Explainer: प्लेन हाईजैक कई बार हुए, पर ट्रेन हाईजैक करना इतना मुश्किल क्यों?

13 hours ago

Last Updated:March 12, 2025, 03:19 IST

Train Hijack News: पाकिस्तान के बलूचिस्तान में ने ट्रेन हाईजैक कर ली गई. रेल के 200 सालों से भी अधिक के इतिहास में ऐसी घटना दुर्लभ है. वहीं, करीब 100 सालों के भीतर कई बार प्लेन हाईजैक किए जा चुके हैं.

 प्लेन हाईजैक कई बार हुए, पर ट्रेन हाईजैक करना इतना मुश्किल क्यों?

पिछले 50 साल के इतिहास में ट्रेन हाईजैक की घटनाएं यदा-कदा ही हुई हैं.

हाइलाइट्स

पाकिस्तान में बलूचिस्तान में ट्रेन हाईजैक की घटना हुई.ट्रेन हाईजैक करना प्लेन की तुलना में अधिक कठिन है.ट्रेन हाईजैक की घटनाएं इतिहास में बहुत कम हैं.

नई दिल्ली: पाकिस्तान के बलूचिस्तान में मंगलवार को एक ट्रेन को हाईजैक कर ली गई. कोटा से पेशावर जा रही Jaffar Express के रास्ते में बम धमाके से रेलवे ट्रैक उड़ाया गया. ट्रेन सुरंग में रुक गई और हमलावरों ने उसे अपने कब्जे में ले लिया. बलूच लिबरेशन आर्मी (BLA) नामक संगठन ने ट्रेन हाईजैक की जिम्मेदारी ली. ट्रेन हाईजैक की घटना बेहद दुर्लभ है. आधुनिक इतिहास विमानों के अपहरण की घटनाओं से भरा पड़ा है, लेकिन किसी ट्रेन को यूं हाईजैक करने की घटना चौंकाती हैं. रेल का इतिहास 200 साल से भी पुराना है, फिर भी ट्रेन हाईजैक के मामले बेहद कम हैं. आखिर ऐसा क्यों? क्या ट्रेन हाईजैक संभव नहीं है?

प्लेन हाईजैक का एक लंबा इतिहास

प्लेन हाईजैकिंग 20वीं सदी के मध्य से ही एक गंभीर खतरा रही है. शुरुआती दौर में, यह मुख्य रूप से राजनीतिक कारणों से होती थी. बाद में फिरौती, आतंकवाद और अन्य आपराधिक उद्देश्यों के लिए विमानों को हाईजैक किया जाने लगा. सबसे भयानक था 9/11 आतंकवादी हमला. 2001 में अल-कायदा ने चार विमानों को हाईजैक कर न्यूयॉर्क के वर्ल्ड ट्रेड सेंटर और पेंटागन पर हमला किया, जिसमें करीब 3,000 लोग मारे गए.

1948 से अब तक 1,000 से ज्यादा प्लेन हाईजैक हो चुके हैं. सिर्फ 1968 से 1972 के बीच ही 130 से ज्यादा हाईजैकिंग हुईं. 9/11 के बाद सिक्योरिटी सख्त होने से घटनाएँ घटी हैं, लेकिन अब भी खतरा बरकरार है.

ट्रेन हाईजैक: बहुत मुश्किल, लेकिन नामुमकिन नहीं

ट्रेन हाईजैक के मामले प्लेन की तुलना में बेहद कम हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि ट्रेन का ऑपरेशन काफी जटिल होता है. ट्रेन पर कब्जा जमाना इतना आसान नहीं है. इसी वजह से अपराधी और आतंकी संगठन ट्रेनों को हाईजैक करने की बजाय उनमें बम धमाके करने की साजिश रचते हैं.

ट्रेन को कंट्रोल करना जटिल है. प्लेन में कॉकपिट पर कब्जा कर लो तो पूरा जहाज कंट्रोल में आ जाता है, लेकिन ट्रेन में ऐसा नहीं है. इंजन, डिब्बे, सिग्नल सिस्टम अलग-अलग ऑपरेट होते हैं. ट्रेन ड्राइवर को मजबूर कर भी दिया तो रेलवे कंट्रोल रूम से ट्रैक का सिस्टम बंद किया जा सकता है. ट्रेनों को रोका जा सकता है. रेलवे नेटवर्क में आपातकालीन ब्रेक सिस्टम होता है, जिसे खींचने पर ट्रेन वहीं रुक जाती है. रेलवे कंट्रोल रूम किसी भी वक्त ट्रेन को रोक सकता है. ट्रेन रुकते ही सिक्योरिटी टीम पहुंच सकती है, जबकि प्लेन को जमीन से रोकना संभव नहीं. प्लेन में जगह कम होती है, यात्री बंद रहते हैं, इसलिए हाईजैकर्स आसानी से कंट्रोल ले सकते हैं. ट्रेन में यात्रियों के पास भागने या बचाव करने के ज्यादा मौके होते हैं. ट्रेन हाईजैक करने की कोशिश में अगर कोई गलत सिग्नल दे दिया जाए, तो पूरी ट्रेन पटरी से उतर सकती है, जिससे खुद हाईजैकर्स का भी नुकसान हो सकता है.

पिछले 50 साल में ट्रेन हाईजैक की घटनाएं

1976: साउथ मोलुक्कन अलगाववादियों ने नीदरलैंड में एक ट्रेन हाईजैक कर ली और 20 दिन तक यात्रियों को बंधक बनाए रखा. सरकार ने बातचीत से मामले को सुलझाने की कोशिश की, लेकिन अंत में सेना को ऑपरेशन करना पड़ा.

1986: पोलैंड में एक शख्स ने AK-47 लेकर ट्रेन पर कब्जा किया और उसे बर्लिन की ओर मोड़ने की मांग की. लेकिन सिक्योरिटी फोर्सेस ने उसे जल्द ही गिरफ्तार कर लिया.

1995: चेचन्या के आतंकवादियों ने रूस में एक ट्रेन हाईजैक कर ली. इसका मकसद रूस पर दबाव बनाना था.

Location :

New Delhi,Delhi

First Published :

March 12, 2025, 03:07 IST

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