Indian Student Numbers Drop at UK Universities: आजादी के 78 साल बाद भी भारत का एजुकेशन सिस्टम वर्तमान आबादी की जरूरतों के हिसाब से नाकाफी है. आंकड़ों के मुताबिक देश में करीब साढ़े चार करोड़ छात्र हैं लेकिन उनमें से केवल 29% ही यूनिवर्सिटी प्रणाली में दाखिला लेते हैं. इस बीच नीति आयोग के सीईओ BVR सुब्रमण्यम ने कहा, 'भारत के विश्वविद्यालयों में देश के 50 फीसदी छात्रों के दाखिले के लिए वर्तमान यूनिवर्सिटीज की संख्या 1200 से दोगुनी कर 2500 करने की जरूरत है. बीते 10 सालों में देश में हर महीने एक यूनिवर्सिटी और दो कॉलेज खुल जाते हैं. लेकिन उपयुक्त आयु वर्ग के केवल 29% छात्र ही ग्रेजुएशन के कोर्स में दाखिला लेते हैं. हालातों की चुनौतियों के बावजूद कम से कम 50 प्रतिशत से ज्यादा छात्रों को कॉलेजों में होना चाहिए.’
शायद यही वजह है कि आज भारत के तमाम आर्थिक रूप से सक्षम पैरेंट्स अपने बच्चों को बेहतर शिक्षा यानी हायर एजुकेशन के लिए विदेश में भेजना पसंद करते हैं. इस काम में भारतीय छात्र रूस से लेकर मिडिल ईस्ट और अमेरिका-कनाडा से लेकर यूरोप और ऑस्ट्रेलिया-न्यूजीलैंड तक पढ़ने जाते हैं. जो देश भारतीय छात्रों को ज्यादा सुविधा देते हैं, वहां भारत के छात्रों की संख्या बढ़ जाती है. इस बीच एक रिपोर्ट में सामने आया है कि ब्रिटेन में पढ़ने के लिए भारतीय छात्र-छात्राओं का रुझान कम हुआ है.
और क्या कुछ कहती है ये रिपोर्ट आइए बताते हैं.
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