Last Updated:July 02, 2025, 06:05 IST
INS Tamal Brahmos Missile: एयर के साथ ही मैरीटाइम वॉरफेयर लगातार नया रूप लेता जा रहा है. समुद्री डाकू के बाद अब चीन जैसे देशों की हरकतों को देखते हुए भारत के लिए समंदर में अपनी ताकत को बढ़ाना काफी अहम हो गया है...और पढ़ें

INS तमाल तुशील क्लास का स्टील्थ फ्रिगेट है, जो ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल से लैस है. (इंडियन नेवी के फेसबुक अकाउंट से साभार)
हाइलाइट्स
INS तमाल फ्रिगेट को इंडियन नेवी के बेड़े में शामिल किया गया हैब्रह्मोस क्रूज और बराक-8 मिसाइल से लैस, दुश्मनों का है कालभारत की समुद्री शक्ति में इजाफा, चीन को मिलेगा मुकम्मल जवाबINS Tamal Brahmos Missile: प्रशांत महासागर से लेकर हिन्द महासागर तक चीन लगातार अपना जाल फैला रहा है. ग्लोबल रूल्स को धता बताते हुए ऐसे कदम उठा रहा है, जिससे रीजन में मैरीटाइम सिक्योरिटी को लेकर बड़ा और गंभीर खतरा पैदा हो गया है. दक्षिण चीन सागर में बीजिंग के रवैये से अक्सर ही टकराव की स्थिति पैदा होती रहती है. जापान से लेकर वियतनाम और फिलीपींस जैसे देश चीन की हरकतों से परेशान हैं. हालात ऐसे बन गए हैं कि चीन से खुद को सुरक्षित करने के लिए कई देश अपनी सैन्य ताकत को बढ़ाने में जुटे हैं. चीन की गतिविधियां हिन्द महासागर में भी काफी बढ़ी हैं. रिसर्च के नाम पर चीन लगातार हस्तक्षेप कर रहा है. ऐसे में भारत की मैरीटाइम सिक्योरिटी को भी खतरा पैदा हुआ है. इसे देखते हुए भारत भी अपनी समुद्री ताकत को लगातार बढ़ा रहा है. फ्रीगेट से लेकर वॉरशिप और एयरक्राफ्ट कैरियर तक में हजारों करोड़ का निवेश किया जा रहा है. इसके अलावा भी इंडियन नेवी को अपग्रेड करने के लिए लगातार कदम उठाए जा रहे हैं. INS तमाल स्टील्थ फ्रिगेट इस दिशा में मील का पत्थर है. रूस के सहयोग से तुशील क्लास (किर्वाक-III) का INS तमाल फ्रिगेट को नेवी के बेड़े में 1 जुलाई 2025 को शामिल किया गया. इससे नेवी की ताकत में तो इजाफा होगा ही, देश की समुद्री सुरक्षा भी और पुख्ता होगी. भारत ने रूस के साथ वॉरशिप के साथ ही एयरक्राफ्ट कैरियर बनाने को लेकर हजारों करोड़ रुपये का करार किया है. INS तमाल की कमीशनिंग के साथ ही चार फ्रिगेट को लेकर किए गए डील में से दो की डिलीवरी हो चुकी है. बाकी के दो फ्रिगेट का निर्माण भारत में ही किया जाएगा. भारत और रूस के बीच तकरीबन 21000 करोड़ रुपये की डील अक्टूबर 2016 में किया गया था.
INS तमाल कई तरह की खूबियों से लैस है. अत्याधुनिक रडार सिस्टम के साथ ही इस फ्रिगेट में ब्रह्मोस क्रूज मिसाइल को भी फिट किया गया है. ब्रह्मोस मिसाइल की शुरुआती रेंज 290 किलोमीटर थी, जिसे बढ़ाकर 450 से 500 किलोमीटर तक किया गया है. यह कन्वेंशनल के साथ ही न्यूक्लियर वॉरहेड ले जाने में भी सक्षम है. INS तमाल तकरीबन 125 मीटर लंबा और 3900 टन वजनी है. स्टील्थ कैपेबिलिटी और स्लीक डिजाइन INS तमाल को काफी खास बनाता है. इंडिया डिफेंस रिसर्च विंग की रिपोर्ट के अनुसार, स्टील्थ फ्रिगेट INS तमाल में अत्याधुनिक रडार सिस्टम इंस्टॉल किया गया किया गया है. इसकी मदद से एयर स्ट्राइक के साथ ही मिसाइल अटैक का समय रहते पता चल जाएगा और उसका जवाब देना संभव हो सकेगा. INS तमाल की मदद से समुद्री सीमा की सुरक्षा करने के साथ ही दुश्मनों की किसी भी चाल का मुंहतोड़ जवाब दिया जा सकेगा. अल्ट्रा मॉडर्न वेपन सिस्टम दुश्मनों के लिए काल से कम नहीं है. हिन्द महासागर और हिन्द-प्रशांत क्षेत्र में INS तमाल के बेहद कारगर होने की संभावना है. चीन की आक्रामक नीतियों की वजह से ये दोनों क्षेत्र सिक्योरिटी के लिहाज से काफी संवेदनशील हो चुके हैं. इसके अलावा अरब सागर में कच्छ से लगती सीमा से पाकिस्तान की ओर से लगातार घुसपैठ की कोशिशें की जाती हैं. INS तमाल के नेवी के बेड़े में शामिल होने के बाद इनपर कड़ी नजर रखना संभव हो सकेगा.
नेवी ने कुछ दिनों पहले ही INS तमाल से ब्रह्मोस मिसाइल का परीक्षण किया है. (इंडियन नेवी के फेसबुक अकाउंट से साभार/फाइल फोटो)
INS तमाल और ब्रह्मोस की जोड़ी
इंडियन नेवी ने INS तमाल को बेड़े में शामिल करने से पहले अंडमान-निकोबार क्षेत्र में इसकी शक्ति का आकलन किया. मोबिलिटी के साथ ही नए फ्रिगेट में लगे वेपन सिस्टम का शक्ति परीक्षण किया गया. खासकर INS तमाल पर तैनात ब्रह्मोस क्रूज मिसाइल की ऑनबोर्ड टेस्टिंग की गई. ब्रह्मोस ने अपनी ताकत को इस तरह से दिखाया कि हर कोई हैरान रह गया. इंडिया डिफेंस रिसर्च विंग की रिपोर्ट की मानें तो ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल समंदर की सतह से महज 3 से 4 मीटर ऊपर मूवमेंट करते हुए टारगेट को ध्वस्त कर दिया. दिलचस्प बात यह है कि मूवमेंट और मैन्यूवरिंग के दौरान ब्रह्मोस मिसाइल की ऊंचाई (एलिवेशन) इतनी कम रही कि किसी भी रडार से इसे पकड़ पाना नामुमकिन के करीब है. दरअसल, रडार रेडिएशन पर काम करता है. न्यूनतम ऊंचाई पर मूल करने वाले ऑब्जेक्ट के रिफ्लेक्शन से रडार उसे कैच कर अलर्ट करता है, पर INS तमाल से छोड़े गई ब्रह्मोस क्रूज मिसाइल ने इतनी कम ऊंचाई पर मूव करते हुए टारगेट को तबाह कर दिया, जो रडार की पहुंच से दूर है. दुश्मनों के लिए भारत की यह सफलता किसी बुरे सपने से कम नहीं है.
भारतीय नौसेना समंदर में अपनी ताकत को लगातार बढ़ा रहा है. (इंडियन नेवी के फेसबुक अकाउंट से साभार)
S-500 या आयरन डोम जैसा सिस्टम भी होगा फेल
अब सवाल उठता है कि INS तमाल से दागी गई ब्रह्मोस मिसाइल को एयर डिफेंस सिस्टम से नाकाम किया जा सकता है या नहीं. बता दें कि INS तमाल को समुंदर की लड़ाई के लिए डिजाइन किया गया है. हालांकि, INS तमाल पर मौजूद मिसाइलें जमीन पर मौजूद टारगेट को भी तबाह करने में सक्षम हैं. मतलब समंदर से सतह पर मार करने में सक्षम मिसाइल्स भी इसपर तैनात की जा सकती हैं. INS तमाल को मल्टी-रोल ऑपरेशन के लिहाज से तैयार किया गया है. यह एंटी एयर, एंटी सरफेस (जमीन) और एंटी सबमरीन (पनडुब्बी) वॉरफेयर के लिए पूरी तरह से फिट है. INS तमाल से जिस तरह से ब्रह्मोस मिसाइल की टेस्टिंग की गई है, यदि एंटी सरफेस ऑपरेशन के दौरान यह उतनी ही ऊंचाई (तीन से चार मीटर) पर ट्रैवल करने में सक्षम रहा तो उसे किसी भी एयर डिफेंस सिस्टम से डिटेक्ट कर पाना काफी मुश्किल या नामुमकिन होगा. ऐसे में S-400, S-500 या आयरन डोम जैसी अत्याधुनिक वायु सुरक्षा प्रणाली भी इसके सामने फेल हो जाएंगी.
INS तमाल और बराक-8 मिसाइल
INS तमाल पर बराक-8 मिसाइलें भी तैनात की जा सकेंगी. बता दें कि बराक-8 मिसाइल को खासतौर पर एयर थ्रेट से निपटने के लि तैयार किया गया है. यह फाइटर जेट, मिसाइल या फिर UAV या ड्रोन से निपटने में सक्षम है. बराक-8 मिसाइल 70 से 100 किलोमीटर तक के टारगेट को तबाह करने में सक्षम है. बता दें कि यह वर्टिकल मिसाइल सिस्टम है जा 360 डिग्री कवरेज के साथ ऑपरेशन को अंजाम दे सकती है. थ्रेट को ट्रैक करने के साथ ही उसे तबाह करने की क्षमता की वजह से बराक-8 मिसाइल काफी कुख्यात हो जाती है. INS तमाल का कुल वजन 3900 टन है और लंबाई 125 मीटर है. इसके इंडियन नेवी में शामिल होने से भारतीय नौसेना और ताकतवर हो जाएगी.
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