JNUचुनाव में वोटों की गिनती कैसे होती है, हार-जीत का फैसला कैसे किया जाता है?

4 hours ago

नई दिल्ली (JNUSU Election Result). जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्रसंघ चुनाव (JNUSU) की मतगणना न केवल राजनीतिक घमासान का केंद्र होती है, बल्कि देश की सबसे बौद्धिक और तकनीकी रूप से जटिल चुनावी प्रक्रियाओं में भी शामिल है. DU से हटकर, JNU में मतों की गिनती ट्रांसपेरेंट, मैनुअल और स्टेप वाइज प्रक्रिया से बंधी हुई है. इससे हर मतपत्र का उचित मूल्यांकन सुनिश्चित किया जाता है. मतगणना की शुरुआत सभी मतदान केंद्रों के मतपत्रों को मिलाकर की जाती है.

अध्यक्ष पद के चुनाव की प्रक्रिया सबसे रोचक है. अध्यक्ष पद के लिए एकल संक्रमणीय मत प्रणाली (Single Transferable Vote-STV) का इस्तेमाल होता है. इस प्रणाली में जीतने के लिए केवल सबसे अधिक वोट पाना काफी नहीं होता, बल्कि वोटों का निर्धारित कोटा प्राप्त करना भी जरूरी है. अगर कोई उम्मीदवार कोटा पार करता है तो उसके एक्सट्रा वोट्स अन्य उम्मीदवारों को ट्रांसफर कर दिए जाते हैं. अगर कोई कोटा पार नहीं करता तो सबसे कम वोट पाने वाले को हटाकर उसके द्वितीय वरीयता के मतों को ट्रांसफर किया जाता है.

JNUSU मतगणना की प्रक्रिया

JNUSU चुनाव में मतपेटियों (Ballot Boxes) में डाले गए मतपत्रों (Ballot Papers) की गिनती की प्रक्रिया नीचे लिखे स्टेप्स में पूरी की जाती है:

1. शुरुआती तैयारी और छंटाई (Sorting)

मतपत्रों का मिश्रण (Mixing): सबसे पहले सभी मतदान केंद्रों से प्राप्त मतपेटियों को खोला जाता है और मतपत्रों को एक-दूसरे में मिलाया (Mixing) जाता है. इससे सुनिश्चित किया जाता है कि किसी विशेष मतदान केंद्र के मतों से कोई पैटर्न या रुझान न पहचाना जा सके. यह प्रक्रिया गोपनीयता और पारदर्शिता के लिए जरूरी है.

वैधता की जांच (Scrutiny): मतपत्रों की गिनती शुरू करने से पहले चुनाव समिति (Election Committee) सुनिश्चित करती है कि सभी मतपत्र वैध (Valid) हैं या नहीं. अगर मतपत्र पर मतदाता के हस्ताक्षर नहीं हैं या उस पर कोई पहचान चिन्ह है तो उसे अमान्य (Invalid) घोषित कर दिया जाता है.

2. पद-वार गणना (Post-wise Counting)

JNUSU में मतगणना सेंट्रल पैनल के चारों पदों (अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, महासचिव, संयुक्त सचिव) और काउंसलर पदों के लिए अलग-अलग की जाती है.

मतों की छंटाई: मतपत्रों को पहले पद के आधार पर, फिर उस पद के लिए डाले गए वोटों के आधार पर उम्मीदवारों के अलग-अलग बंडल में छांटा जाता है.

3. कोटा प्रणाली (Quota System) – अध्यक्ष पद के लिए

JNUSU चुनाव में अध्यक्ष पद के लिए आनुपातिक प्रतिनिधित्व (Proportional Representation) की एकल संक्रमणीय मत प्रणाली (Single Transferable Vote – STV) का उपयोग किया जाता है.

कोटा निर्धारण: जीतने वाले उम्मीदवार को वोटों का एक निर्धारित कोटा प्राप्त करना जरूरी होता है. यह कोटा कुल वैध मतों की संख्या पर निर्भर करता है.

अतिरिक्त मतों का हस्तांतरण: अगर किसी उम्मीदवार को पहले ही दौर में कोटा मिल जाता है तो वह विजयी घोषित होता है. अगर उसके पास कोटा से अधिक वोट हैं तो उन अतिरिक्त वोटों को (उनके मतपत्रों पर अगली वरीयता के आधार पर) अन्य उम्मीदवारों में ट्रांसफर कर दिया जाता है.

अंतिम उम्मीदवार का निष्कासन: अगर किसी को कोटा नहीं मिलता है तो सबसे कम वोट वाले उम्मीदवार को हर दौर में हटा दिया जाता है. फिर उसके मतपत्रों पर अंकित अगली वरीयता के वोट्स अन्य उम्मीदवारों में तब तक ट्रांसफर किए जाते हैं, जब तक कि किसी उम्मीदवार को आवश्यक कोटा नहीं मिल जाता.

नोट: अन्य तीन पद (उपाध्यक्ष, महासचिव, संयुक्त सचिव) आमतौर पर सर्वाधिक मत प्राप्त करने वाले (First Past The Post) प्रणाली से गिने जाते हैं. इनमें सबसे अधिक वोट पाने वाला जीतता है.

4. जरूरी है एजेंट की उपस्थिति

जेएनयू छात्रसंघ चुनाव में पूरी मतगणना प्रक्रिया उम्मीदवारों के पोलिंग एजेंट की उपस्थिति में होती है, जो वोटों की गिनती पर कड़ी निगरानी रखते हैं. कोई भी गड़बड़ी होने पर वे तुरंत आपत्ति दर्ज करा सकते हैं, जिससे पूरी प्रक्रिया पारदर्शी बनी रहती है.

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