गुजरात के बहुचर्चित रेप केस में कथावाचक आसाराम की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार को नोटिस जारी करते हुए 3 हफ्ते में जवाब मांगा है. आसाराम ने अपनी याचिका में उम्र कैद की सजा को निलंबित करने और सुप्रीम कोर्ट से जमानत मांगी है.
86 साल के आसाराम करीब 11 साल जेल में काट चुके हैं. उन्होंने इस केस में खुद को निर्दोष बताते हुए खराब सेहत ने आधार पर जमानत की मांग की है. उनकी याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह सिर्फ मेडिकल ग्राउंड पर अंतरिम जमानत पर विचार करेगा.
आसाराम की याचिका पर क्या बोला सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया कि आसाराम के खिलाफ जो केस है, वो पॉक्सो एक्ट के तहत गंभीर मामला है. कोर्ट ने कहा, ‘ऐसे में हम सिर्फ इस पर विचार करेंगे कि क्या आसाराम को खराब सेहत के आधार पर अंतरिम जमानत दी जा सकती है?’ आसाराम की इस जमानत याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार को नोटिस जारी करते हुए तीन हफ्ते में जवाब मांगा है.
इससे पहले गुजरात हाई कोर्ट ने 29 अगस्त को आसाराम की उस याचिका को खारिज कर दिया था, जिसमें उन्होंने 2023 में गांधीनगर कोर्ट की तरफ से सुनाई गई उम्रकैद की सजा को निलंबित करने की मांग की थी. हाई कोर्ट ने सजा को सस्पेंड करने और उन्हें जमानत देने से इनकार करते हुए कहा था कि राहत देने का कोई मामला नहीं बनता है.
क्या है पूरा केस?
दरअसल जनवरी 2023 में, सेशन कोर्ट ने वर्ष 2013 के बलात्कार के एक मामले में आसाराम को दोषी ठहराया था. यह मामला एक महिला ने दर्ज कराया था, जो अपराध के समय गांधीनगर के पास उनके आश्रम में रहती थी. आसाराम इस समय राजस्थान की जोधपुर जेल में एक अन्य बलात्कार मामले में बंद हैं.
हाई कोर्ट ने कहा था कि उनकी अपील के निपटारे में संभावित देरी, उनकी उम्र और चिकित्सा स्थिति के बारे में उनकी दलीलें राहत देने के लिए प्रासंगिक नहीं हैं. अदालत ने पूर्व मामलों पर भी विचार किया था, जिसमें उनके साबरमती आश्रम में दो लड़कों की कथित हत्या और गवाहों और पीड़ितों के रिश्तेदारों पर हमले शामिल हैं.
सूरत रेप में आसाराम की दलील
अदालत ने कहा था, ‘इस स्तर पर, सभी परिस्थितियों, अपील में संभावित देरी और चिकित्सीय आधार के साथ-साथ जेल में दस साल पूरे होने पर विचार करते हुए, हमारे विचार से, जमानत के निलंबन की प्रार्थना पर विचार करना प्रासंगिक नहीं हो सकता है.’
आसाराम की याचिका में कहा गया था कि वह एक साजिश का शिकार हैं और बलात्कार के आरोप झूठे हैं. इसमें कहा गया है कि निचली अदालत ने पीड़िता की ओर से शिकायत दर्ज कराने में 12 साल की देरी के स्पष्टीकरण को स्वीकार करते समय गलती की. जोधपुर में बलात्कार के एक मामले में दोषसिद्धि के खिलाफ उनकी अपील राजस्थान हाई कोर्ट के सामने पेंडिंग है. इस साल जनवरी में राजस्थान हाई कोर्ट ने उस मामले में सजा के निलंबन के आसाराम के आवेदन को खारिज कर दिया था.
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FIRST PUBLISHED :
November 22, 2024, 15:43 IST