Explainer: क्या वाकई टीम इंडिया जाएगी पाकिस्तान, शुरू हुई क्रिकेट डिप्लोमेसी

1 month ago

हाइलाइट्स

भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर के पाकिस्तान एससीओ मीटिंग में जाने के बाद ये बातें चल रही हैंमाना जा रहा है कि दोनों देश रिश्तों को ठीक करने के लिए क्रिकेट डिप्लोमेसी का सहारा ले सकते हैंपाकिस्तान में अगले साल चैंपियंस ट्रॉफी है, उसमें भारतीय टीम जा सकती है

2015 के बाद से भारत और पाकिस्तान के विदेश मंत्रियों के बीच पहली सीधी बातचीत हुई. इस्लामाबाद में विदेश मंत्री एस जयशंकर और पाकिस्तानी उप प्रधान मंत्री-विदेश मंत्री मुहम्मद इशाक डार ने 24 घंटे से भी कम समय में दो बार बात की. ये संकेत हैं कि दोनों देश फिर क्रिकेट डिप्लोमेसी के जरिए एक दूसरे के साथ रिश्तों को पटरी पर लाने के लिए दरवाजे खोल रहे हैं. ऐसा दोनों के बीच पहले भी हो चुका है.

दोनों देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक शंघाई सहयोग संगठन की शासनाध्यक्ष परिषद की बैठक के दौरान हुई. लेकिन ऐसा लग रहा है कि दोनों क्रिकेट डिप्लोमेसी को लेकर गंभीर है. शायद अगले साल फरवरी में पाकिस्तान में आयोजित होने वाली चैंपियंस ट्रॉफी प्रतियोगिता में भारतीय टीम हिस्सा ले सकती है. हालांकि पहले ये अटकलें लगाई जा रहीं थीं कि भारतीय टीम इन मैचों के लिए पाकिस्तान जाएगी या नहीं.

जयशंकर और डार की मुलाकात पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ द्वारा एससीओ नेताओं के लिए उनके आवास पर आयोजित रात्रिभोज में हुई. भारतीय विदेशमंत्री की भेंट पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ से भी हुई. सूत्रों ने बताया कि दोनों मंत्रियों ने हाथ मिलाने के बाद एक-दूसरे का अभिवादन किया. कुछ बातें कीं. इसके बाद दोनों मंत्रियों ने रात्रिभोज के दौरान बातचीत की. पाकिस्तान में जानबूझकर ये व्यवस्था की गई थी कि जयशंकर और डार एक-दूसरे के बगल में बैठें.

भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर हाल ही में पाकिस्तान में एससीओ मीटिंग में शिरकत करने लगे. वहां पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ भोज में उनका स्वागत करते हुए. (फोटो- एएनआई)

सूत्र कहते हैं कि कई मुद्दों पर उनकी बातचीत हुई. जिसमें एक ये भी थी कि दोनों देशों को कम से कम आपस में क्रिकेट तो खेलना शुरू करना चाहिए. ये एक ऐसा खेल है जिसे जयशंकर बहुत पसंद करते हैं. फिर दोनों विदेश मंत्रियों के साथ इस बातचीत में पाकिस्तान के गृह मंत्री सैयद मोहसिन रजा नकवी भी शामिल हो गए, जो पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड के अध्यक्ष भी हैं.

सवाल – क्या भारतीय क्रिकेट टीम चैंपियंस ट्राफी में खेलने के लिए पाकिस्तान जाने वाली है?

– ऐसा लगता है कि विचार किया जा रहा है कि किसी तरह दोनों देशों के बीच क्रिकेट संबंध फिर शुरू किए जाएं. संभव है कि दोनों देशों के बीच कोई आपसी सीरीज भी हो.  एक संभावित अवसर चैंपियंस ट्रॉफी तो है ही. ये पाकिस्तान में अगले साल 19 फरवरी से 9 मार्च तक होनी है. इस बार की बातचीत काफी सौहार्दपूर्ण माहौल में हुई, जिसमें कोई तल्खी नहीं दिखी.

अगर भारत चैंपियंस ट्राफी में पाकिस्तान खेलने जाता है, तो यह 17 वर्षों में टीम का सीमा पार पहला दौरा होगा. हालांकि इसके अलावा अगर दोनों देश आपस में कोई सीरीज खेलना चाहते हैं तो उनके व्यस्त कैलेंडर में बड़े बदलाव की आवश्यकता होगी. भारत और पाकिस्तान दोनों टीमों के पास घर और विदेश में व्यस्त कार्यक्रम हैं.

वर्ष 1987 में पाकिस्तान के राष्ट्रपति जिया उल हक खासतौर पर जयपुर में भारत और पाकिस्तान के बीच खेला जा रहा टेस्ट मैच देखने आए (file photo)

सवाल – क्यों इस बार पाकिस्तान के विदेश मंत्री डार के साथ भारतीय विदेश मंत्री की बातचीत को गंभीरता से लिया जा रहा है?
– डार पाकिस्तान की मौजूदा सरकार में एक महत्वपूर्ण और प्रभावशाली व्यक्ति हैं. वह न केवल पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के करीबी विश्वासपात्र हैं, बल्कि शरीफ परिवार के मुखिया भी हैं, बल्कि उनके रिश्तेदार भी हैं – डार के सबसे बड़े बेटे की शादी नवाज शरीफ की बेटी अस्मा नवाज से हुई है. इस लिहाज से भी वह शरीफ परिवार में खास जगह रखते हैं. उनकी बात शरीफ परिवार मानता है.

सवाल – क्या वाकई भारत और पाकिस्तान के बीच क्रिकेट संबंध बहाल होने वाले हैं?
– पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड ने हाल ही में चैंपियंस ट्रॉफी के लिए भारत को पाकिस्तान आने के लिए मनाने की कोशिश की है. जानकारों का कहना है कि पीसीबी ने बीसीसीआई को 17 साल में पहली बार सीमा पार अपने क्रिकेटरों की यात्रा के लिए यात्रा कार्यक्रम के बारे में कई विकल्प दिए हैं.
पीसीबी ने भारत से जुड़े सभी तीनों लीग मैच लाहौर में आयोजित करने का फैसला किया था, लेकिन प्रसारणकर्ता चाहते थे कि वे अन्य स्थानों पर भी खेलें. इस अनुरोध पर विचार करते हुए, पीसीबी ने रावलपिंडी में एक मैच आयोजित करने का विचार पेश किया. बीसीसीआई को पीसीबी से ये भी कहा गया कि लाहौर को आयोजन स्थल के रूप में चुना गया, क्योंकि इससे भारत को हर मैच के बाद स्वदेश लौटने की अनुमति मिल जाएगी, अगर टीम ऐसा करना चाहे तो.

वर्ष 2005 में भारतीय प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने पाकिस्तानी राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ को क्रिकेट मैच देखने के लिए दिल्ली आमंत्रित किया. (news18)

सवाल – क्या भारत और पाकिस्तान के बीच आपस में कोई सीरीज भी हो सकती है?
– अगर भारत और पाकिस्तान वाकई क्रिकेट डिप्लोमेसी के जरिए आपसी संबंधों के दरवाजे खोलना चाहते हैं तो दोनों के बीच 50 ओवरों वाले वन-डे क्रिकेट की एक सीरीज हो सकती है. लेकिन इसके अंतरराष्ट्रीय कैलेंडर में दोनों के प्रोग्राम्स में बदलाव की जरूरत होगी. दोनों टीमें के कार्यक्रम बिजी हैं.

सवाल – क्रिकेट को लेकर दोनों देशों के बीच आमतौर पर क्या माना जाता रहा है?
– आपस में जोड़ने का काम करता है
– तनाव के बीच अक्सर क्रिकेट सीरीज ने शांति बहाल करने में खास भूमिका निभाई है.
– कई बार बहुत खराब दिनों में भारत- पाकिस्तान की सरकारों ने क्रिकेट डिप्लोमेसी का सहारा लिया.
– दोनों देशों की क्रिकेट प्रतिद्वंद्विता को दुनिया की सबसे जबरदस्त प्रतिद्वंद्विता के तौर पर भी देखा जाता है.
– दोनों ही टीमों के क्रिकेटरों का कहना है कि जब भी वो एक दूसरे के देश में जाते हैं तो उनका जबरदस्त स्वागत होता है. लोगों का रवैया उनके प्रति बहुत बेहतर होता है.
– हालांकि कई बार क्रिकेट मैचों के दौरान अप्रिय बातेंं भी हो चुकी हैं
– बहुत से भारतीय ये भी मानते हैं कि अगर पाकिस्तान लगातार भारत में आतंकवाद फैला रहा है तो दोनों देशों के बीच क्रिकेट मैचों का कोई मतलब नहीं.

सवाल – दोनों देशों के बीच संबंध कैसे रहते आए हैं?
– पाकिस्तान का जन्म 1947 में बंटवारे के चलते हुआ. दोनों देशों में शुरुआत से ही तनाव रहा है. कश्मीर, पानी, आतंकवाद और सीमा पर टकराव को लेकर तनाव रहता आया है. दोनों देशों के बीच कई बार युद्ध हो चुके हैं, ये युद्ध 1947, 1965,1971 और 1999 में हो चुके हैं. भारत लगातार आतंकवाद के लिए पाकिस्तान पर आरोप लगाता रहा है. हाल के बरसों में सीमा पर टकराव की घटनाएं बढी हैं. पाकिस्तान पर हमेशा कश्मीर में अस्थिरता और अलगाववाद तो पोषित करने का आरोप लगता रहा है. भारत में बड़े आतंकवादी हमलों के लिए हमेशा पाकिस्तान पर अंगुली उठी है. पाकिस्तान भी अपने यहां अस्थिरता और अलगाववाद के लिए भारत को जिम्मेदार ठहराता रहा है.

जब वर्ष 2011 में मोहाली में भारत और पाकिस्तान की टीमों के बीच सेमीफाइनल मैच खेला गया, तब भारतीय प्रधानमंत्री ने खासतौर पर पाकिस्तानी राष्ट्रपति जरदारी और प्रधानमंत्री गिलानी को आमंत्रित किया था. (news18)

सवाल – फिलहाल दोनों देशों के बीच रिश्ते कैसे हैं?
– वर्ष 2019 में पुलवामा हमले के बाद दोनों देशों के व्यापार संबंधों पर रोक लगा दी गई थी. अब व्यापार सीमित तौर पर तीसरे देशों के जरिए हो रहा है. वित्तीय वर्ष 2022-2023 में, भारत का पाकिस्तान को निर्यात लगभग $627 मिलियन था, जो भारत के कुल निर्यात का केवल 0.1% था, जबकि पाकिस्तान से आयात केवल $20 मिलियन था. यह पिछले वर्षों की तुलना में महत्वपूर्ण गिरावट दिखाता है. 2018-2019 में व्यापार स्तर लगभग $2 बिलियन तक पहुंच गया था.

पाकिस्तान के विदेश मंत्री इशाक डार ने भारत के साथ व्यापार फिर से शुरू करने के लिए पाकिस्तानी व्यवसायों की इच्छा व्यक्त की है. भारत का कहना है कि वह संबंधों को सामान्य बनाने के लिए तैयार है, लेकिन जोर देकर कहता है कि पाकिस्तान को पहले आतंकवाद और शत्रुता से संबंधित मुद्दों को हल करना चाहिए.

सवाल – क्या अब दोनों देशों के लोग एक दूसरे देश में जा सकते हैं?
– वर्ष 2019 के बाद ये यात्रा बहुत कम और मुश्किल हो गई है. यात्रियों के पास उचित वीज़ा होना चाहिए और सुरक्षा जांच के कारण उन्हें लंबे समय तक प्रतीक्षा करनी पड़ सकती है. कुल मिलाकर रिश्ते अभी ठंडे ही हैं. ना फिलहाल विमान सेवा है. वर्ष 2019 के ट्रेन और बस सेवा भी सस्पेंड हो चुकी है.

सवाल – भारत और पाकिस्तान के बीच क्रिकेट रिश्ते कब से खत्म हैं
– वर्ष 2008 में मुंबई में आतंकवादी हमलों के बाद से भारत और पाकिस्तान के बीच क्रिकेट रिश्ते खत्म हो गए. हालांकि भारतीय टीम को 2009 में पाकिस्तान जाना था लेकिन वो दौरा रद्द कर दिया गया. उसके बाद से दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय क्रिकेट सीरीज नहीं हुई है.
– पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड ने कई बार कोशिश की कि दोनों देशों के बीच क्रिकेट मैच शुरू हों लेकिन भारत सरकार ने अनुमति नहीं दी.
– भारत और पाकिस्तान के क्रिकेट बोर्डों के बीच क्रिकेट सीरीज शुरू करने के लिए वर्ष 2014 में एक समझौते पर हस्ताक्षर किए गए, जिसके तहत 2015 से 2023 तक आपस में छह सीरीज होनी थीं लेकिन भारत सरकार से अनुमति नहीं मिली. दोनों देश आईसीसी की प्रतियोगिताओं में एक दूसरे के साथ खेलते हैं. पाकिस्तान टीम ऐसे टूर्नामेंटों में भारत खेलने आ चुकी है. आपस में खेलने पर सरकार की ओर से मनाही है.

सवाल – कब – कब दोनों देशों ने लिया है क्रिकेट डिप्लोमेसी का सहारा?
– 1978-79 – तब बिशन सिंह बेदी की कप्तानी में भारतीय टीम पाकिस्तान खेलने गई थी. दोनों देशों के बीच 17 सालों बाद कोई क्रिकेट सीरीज शुरू हुई थी. दरअसल 1965 और 1971 की लड़ाई के बाद दोनों देशों के बीच रिश्ते पूरी तरह टूट चुके थे. 1977 में भारत में जनता पार्टी जीतकर सत्ता में आई. मोरारजी देसाई प्रधानमंत्री बने. वहीं पाकिस्तान में भी सरकार जनरल जिया उल हक के हाथों में थी. तब पाकिस्तान से संबंध बेहतर करने की कवायद के तहत बेदी की कप्तानी में भारतीय टीम को वहां भेजा गया. मोरारजी ने आदेश दिये कि पाकिस्तान में रॉ की गतिविधियां तुरंत बंद कर दी जाएं, उनके इस कदम ने उन्हें पाकिस्तान में बहुत लोकप्रिय बना दिया. उन्हें 1990 में पाकिस्तान का सर्वोच्च सम्मान निशान ए पाकिस्तान दिया गया.

– 1987 में भारत और पाकिस्तान सीमा पर तनाव था. ऱोज फायरिंग की खबरें आ रहीं थीं. उसी दौरान पाकिस्तान टीम भारत खेलने आई. पाकिस्तान के राष्ट्रपति जिया उल हक क्रिकेट डिप्लोमेसी के तहत भारत और पाकिस्तान के बीच टेस्ट मैच देखने जयपुर पहुंचे. उन्होंने भारतीय प्रधानमंत्री राजीव गांधी के साथ मैच देखा. इससे दोनों देशों के बीच तनाव कम हुआ.

– 1999 में जब अटल बिहारी वाजपेयी बस से लाहौर गए तो उनकी इस बस में कई जानी मानी शख्सियतें थीं, जिसमें क्रिकेटर कपिलदेव भी शामिल थे. इसके तुरंत बाद पाकिस्तान की क्रिकेट टीम भारत के दौरे पर आई, जिसमें उसे टेस्ट और एक दिवसीय मैच खेलने थे.

– 2005 में पाकिस्तान टीम भारत आई. तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने पाकिस्तान के राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ को मैच देखने के लिए आमंत्रित किया. मुशर्रफ दिल्ली में मैच देखने आए. इससे दोनों देशों के बीच बढ़ते तनाव में कमी लाने में मदद मिली.

जब वर्ष 2001 में मोहाली में भारत और पाकिस्तान की टीमों के बीच सेमीफाइनल मैच खेला गया, तब भारतीय प्रधानमंत्री ने खासतौर पर पाकिस्तानी राष्ट्रपति जरदारी और प्रधानमंत्री गिलानी को आमंत्रित किया था

– वर्ष 2011 में भारत में हुए वर्ल्ड कप में बड़ी पैमाने पर पाकिस्तानी क्रिकेट प्रेमियों को पाकिस्तानी टीम का मैच देखने के लिए वीजा दिया गया. जब सेमीफाइनल में भारत का मुकाबला पाकिस्तान से था. तो मोहाली में हुए इस मैच को देखने के लिए पाकिस्तान के राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी, प्रधानमंत्री युसुफ रजा गिलानी आए. भारतीय प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने उनका स्वागत किया. इसके बाद दोनों देशों के बीच सद्भाव और शांति का नया माहौल बना. पाकिस्तान ने कई भारतीय कैदियों को रिहा किया. इसमें गोपाल दास नाम का वो कैदी भी शामिल था, जो जासूसी के आरोप में 27 सालों से पाकिस्तान जेल में था.

– 12 जुलाई 2012 को पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी ने भी वर्ष 2008 में दोनों देशों के बीच खत्म हुए क्रिकेट संबंधों की फिर बहाली की पैरवी की. उनका कहना था कि इससे दोनों देशों के बीच सकारात्मक माहौल बनता है.

Tags: India pakistan, India Pakistan match, India Pakistan Relations, S Jaishankar

FIRST PUBLISHED :

October 21, 2024, 16:17 IST

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