उभरे थे. यात्रा के अब तक के पड़ावों में जो तस्वीरें और वीडियो सामने आए हैं, उनमें भारी भीड़ दिख रही है. लेकिन यह सवाल उठना स्वाभाविक है कि ये भीड़ राहुल गांधी को सुनने आई है या तेजस्वी यादव को देखने-सुनने के लिए? नवादा के एक स्थानीय पत्रकार की मानें तो गांव और कस्बों में तेजस्वी यादव की लोकप्रियता ज्यादा है. खासकर युवाओं और पिछड़ा-दलित वर्ग में तेजस्वी की बातों को गंभीरता से सुना जा रहा है. बेरोजगारी, नियोजन और सामाजिक न्याय के मुद्दों पर तेजस्वी की पकड़ और भाषा जनता को सीधे जोड़ती है. वहीं राहुल गांधी की उपस्थिति एक राष्ट्रीय स्तर का आकर्षण है. जहां-जहां वह जाते हैं, वहां कांग्रेस कार्यकर्ताओं में जोश दिखता है और एक नया ‘ऊर्जा संचार’ होता है. हालांकि, राहुल के भाषणों में राष्ट्रीय मुद्दों का वर्चस्व होता है, जबकि तेजस्वी ज़मीनी मुद्दों को छूते हैं.’

क्या कांग्रेस तेजस्वी के लिए जमीन बना रही है?

इससे साफ होता है कि जनता का तेजस्वी के साथ भावनात्मक जुड़ाव है, जबकि राहुल गांधी को देखने-सुनने में कौतूहल है. समर्थन की दृष्टि से देखा जाए तो राजद का वोट बैंक इस यात्रा को ज़्यादा मजबूती दे रहा है. तेजस्वी यादव के लिए यह यात्रा एक अवसर है कि वे ‘बिहार के भावी मुख्यमंत्री’ के तौर पर अपनी छवि और मजबूत करें. युवा चेहरा, तेज भाषण शैली और मुद्दों पर स्पष्टता उन्हें यात्रा में मुख्य आकर्षण बना रही है.

कुलमलिाकर राहुल गांधी इस यात्रा के ज़रिए बिहार में कांग्रेस को फिर से खड़ा करने की कोशिश कर रहे हैं. यह आसान नहीं है, क्योंकि कांग्रेस की जमीनी पकड़ बेहद कमजोर हो चुकी है. लेकिन अगर तेजस्वी के सहारे राहुल को कुछ समर्थन मिला, तो कांग्रेस 2025 में डूबती नाव से बच सकती है. राजनीतिक रूप से देखें तो तेजस्वी के लिए यह यात्रा उम्मीदों का सवेरा है, जबकि राहुल के लिए अस्तित्व की चुनौती का सूर्योदय.

रविशंकर सिंहचीफ रिपोर्टर

भारतीय विद्या भवन से पत्रकारिता की पढ़ाई करने वाले रविशंकर सिंह सहारा समय न्यूज चैनल, तहलका, पी-7 और लाइव इंडिया न्यूज चैनल के अलावा फर्स्टपोस्ट हिंदी डिजिटल साइट में भी काम कर चुके हैं. राजनीतिक खबरों के अलावा...और पढ़ें

भारतीय विद्या भवन से पत्रकारिता की पढ़ाई करने वाले रविशंकर सिंह सहारा समय न्यूज चैनल, तहलका, पी-7 और लाइव इंडिया न्यूज चैनल के अलावा फर्स्टपोस्ट हिंदी डिजिटल साइट में भी काम कर चुके हैं. राजनीतिक खबरों के अलावा...

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First Published :

August 20, 2025, 19:06 IST

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