Last Updated:September 22, 2025, 19:22 IST
Bihar Chunav@जीएसटी की नई दरों पर बिहार में सियासी घमासान मचा हुआ है. एनडीए इसे 'जीएसटी उत्सव' बता रही है, तो प्रशांत किशोर ने इस पर सवाल उठाए हैं. पीके का दावा है कि पेट्रोल-डीजल, सिलेंडर और खाद जैसी जरूरी चीजों पर दरें न घटने से बिहार के लोगों को कोई फायदा नहीं होगा. क्या पीके का तर्क सही है या यह सिर्फ चुनावी जुमला है?

Bihar Chunav@देश में आज से जीएसटी की नई दरें लागू हो गई हैं. केंद्र सरकार इसे आम जनता के लिए एक बड़ी राहत मान रही है. बीजेपी इसे पूरे देश में ‘जीएसटी उत्सव’ के तौर पर मना रही है. लेकिन, बिहार में इस ‘उत्सव’ पर चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने तीखे सवाल उठाकर एनडीए को बिहार चुनाव में मुश्किल में डाल दिया है. पीके का दावा है कि जीएसटी की दर घटने से बिहार के लोगों को कोई खास फायदा नहीं होगा, क्योंकि जिन चीजों से उनका सीधा सरोकार है, वे जीएसटी के दायरे में आती ही नहीं. जैसे पेट्रोल-डीजल, एलपीजी सिलेंडर और खाद. जन सुराज पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर ने कहा है कि जीएसटी रेट घटने से बिहार के लोगों को कोई खास फायदा नहीं होने वाला है. पीके का कहना है कि बिहार के लोग डीजल, पेट्रोल, सिलेंडर और खाद का सबसे ज्यादा खपत करते हैं. क्या इनके दाम घटेंगे?
पीके कहते हैं, ‘देखिए यूपी के मुकाबले में बिहार में प्रति लीटर डीजल 8-10 रुपये ज्यादा रेट है. बिहार में सबसे ज्यादा लोग तो डीजल से प्रभावित हैं. कार पर 28 प्रतिशत से टैक्स घटाकर 18 प्रतिशत कर दिया गया. बिहार में 100 में से 2 लोगों के पास कार है. बताइए कार पर जीएसटी घटाने से बिहार के लोगों को क्या फायदा हुआ? जिन चीजों से बिहार के लोगों को सरोकार है क्या उसका दम कम हुआ? क्या बिहार में पेट्रोल-डीजल के दाम घटे? अगर पेट्रोल-डीजल का दाम घट जाए, सिलेंडर का दाम घट जाए, खाद का दाम कम हो जाए. 250 रुपये का यूरिया खाद ब्लैक में 400 रुपये का बिक रहा है. आप जीएसटी कम करने का लोगों को लॉलीपॉप दे रहे हैं. आप यूरिया 266 रुपये में उपलब्ध करा दें. पेट्रोल-डीजल का दाम जितना यूपी में है, उतरा बिहार में करा दीजिए? बीजेपी वाले बेकार बात कर रहे हैं कि जीएसटी से ये हो गया वो हो गया.
बिहार चुनाव पर पड़ेगा असर?
हालांकि, पेट्रोल-डीजल जीएसटी के दायरे में नहीं आता. पेट्रोल-डीजल पर केंद्र सरकार एक्साइज ड्यूटी लगाती है और राज्य सरकारें वैट. इससे मिलने वाले टैक्स से राज्य सरकारों की वित्तीय सेहत ठीक रहती है . यही वजह है कि पेट्रोल-डीजल को GST के दायरे में शामिल नहीं किया जा सकता. वहीं, घरेलू सिलेंडर पर 5 प्रतिशत जीएसटी और कमर्शियल पर 18 प्रतिशत है. वहीं खाद पर भी जीएसटी लागू है.
पीके का ‘लॉलीपॉप’ तर्क
पीके ने अपने तर्क में कई मुद्दों को उठाया है, जो लोगों के बीच एक नई बहस छेड़ सकते हैं. उन्होंने सीधे तौर पर एनडीए सरकार से पूछा है कि अगर आप वाकई जनता को फायदा पहुंचाना चाहते हैं तो उन चीजों के दाम कम करें, जिनसे आम लोगों का रोजमर्रा का जीवन जुड़ा हुआ है. प्रशांत किशोर ने अपने बयान में जीएसटी की दरों में कमी को ‘लॉलीपॉप’ बताया है और अपने तर्क के लिए कुछ ‘मिथ’ गढ़े हैं, जिसका जवाब जानना जरूरी है.
यहां यह जानना जरूरी है कि पेट्रोल और डीजल जीएसटी के दायरे से बाहर हैं. इन पर केंद्र सरकार एक्साइज ड्यूटी और राज्य सरकारें वैट लगाती हैं. राज्यों की वित्तीय सेहत के लिए यह टैक्स बहुत जरूरी होता है, यही वजह है कि इसे जीएसटी में शामिल नहीं किया गया है. ऐसे में, पीके का यह तर्क कि ‘पेट्रोल-डीजल के दाम कम नहीं हुए’, सही नहीं है, क्योंकि जीएसटी से इसका कोई लेना-देना नहीं है. हालांकि प्रशांत किशोर का जीएसटी पर दिया गया बयान राजनीतिक तौर पर तो बहुत असरदार है, लेकिन तकनीकी तौर पर इसमें कई खामियां हैं.
रविशंकर सिंहचीफ रिपोर्टर
भारतीय विद्या भवन से पत्रकारिता की पढ़ाई करने वाले रविशंकर सिंह सहारा समय न्यूज चैनल, तहलका, पी-7 और लाइव इंडिया न्यूज चैनल के अलावा फर्स्टपोस्ट हिंदी डिजिटल साइट में भी काम कर चुके हैं. राजनीतिक खबरों के अलावा...और पढ़ें
भारतीय विद्या भवन से पत्रकारिता की पढ़ाई करने वाले रविशंकर सिंह सहारा समय न्यूज चैनल, तहलका, पी-7 और लाइव इंडिया न्यूज चैनल के अलावा फर्स्टपोस्ट हिंदी डिजिटल साइट में भी काम कर चुके हैं. राजनीतिक खबरों के अलावा...
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First Published :
September 22, 2025, 19:22 IST