हाइलाइट्स
गौतम अडानी पर अमेरिका में 250 मिलियन डॉलर की कथित रिश्वतखोरी का आरोप क्यों लगाया गया?विदेशी भ्रष्ट आचरण अधिनियम (एफसीपीए) के तहत कथित उल्लंघन का मामला दर्ज हुआदुनिया की कई बड़ी कंपनियां इसमें फंस चुकी हैं और उन पर मोटा जुर्माना हुआ है
न्यूयॉर्क में फेडरल प्रोसीक्युटर्स 21 नवंबर को अडानी समूह के चेयरमैन गौतम एस. अडानी, उनके भतीजे सागर अडानी और छह अन्य लोगों पर धोखाधड़ी के कई मामलों में आरोप लगाए। ये आरोप सौर ऊर्जा अनुबंधों पर अनुकूल शर्तों के बदले भारतीय अधिकारियों को रिश्वत देने की कथित मल्टी करोड़ डॉलर की योजना से जुड़े हैं, जिनसे 2 बिलियन डॉलर से अधिक का मुनाफ़ा होने का अनुमान था. इस मामले ने एक सवाल उठाया है कि अडाणी ग्रुप का ये प्रोजक्ट भारत से संबंधित था और आरोप भी भारत से जुड़े हुए तो इसमें अमेरिका में कैसे मामला दर्ज हुआ. केस चला और कोर्ट ने उनके खिलाफ अरेस्ट वारंट जारी कर दिया.
अमेरिकी अटॉर्नी कार्यालय, पूर्वी जिला न्यूयॉर्क द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, “इस अभियोग में भारतीय सरकारी अधिकारियों को 250 मिलियन डॉलर से अधिक की रिश्वत देने, अरबों डॉलर जुटाने के लिए निवेशकों और बैंकों से झूठ बोलने और न्याय में बाधा डालने की योजना का आरोप लगाया गया है.”
सरकारी स्वामित्व वाली भारतीय सौर ऊर्जा निगम (SECI) द्वारा 2019 में जारी एक नया टेंडर अमेरिकी कोर्ट में अभियोग का केंद्रबिंदु है, जिसमें अडानी समूह के अध्यक्ष और उनके सहयोगियों पर भारतीय सरकारी अधिकारियों को 250 मिलियन डॉलर से अधिक की रिश्वत देने का आरोप लगाया गया है. मेनुफैक्चिरंग से जुड़ा ये सौर टेंडर को आखिरकार अडानी ग्रीन एनर्जी और एज़्योर पावर को दिया गया.
अभियोग के अनुसार, 6 बिलियन डॉलर के निवेश से 20 वर्षों में कर-पश्चात लाभ में 2 बिलियन डॉलर से अधिक का लाभ होने का अनुमान था. वैसे इस परियोजना को एक अप्रत्याशित झटका लगा, जब इसकी “उच्च ऊर्जा कीमतों” के कारण राज्य बिजली वितरण कंपनियों के साथ बिजली आपूर्ति समझौतों पर हस्ताक्षर नहीं पाया.
सवाल – ये मामला अमेरिकी अदालत में क्यों पहुंचा?
– अमेरिकी कानूनों के अनुसार अगर अमेरिकी नागरिक और कंपनियां दुनिया में कहीं निवेश कर रही हैं और उनके आर्थिक हितों को चोट पहुंचती या इससे संबंधित कोई गड़बड़ियां होती हैं तो ये अमेरिकी अदालतों के न्यायक्षेत्र में आता है.
इस मामले को ट्रिनी एनर्जी नाम की एक कंपनी ने अमेरिकी अधिकारियों से शिकायत की कि अडानी ग्रीन के अधिकारियों ने कथित तौर पर ओडिशा, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, छत्तीसगढ़ और जम्मू और कश्मीर सहित कई राज्यों के सरकारी अधिकारियों को रिश्वत दी, ताकि उनकी बिजली वितरण कंपनियों (DISCOMs) पर बाजार दर से ऊपर सौर ऊर्जा खरीदने के लिए राजी करने का दबाव बनाया जा सके. तो ये मामला अमेरिकी अदालतों और अमेरिकी लोगों के हितों से जुड़ा मामला बन गया. क्योंकि ये भ्रष्टाचार हुआ था और अडानी ग्रीन अमेरिका में अपने निवेशकों को यह जानकारी देने में विफल रही.
सवाल – अमेरिकी अदालत में अडाणी ग्रीन पर क्या आरोप लगाया गया है?
– अमेरिकी अभियोजकों अगर कंपनी पर भ्रष्टाचार करने की बात कही गई तो ये भी आरोप लगाया कि गौतम अडानी ने SECI और राज्य के DISCOMs के बीच बिजली खरीदने के काम में तेजी लाने के लिए अगस्त 2021 में व्यक्तिगत रूप से एक अनाम “आंध्र प्रदेश के उच्च पदस्थ सरकारी अधिकारी” से मुलाकात की , जिसके दौरान अधिकारी को लगभग ₹1,750 करोड़ (कथित रिश्वत का 85%) की पेशकश की गई.
सवाल – मुख्य तौर पर अडाणी और उनके सहयोगियों पर अमेरिकी अदालत में किन कानून के तहत मुकदमा दर्ज हुआ?
– अभियोग में अडानी और उनके सहयोगियों पर विदेशी भ्रष्ट आचरण अधिनियम (एफसीपीए) के कथित उल्लंघन का मामला दर्ज हुआ, जिसमें ऊर्जा अनुबंध हासिल करने के लिए भारतीय अधिकारियों को रिश्वत देने की साजिश रचने का आरोप लगाया गया है. अमेरिका में ये कानून 1977 में लागू किया गया था, लेकिन हाल के दशकों में इसे और अधिक सख्ती से लागू किया गया है.
सवाल – दुनिया की कौन सी बड़ी कंपनियां इसके घेरे में आ चुकी हैं?
– जर्मनी की सीमेंस, ब्राजील की सरकारी स्वामित्व वाली पेट्रोब्रास और तेल सेवा दिग्गज हैलीबर्टन की एक सहायक कंपनी सहित प्रमुख कंपनियों पर इस कानून के उल्लंघन के लिए भारी जुर्माना लगाया गया है. हालांकि प्रेसीडेंट इलेक्ट डोनाल्ड ट्रम्प कथित तौर पर अपने पहले कार्यकाल में इस कानून को खत्म करना चाहते थे क्योंकि उन्होंने इसे अमेरिकी कंपनियों के लिए “अनुचित” माना था.
अभियोक्ताओं ने आरोप लगाया है कि प्रतिवादियों ने मैसेजिंग ऐप, फोन और पावरपॉइंट प्रेजेंटेशन का उपयोग करके भारतीय अधिकारियों को रिश्वत और ऑफ़र का सावधानीपूर्वक पता लगाया, अक्सर अपने संचार में “कोड नाम” का उपयोग किया.
सवाल – अब इस मामले में आगे क्या होगा?
– मामला जब आगे बढ़ेगा तो संबंधित न्यायाधीश प्रतिवादियों को औपचारिक रूप से आरोपों के बारे में सूचित करेंगे. फिर तय करेंगे कि जमानत दी जाए या नहीं. इसके प्रतिवादियों को एक दलील दर्ज करनी होगी कि वो खुद को दोषी मानते हैं या निर्दोष.
यदि वे दोषी नहीं होने की दलील देते हैं, तो मामला जूरी ट्रायल के लिए आगे बढ़ेगा. हालांकि, भारतीय उद्योगपति और अमेरिकी अधिकारियों के बीच एक सौदा होने की भी संभावना है, जिसके बाद अरबपति अभियोग को खारिज करने की मांग कर सकते हैं.
सवाल – क्या है अमेरिका का विदेशी भ्रष्ट आचरण अधिनियम (एफसीपीए), इसमें क्या होता है?
– विदेशी भ्रष्ट आचरण अधिनियम (FCPA) 1977 में लागू किया गया एक संयुक्त राज्य संघीय कानून है जिसका उद्देश्य भ्रष्टाचार को रोकना और नैतिक व्यावसायिक प्रथाओं को बढ़ावा देना है. यह मुख्य रूप से विदेशी अधिकारियों की रिश्वतखोरी को लक्षित करता है और कॉर्पोरेट जवाबदेही को लागू करता है. FCPA के दो मुख्य प्रावधान हैं:
1. रिश्वत विरोधी प्रावधान
अमेरिकी व्यक्तियों, कंपनियों और अमेरिका में काम करने वाली कुछ विदेशी संस्थाओं को विदेशी सरकारी अधिकारियों को व्यवसाय प्राप्त करने या बनाए रखने के लिए मूल्यवान वस्तुएं और रिश्वत देने से रोकता है. ये सार्वजनिक कंपनियों, निजी व्यवसायों, उनके कर्मचारियों और तीसरे पक्ष के मध्यस्थों पर लागू होता है.
2. अमेरिकी स्टॉक एक्सचेंज की कंपनियों पर भी लागू
अमेरिकी स्टॉक एक्सचेंजों में सूचीबद्ध कंपनियों को भ्रष्टाचार को रोकने और उसका पता लगाने के लिए सटीक वित्तीय रिकॉर्ड बनाए रखने और आंतरिक लेखांकन नियंत्रण लागू करने की आवश्यकता होती है.
ये कानून अमेरिकी नागरिक, निवासी और कंपनियों के साथ अमेरिका में और अमेरिका के साथ व्यापार करने वाली विदेशी संस्थाएं या कंपनियां या लोगों पर लागू होता है.
इसकी व्यापक बाहरी पहुंच है, जिसका अर्थ है कि यह यू.एस. के बाहर की कार्रवाइयों पर भी लागू हो सकता है, यदि उनमें यू.एस. कंपनियां या वित्तीय प्रणालियां शामिल हों.
सवाल – दोष साबित होने पर इसमें क्या सजा है?
– गंभीर आपराधिक और नागरिक दंड, जिसमें कंपनियों के लिए जुर्माना (लाखों डॉलर तक) और व्यक्तियों के लिए कारावास तक शामिल है.
Tags: Adani Group, Gautam Adani
FIRST PUBLISHED :
November 22, 2024, 15:23 IST