LIVE: NISAR का लॉन्च शुरू, धरती को 6 दिन में स्कैन करेगा ISRO-NASA का सैटेलाइट

22 hours ago

NISAR Launch LIVE: ISRO और NASA मिलकर एक ऐतिहासिक मिशन लॉन्च करने जा रहे हैं. इस मिशन का नाम है- GSLV-F16/NISAR. मिशन को श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से शाम 5:40 बजे GSLV-F16 रॉकेट के जरिए लॉन्च किया जाएगा. लॉन्च इवेंट ISRO के यूट्यूब चैनल पर शाम 5:10 बजे से लाइव दिखाया जाएगा. हम यहां आपको NISAR की लॉन्चिंग से जुड़े लेटेस्ट अपडेट देंगे.

क्या है NISAR मिशन?

NISAR (NASA-ISRO Synthetic Aperture Radar) धरती को स्कैन करने वाला अब तक का सबसे एडवांस सैटेलाइट है. इसमें NASA का L-band रडार और ISRO का S-band रडार लगाया गया है. ये दोनों रडार मिलकर दिन-रात, बारिश-धूप में हर मौसम में बहुत हाई-क्वालिटी तस्वीरें भेज पाएंगे. इसका मकसद है – जमीन धंसने, ग्लेशियर के पिघलने, जंगलों के बदलते हालात और समुद्री किनारों पर हो रहे बदलावों पर नजर रखना.

ये ISRO का 102वां मिशन है और पहली बार कोई GSLV रॉकेट किसी रडार-आधारित Earth Observation Satellite को लॉन्च करेगा.

क्या-क्या स्टडी करेगा NISAR?

ISRO के मुताबिक, NISAR सैटेलाइट से जो डेटा मिलेगा, उससे कई बड़े बदलावों की जानकारी मिलेगी, जैसे:

-भूकंप, भूस्खलन और ग्लेशियर पिघलने से जुड़ी जमीन की मूवमेंट

-जंगलों की कटाई-बढ़ोतरी और जैव विविधता पर असर

-समुद्री स्तर बढ़ना और तटों पर होने वाले बदलाव

-हिमालय, अंटार्कटिका और ध्रुवीय इलाकों में बर्फ की हालत

-पहाड़ों का खिसकना, जंगलों में मौसम के साथ बदलाव

-खेती और फसलों की सेहत पर निगरानी

ये सारी जानकारियां वैज्ञानिकों को क्लाइमेट चेंज को समझने, प्राकृतिक आपदाओं की भविष्यवाणी करने और नेचुरल रिसोर्स को मैनेज करने में मदद करेंगी.

कितने साल में बना NISAR

NISAR मिशन को तैयार करने में ISRO और NASA को 8 से 10 साल का वक्त लगा. दोनों एजेंसियों ने मिलकर रडार तकनीक को डिजाइन किया और इसकी टेस्टिंग की. लॉन्च के बाद इसके सभी सिस्टम की जांच की जाएगी, फिर ये पूरी तरह से काम करना शुरू करेगा.

क्यों खास है NISAR

NISAR में दो रडार लगे हैं:

L-band SAR (NASA का) – जो घने जंगलों और जमीन के अंदर तक झांक सकता है. इससे मिट्टी की नमी, जंगलों और ग्लेशियर की स्टडी होती है.

S-band SAR (ISRO का) – जो खेतों, शहरों और समुद्री इलाकों की बारीकी से निगरानी कर सकता है.

इस डुअल रडार सिस्टम की मदद से NISAR हर मौसम में, दिन-रात लगातार डेटा भेज सकेगा. इससे वैज्ञानिक जल्दी-जल्दी आने वाले बदलावों को पकड़ सकेंगे – जैसे भूकंप आने से पहले जमीन का मूवमेंट, बाढ़ के खतरे या जंगलों में हो रहे नुकसान.

GSLV-F16 रॉकेट – तीन स्टेज वाला ताकतवर लॉन्च व्हीकल

इस मिशन को GSLV-F16 रॉकेट से भेजा जाएगा. ये तीन स्टेज वाला रॉकेट है:

पहला स्टेज – सॉलिड फ्यूल से चलता है और शुरुआत में जोरदार थ्रस्ट देता है.

दूसरा स्टेज – लिक्विड फ्यूल से चलता है जो रॉकेट को ऊपर तक पहुंचाता है.

तीसरा स्टेज (Cryogenic) – लिक्विड हाइड्रोजन और ऑक्सीजन से चलता है. ये इंडिया में बना एडवांस इंजन है जो बहुत ठंडे तापमान पर काम करता है.

ये रॉकेट NISAR को 740 किलोमीटर ऊपर पोलर ऑर्बिट में 19 मिनट के अंदर पहुंचा देगा.

पूरी दुनिया को मिलेगा फायदा

NISAR हर 6 दिन में पूरी धरती को हाई-रेजोल्यूशन में स्कैन करेगा. पहले ISRO के सैटेलाइट भारत पर ज्यादा फोकस करते थे, लेकिन NISAR का डेटा पूरी दुनिया के वैज्ञानिक, सरकारें और इंडस्ट्री इस्तेमाल कर सकेंगी.

कैसे होगा इसके डेटा का इस्तेमाल

क्लाइमेट चेंज – बर्फ के पिघलने, जंगलों के कटने और कार्बन स्टोरेज की स्टडी

प्राकृतिक आपदा – भूस्खलन, भूकंप और ज्वालामुखी के खतरे की पहचान

शहरी प्लानिंग – जमीन धंसने और इन्फ्रास्ट्रक्चर की निगरानी

खेती और फूड सिक्योरिटी – फसलों की हालत और मिट्टी की नमी की जानकारी

NISAR सिर्फ एक सैटेलाइट नहीं, बल्कि धरती की निगरानी का सबसे ताकतवर सिस्टम बनने जा रहा है. भारत और अमेरिका की साझेदारी से बना ये मिशन ना सिर्फ साइंस को नई दिशा देगा, बल्कि दुनिया को प्राकृतिक आपदाओं और क्लाइमेट चेंज से लड़ने में भी तैयार करेगा.

Read Full Article at Source