Last Updated:August 31, 2025, 10:22 IST
PM Modi-Xi Jinping Meet: चीन में पीएम मोदी और राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच महामुलाकात चल रही है. ट्रंप के टैरिफ पर मनमाने रवैये के बीच दुनिया भर की निगाहें इस मीटिंग पर टिकी हैं.

शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की अहम द्विपक्षीय बैठक हुई. इस मुलाकात में पीएम मोदी ने कहा कि पिछले साल कज़ान में हुई चर्चा ने भारत-चीन संबंधों को सकारात्मक दिशा दी थी. पीएम मोदी ने इसके साथ ही शी जिनपिंग से कहा कि हम आपसी रिश्तों को आगे ले जाने के लिए प्रतिबद्ध हैं
पीएम मोदी ने आगे कहा, ‘पिछले वर्ष कज़ान में हमारी बहुत सार्थक बातचीत हुई थी, जिसने हमारे रिश्तों को एक सकारात्मक दिशा दी. सीमा पर डिसएंगेजमेंट (टकराव से पीछे हटने) के बाद शांति और स्थिरता का माहौल बना है.’
डायरेक्ट फ्लाइट, मानसरोवर यात्रा फिर शुरू
इस दौरान पीएम मोदी ने कहा, ‘हमारे विशेष प्रतिनिधियों के बीच सीमा प्रबंधन को लेकर एक समझौता हुआ है. कैलाश मानसरोवर यात्रा फिर से शुरू हो गई है. दोनों देशों के बीच सीधी उड़ानें भी दोबारा शुरू की जा रही हैं. हमारे सहयोग से दोनों देशों के 2.8 अरब लोगों के हित जुड़े हुए हैं. यह पूरी मानवता के कल्याण का भी मार्ग प्रशस्त करेगा. हम आपसी विश्वास, सम्मान और संवेदनशीलता के आधार पर अपने संबंधों को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध हैं.’
पीएम मोदी और शी जिनपिंग के बीच दस महीने बाद यह पहली द्विपक्षीय बातचीत हुई. ये दोनों नेता पिछली बार 2024 में रूस के कज़ान में आयोजित ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान मिले थे. माना जा रहा है कि पीएम मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच इस बैठक का खास फोकस भारत-चीन संबंधों को मजबूत करने और हाल ही में हुई प्रगति को आगे बढ़ाने पर रहेगा.
भारत-चीन के पास बड़ा मौका
इस बैठक का रास्ता हाल ही में उस समय साफ हुआ जब भारत और चीन ने 3,500 किलोमीटर लंबी वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर गश्ती प्रोटोकॉल पर सहमति बनाई. इस समझौते ने चार साल से चल रहे सीमा विवाद को काफी हद तक कम कर दिया है.
चीनी अखबार ग्लोबल टाइम्स के मुताबिक, पीएम मोदी की ये यात्रा दोनों देशों के बीच तनाव कम कर सकती है. चीन और भारत के बीच द्विपक्षीय बातचीत को बढ़ावा देने का एक बड़ा मौका साबित हो सकता है.
अखबार ने इसके साथ कहा कि शी जिनपिंग इस समिट के जरिये दुनिया को ये दिखाने की कोशिश करेंगे कि वो अमेरिका के लीडरशिप वाले ग्लोबल ऑर्डर का एक विकल्प दे सकते हैं. इसके साथ ही SCO समिट से ये मैसेज भी जाएगा कि चीन, रूस, ईरान और अब भारत को अलग-थलग करने की अमेरिकी कोशिशें नाकाम रही है.
भारत की भी कूटनीतिक परीक्षा
इसके साथ ही भारत के लिए ये समिट इसलिए अहम है, क्योंकि जून 2025 में किंगदाओ में हुई एससीओ रक्षा मंत्रियों की बैठक में भारत ने उस संयुक्त बयान पर दस्तख़त करने से इनकार किया था, जिसमें 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले का ज़िक्र नहीं था. अब इस शिखर सम्मेलन में भारत इस मुद्दे को जोर-शोर से उठा सकता है और आतंकवाद पर सदस्य देशों का समर्थन लेने की कोशिश करेगा. चूंकि पाकिस्तान भी SCO का सदस्य है, ऐसे में ये भारत के लिए कूटनीति का बड़ा इम्तिहान भी होगा.
पीएम मोदी ने इस हफ्ते जापान के अख़बार द योमिउरी शिंबुन को दिए इंटरव्यू में कहा था कि भारत, चीन के साथ संबंधों को ‘आपसी सम्मान, आपसी हित और आपसी संवेदनशीलता’ के आधार पर आगे बढ़ाने के लिए तैयार है. उन्होंने कहा कि कज़ान में शी जिनपिंग से मुलाकात के बाद से दोनों देशों के रिश्तों में ‘स्थिर और सकारात्मक प्रगति’ हुई है.
पीएम मोदी ने यह भी कहा कि भारत और चीन के बीच स्थिर और सौहार्दपूर्ण संबंध न केवल दोनों देशों के लिए बल्कि क्षेत्रीय और वैश्विक शांति व समृद्धि के लिए भी बेहद अहम हैं. वैश्विक आर्थिक अस्थिरता का जिक्र करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि भारत और चीन जैसे दो बड़े देश मिलकर दुनिया की आर्थिक व्यवस्था में स्थिरता ला सकते हैं.
An accomplished digital Journalist with more than 13 years of experience in Journalism. Done Post Graduate in Journalism from Indian Institute of Mass Comunication, Delhi. After Working with PTI, NDTV and Aaj T...और पढ़ें
An accomplished digital Journalist with more than 13 years of experience in Journalism. Done Post Graduate in Journalism from Indian Institute of Mass Comunication, Delhi. After Working with PTI, NDTV and Aaj T...
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First Published :
August 31, 2025, 09:31 IST