Last Updated:July 10, 2025, 12:01 IST
supreme court sir voter list revision hearing Live Update in Hindi: बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू हुई. कपिल सिब्बल ने SIR को असंवैधानिक और भेदभावपूर्ण...और पढ़ें

सुप्रीम कोर्ट में वोटर पुनरीक्षण के मसले पर सुनवाई चल रही है.
हाइलाइट्स
सुप्रीम कोर्ट में बिहार SIR पर सुनवाई शुरू हुई.कपिल सिब्बल ने SIR को असंवैधानिक बताया.सिब्बल ने SIR से लाखों लोगों के नाम हटने का खतरा बताया.गोपाल शंकरनारायणन ने कहा कि — आयोग का कहना है कि अगर आप 2003 की सूची में हैं, तो आप माता-पिता के दस्तावेजों से बच सकते हैं. वरना दूसरों को नागरिकता साबित करनी होगी. उन्होंने कला क्षेत्र और खिलाड़ियों को छूट दी है और यह पूरी तरह से मनमाना और भेदभावपूर्ण है.
जस्टिस धूलिया ने पूछा कि- वे जो कर रहे हैं वह संविधान के तहत अनिवार्य है. आप यह नहीं कह सकते कि वे ऐसा कुछ कर रहे हैं, जो संविधान के तहत अनिवार्य नहीं है. उन्होंने 2003 की तारीख तय की है, क्योंकि गहन अभ्यास किया जा चुका है. उनके पास इसके आंकड़े हैं. चुनाव आयोग के पास इसके पीछे एक तर्क है.
गोपाल शंकरनारायणन ने कहा कि— इस प्रक्रिया का कानून के तहत कोई आधार नहीं है. यह मनमाना और भेदभावपूर्ण है. 2003 में उन्होंने जो कृत्रिम रेखा खींची है, वह कानून की अनुमति नहीं देती. संशोधन प्रक्रिया 1950 के अधिनियम में निर्धारित है.
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supreme court sir voter list revision hearing Live Update in Hindi: बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू हो गई है. वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने याचिकाकर्ताओं की ओर से अपनी दलीलें पेश कर रहे हैं. इसमें उन्होंने SIR प्रक्रिया को असंवैधानिक और भेदभावपूर्ण करार दिया. यह सुनवाई जस्टिस सुधांशु धूलिया की अध्यक्षता वाली बेंच के समक्ष हो रही है, जिसमें एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR), कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस की नेता महुआ मोइत्रा की याचिकाएं शामिल हैं. सिब्बल के साथ वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी और गोपाल शंकर नारायणन भी कोर्ट में मौजूद है.
कपिल सिब्बल ने तर्क दिया कि SIR प्रक्रिया से लाखों लोगों खासकर महिलाओं, गरीबों और अल्पसंख्यक समुदायों के नाम मतदाता सूची से हटाए जाने का खतरा है. उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग ने इस प्रक्रिया के लिए बेहद कम समय दिया है जो पारदर्शी और निष्पक्ष नहीं है. सिब्बल ने जोर देकर कहा कि आधार कार्ड को नागरिकता का सबूत मानने से इनकार करना और अन्य दस्तावेजों की मांग करना हाशिए पर रहने वाले समुदायों के लिए अन्यायपूर्ण है.
उन्होंने इसे संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन बताया और तत्काल अंतरिम राहत की मांग की. सिब्बल ने यह भी चेतावनी दी कि SIR से बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले मतदाता सूची में बड़े पैमाने पर बदलाव हो सकते हैं, जो लोकतांत्रिक प्रक्रिया को प्रभावित करेगा.
न्यूज18 हिंदी में बतौर एसोसिएट एडिटर कार्यरत. मीडिया में करीब दो दशक का अनुभव. दैनिक भास्कर, दैनिक जागरण, आईएएनएस, बीबीसी, अमर उजाला, जी समूह सहित कई अन्य संस्थानों में कार्य करने का मौका मिला. माखनलाल यूनिवर्स...और पढ़ें
न्यूज18 हिंदी में बतौर एसोसिएट एडिटर कार्यरत. मीडिया में करीब दो दशक का अनुभव. दैनिक भास्कर, दैनिक जागरण, आईएएनएस, बीबीसी, अमर उजाला, जी समूह सहित कई अन्य संस्थानों में कार्य करने का मौका मिला. माखनलाल यूनिवर्स...
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