Iran Celebrations: 1979 की वो घटना, जब ईरान की हरकत से कांप गया था अमेरिका, शिया मुल्क में जमकर मना जश्न

5 hours ago

US Embassy Hijack: ईरान में मंगलवार यानी आज जश्न का माहौल है. वजह है साल 1979 में तेहरान में अमेरिकी दूतावास पर कब्जे की सालगिरह. इस साल जून में इजरायल के साथ 12 दिन के युद्ध और अमेरिका की तरफ से न्यूक्लियर साइट्स पर बमबारी के बाद ईरान में यह पहला जश्न है. 4 नवंबर 1979 को ईरानी स्टूडेंट्स सुरक्षाकर्मियों पर हमला कर दूतावास में घुस गए थे और उस पर कब्जा कर दर्जनों अमेरिकियों को बंधक बना लिया था. यह संकट एक साल से ज्यादा समय तक चला था.

तेहरान की सड़कों पर उतरे लोग

यह जश्न हर साल ईरान में मनाया जाता है. मंगलवार को हजारों लोग तेहरान की सड़कों पर उतर आए  और उन्होंने 'अमेरिका की मौत' और 'इजरायल की मौत' के नारे लगाए. कुछ के हाथों में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और इजरायली पीएम बेंजामिन नेतन्याहू के पुतले थे. उन्होंने इजरायली और अमेरिका के झंडे भी जलाए. ईरानी मीडिया के मुताबिक ईरान के अन्य शहरों में भी इसी तरह की बैठकें हुईं.

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रैलियों के दौरान ईरानी मिसाइलों की रेप्लिका दिखाई गईं, जिनमें से कुछ पर 'अमेरिका का नाश हो' लिखा था. यूरेनियम संवर्धन में इस्तेमाल होने वाली सेंट्रीफ्यूज मशीनों की रेप्लिका भी प्रदर्शन के दौरान दिखाई गईं.

ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्लाह अली खामेनेई ने सोमवार को स्टूडेंट्स से बातचीत में कहा कि अमेरिका के साथ रिश्ते ठीक करने को लेकर जल्द कोई कदम नहीं उठाया जाएगा. 

जून में मारे गए थे 1100 ईरानी

जून में हुई इजरायल की एयरस्ट्राइक में करीब 1100 ईरानी मारे गए थे, जिसमें मिलिट्री कमांडर्स और न्यूक्लियर साइंटिस्ट्स शामिल थे. इस दौरान अमेरिका ने ईरान की न्यूक्लियर साइट पर हमला किया था. इसके बाद ईरान ने पलटवार किया और इजरायल में 28 लोग मारे गए.

चली थी 5 दौर की बैठक

इसके बाद ईरान के न्यूक्लियर प्रोग्रम को लेकर अमेरिका के साथ उसकी 5 दौर की बैठक चली. ईरानी संसद के स्पीकर मोहम्मद बाघेर कालिबाफ रैली में अहम स्पीकर थे. उन्होंने अमेरिका और इजरायल पर ईरानी वैज्ञानिकों को मारने का आरोप लगाया. साथ ही कहा कि पश्चिमी देश नहीं चाहते कि ईरान स्वतंत्र, एकजुट और शक्तिशाली देश बने. उन्होंने पूर्व अमेरिकी एम्बेसी की आलोचना करते हुए कहा कि यह 'जासूसों की गुफा' थी.

साल 1979 की घटना के बाद से अमेरिका और ईरान के बीच कोई कूटनीतिक रिश्ते नहीं हैं. इस घटना में 52 अमेरिकियों को 444 दिनों तक बंधक बनाकर रखा गया था. 

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