Iran America war: ईरान पर हमले से पहले ट्रंप ने पुतिन को क्या बताया था? खामेनेई को तगड़ा झटका

3 hours ago

What Russia will support Iran: इजरायल के बाद अमेरिका के बमवर्षक विमानों ने परमाणु संयंत्रों पर हमला कर ईरान को हिला दिया है. ऐसे मुश्किल समय में ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अराघची रूस भागे. वहां कुछ घंटे पहले मॉस्को में राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ इमर्जेंसी मीटिंग की गई. दुनियाभर के लोगों के मन में एक ही सवाल है कि क्या ईरान के सुप्रीम लीडर अली खामेनेई की सत्ता को बचाने के लिए पुतिन अमेरिका से जंग लड़ेंगे? समय तेजी से निकलता जा रहा है. इधर, अमेरिका और इजरायल ईरान को लेकर प्लान-B पर भी काम करना शुरू कर चुके हैं. 

अब सवाल यह है कि ईरान को कौन सपोर्ट करेगा? शायद कोई नहीं. तमाम एक्सपर्ट यही मान रहे हैं कि ईरान सचमुच में अकेला पड़ चुका है. दशकों में ऐसा माहौल बना है जब अमेरिका ने सीधे अटैक किया है. अब ईरान के पास जवाबी हमला करने के लिए बहुत कम विकल्प हैं. ईरान की रूस के साथ भले ही रणनीतिक साझेदारी है लेकिन इस बात की संभावना बिल्कुल नहीं है कि रूस अमेरिका से सीधे लड़ेगा. वैसे, पुतिन को ईरान के ड्रोन अच्छे लगते हैं. वे खरीदकर इसका इस्तेमाल यूक्रेनी शहरों पर कर चुके हैं. कुछ-कुछ यही बात चीन पर भी लागू होती है. राष्ट्रपति शी जिनपिंग अमेरिका के ईरान पर हमले की आलोचना करते रहे हैं लेकिन वह लड़ने के लिए सेना वगैरह नहीं देने वाले. यह बात अलग है कि चीन हमेशा ईरान के तेल को कम कीमत पर खरीदने को आतुर रहता है. 

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सारी उम्मीदें ट्रंप पर लेकिन...

रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने सोमवार को ईरानी विदेश मंत्री से मिलने के बाद भी ईरान पर हमलों की पुरजोर तरीके से निंदा की. हालांकि इस समय तेहरान को निंदा से ज्यादा हथियार और मददगार चाहिए. कहा जा रहा है कि रूस ईरानी लोगों की मदद के लिए तैयार है. हालांकि आगे उसने कहा है कि अमेरिका के हमले से ईरान के परमाणु प्रतिष्ठानों को कितना नुकसान पहुंचा, यह स्पष्ट नहीं है. क्या कोई रेडिएशन संबंधी दिक्कत है, यह भी पता नहीं है. 

अंदर की बात समझिए

रूस ने ईरान के साथ जनवरी में रणनीतिक साझेदारी को लेकर संधि तो साइन की थी लेकिन इसमें एक दूसरे की रक्षा करने वाला क्लॉज शामिल नहीं था. क्रेमलिन के प्रवक्ता दमित्री पेशकोव ने इशारों में यह भी साफ कर दिया कि ट्रंप ने राष्ट्रपति पुतिन को पहले से तय किए गए हमलों के बारे में विस्तार से नहीं बताया था. हालांकि उन्होंने इतना जरूर कहा था कि अमेरिकी सेना भी इसमें शामिल हो सकती है. 

क्या रूस अब तैयार है? पेशकोव ने कहा कि मॉस्को मध्यस्थ के रूप में अपनी सेवा देने के लिए तैयार है. आगे क्या होगा, यह ईरान पर निर्भर करता है. साफ है रूस ने भी कदम पीछे खींच दिए. चीन से भी उम्मीद करना बेमानी होगी. वह भी अमेरिका से सीधे भिड़ना नहीं चाहेगा.

उधर, अमेरिका और इजरायल का गठजोड़ ईरान में प्लान-बी पर काम शुरू कर चुका है. जी हां, कुछ घंटे पहले Evin जेल के मुख्य गेट पर बड़ा हमला हुआ है. इसी जेल में खामेनेई के कई विरोधियों को बंद किया गया है. साफ है इजरायल उन्हें आजाद होने का मौका दे रहा है. आगे की रणनीति ईरान में सत्ता परिवर्तन हो सकती है. 

खामेनेई को पता था...

खामेनेई भी समझ रहे थे कि ईरान का कोई सच्चा दोस्त नहीं है. शायद इसलिए ईरान मिडिल ईस्ट में आतंकवादी समूहों को हथियार और धन मुहैया कराकर नॉन स्टेट एक्टर्स के दम पर अलग गठजोड़ बना रहा था. ईरान की प्लानिंग यह थी कि उसके साथ इतने लड़ाकू संगठन होंगे कि कोई भी अमेरिकी राष्ट्रपति युद्ध शुरू करने का जोखिम नहीं उठाएगा. इन संगठनों को मिसाइल आदि देकर इजरायल और अमेरिका के सहयोगियों के बेसों पर हमला करने की रणनीति रही. 

अब बाजी पलट गई

हालांकि अब सीन बदल चुका है. अब अमेरिकी बम ईरान पर गिर रहे हैं और सारे फंडेड संगठन कुछ नहीं कर पा रहे हैं. खामेनेई को लेबनान में हिजबुल्ला से उम्मीदें थीं जिसके खिलाफ इजरायल का एक्शन काफी पहले शुरू हो चुका था. इराक और सीरिया में शिया मिलिशिया भी खामोश कर दिए गए हैं. गाजा में हमास और यमन में हूती विद्रोहियों का बुरा हाल है. वे इजरायल और अमेरिका से बच नहीं पा रहे हैं. कुल मिलाकर देखें तो ईरान की रणनीति फेल होती दिख रही है. उधर, अमेरिका ने एक-एक कर सारे टारगेट हिट किए. अमेरिका से बी-2 बॉम्बर उड़ने से काफी पहले इजरायल व्यवस्थित तरीके से ईरान के हर मददगार को नष्ट या कमजोर कर चुका था. 

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