Sharia Law Implemented in Terengganu State: इस्लाम में जुमे (शुक्रवार) की नमाज को एक अनिवार्य फर्ज माना गया है. यह इस्लाम की 5 पहचान में से एक है. लेकिन काफी लोग अपने काम-धंधों की वजह से हमेशा जुमे की नमाज में शामिल नहीं हो पाते. अब ऐसे लोगों के लिए बुरी खबर आ गई है. उन्हें अब हर हालत में मस्जिद में जाकर जुमे की नमाज पढ़नी ही होगी. ऐसा न करने पर उन्हें भारी हर्जाना भुगतना पड़ सकता है. साथ ही 2 साल की जेल की सजा भी हो सकती है.
इस राज्य में जारी हुआ शरिया कानून
यह हैरतअंगेज फैसला मलेशिया के तेरेंगानु राज्य में उठाया गया है. इस प्रांत में इस्लामिक पैन-मलेशियाई इस्लामिक पार्टी (PAS) का शासन है. सरकार ने मस्जिदों में जुमे की नमाज के दौरान लोगों की घटती संख्या को काबू करने के लिए कड़े शरिया कानून लागून करने का आदेश दिया है. इसके तहत अब राज्य में रहने वाले हरेक मुसलमान को जुमे की नमाज पढ़ने के लिए मस्जिद जाना ही होगा.
राज्य की कार्यकारी परिषद के सदस्य मुहम्मद खलील अब्दुल हादी ने कहा कि शुक्रवार की नमाज न केवल एक धार्मिक प्रतीक है, बल्कि मुसलमानों के बीच आज्ञाकारिता की अभिव्यक्ति भी है. इस्लाम के इस अनिवार्य फर्ज को पूरा करने में किसी को भी छूट नहीं दी जा सकती.
अब हर जुमे को जाना होगा मस्जिद वरना...
उन्होंने बताया कि अभी तक लगातार तीन जुमे मस्जिद में नमाज़ न पढ़ने वालों को ही दंड का सामना करना पड़ता था. लेकिन अब इस आदेश में बदलाव कर दिया गया है. अब से राज्य में रहने वाले हर मुसलमान को जुमे की नमाज पढ़ने के लिए मस्जिद में जाना ही होगा.
उन्होंने कहा कि अगर कोई मुसलमान वैध वजह के बिना जुमे की नमाज को छोड़ता है तो शरिया कानून के तहत उसे 2 साल तक की सजा हो सकती है. साथ ही 56 हजार रुपये का जुर्माना भुगतना पड़ सकता है.
इस्लामिक देश है मलेशिया
बता दें कि मलेशिया के संविधान में इस्लाम को आधिकारिक रूप से राज्य धर्म का दर्जा प्राप्त है. इसी संविधान में राज्यों को राज्यों को इस्लामिक मामलों पर व्यक्तिगत और पारिवारिक कानून बनाने का अधिकार है. इसी संविधान में मिले अधिकारों का इस्तेमाल कर तेरेंगानु राज्य में यह फैसला लिया गया है.
12 लाख की है आबादी
तेरेंगानु राज्य की आबादी करीब 12 लाख है. जिसमें अधिकतर मलय मुसलमान हैं. वह मलेशिया का एकमात्र ऐसा राज्य है जिसकी विधानसभा में कोई विपक्ष नहीं है. वर्ष 2022 में हुए चुनाव मे लोगों ने राज्य की सभी 32 सीटों पर PAS को चुना था. अब राज्य में इस्लामिक कानूनों को और सख्त करके पार्टी को उम्मीद है कि 2 साल बाद होने वाले मलेशिया के आम चुनावों में उसे फायदा होगा.