Opinion: इंडिया का लॉन्‍ग गेम और पाकिस्‍तान के शॉर्ट वॉर का द एंड

2 days ago

Last Updated:June 04, 2025, 13:36 IST

Operation Sindoor: पाकिस्‍तान अक्‍सर भारत के साथ छोटे-छोटे युद्ध लड़कर व्‍यापक नुकसान पहुंचाने की कोशिश में रहता था. पहलगाम अटैक और उसके बाद इंडिया के ऑपरेशन सिंदूर ने पाकिस्‍तान के 'शॉर्ट वॉर गेम' की रणनीति को...और पढ़ें

 इंडिया का लॉन्‍ग गेम और पाकिस्‍तान के शॉर्ट वॉर का द एंड

ऑपरेशन सिंदूर में स्‍वदेशी तकनीक से विकसित वेपन सिस्‍टम पाकिस्‍तान के लिए काल साबित हुआ.

हाइलाइट्स

ऑपरेशन सिंदूर ने पाकिस्‍तान की दशकों पुरानी रणनीति के ध्‍वस्‍त कर दियापड़ोसी देश अक्‍सर 'शॉर्ट वॉर' की स्‍ट्रैटजी अपनाकर भारत को उकसाता थाभारत ने पहलगाम अटैक के बाद ऐसा जवाब दिया ज‍िससे इस्‍लामाबाद पस्‍त

Probal DasGupta

जब युद्ध समाप्त हुआ और धुंध छंटी, तो तबाही के निशान धुएं की परत के पीछे से सामने आए. जो तस्वीर अब दिखी, वह उस समय के शोर और अफवाहों से बिल्कुल अलग थी. अब असली कारण समझ आया—रहीम यार खान, नूर खान एयरबेस का नष्ट होना और पाकिस्तानी जनरलों का घमंड. युद्ध क्षेत्र के बाहर भी ‘वॉर फॉग’ यानी भ्रम की स्थिति अक्सर नासमझ और कल्पनाशील लोगों को भटका देती है. लेकिन, एक और वर्ग है जो इसका शिकार होता है—हमेशा हीन भावना से ग्रसित लोग. भारत के साथ युद्धों के लंबे इतिहास के कारण, पाकिस्तान के जनरलों के मन में भारत को लेकर एक जुनून जैसा बैठ गया है. इसी जुनून में उन्होंने हमेशा छोटे युद्ध छेड़ने की योजना बनाई, जिससे उन्हें झूठे दावे करने का मौका मिल सके. एक बार फिर, रावलपिंडी के जनरलों ने सोचा कि वे युद्ध छेड़कर जीत का दावा करेंगे, लेकिन वे भारत की राजनीतिक और सैन्य प्रतिक्रिया के लिए तैयार नहीं थे.

उकसावा और जवाब

पाकिस्तान का इतिहास बताता है कि वह लंबे युद्ध लड़ने की इच्छा नहीं रखता है. साल 1965 में अयूब खान और जुल्फिकार अली भुट्टो ने चीन से पूछा कि क्या भारत से छोटा युद्ध संभव है. जब झाउ एनलाई ने कहा था कि युद्ध में शहर खो सकते हैं, तो वे पीछे हट गए. भारत की सेना लाहौर से कुछ मील दूर पहुंच गई थी. इसी तरह साल 1971 में भी अमेरिका की संभावित मदद के बावजूद भारत की पूर्वी पाकिस्तान में तेज़ कार्रवाई ने पाकिस्तान को हारने पर मजबूर किया. इसके बाद जनरल ज़िया-उल-हक ने एक नई रणनीति अपनाई – भारत में छोटे स्तर पर अशांति फैलाना, खासकर पंजाब और फिर कश्मीर में. ज़िया की ‘हज़ार ज़ख़्मों की नीति’ इसी सोच पर आधारित थी कि भारत कभी बड़ा युद्ध नहीं छेड़ेगा. फिर जब पाकिस्तान परमाणु शक्ति बना, तो उसने दुनिया को इसका डर दिखाकर दबाव में लेने की नीति अपनाई. ISI ने आतंकवादी संगठनों को मोहरा बनाकर हमले करवाए और फिर इनकार किया या चुप रहा. भारत ने 26/11, पठानकोट, पुलवामा हमले जैसे मामलों में पाकिस्तान को कई बार सबूत दिए, लेकिन पाकिस्तान ने उन्हें नकार दिया.

ऑपरेशन सिंदूर की सफलता

हर बार पाकिस्तानी सेना ने पहले हमला करके भारत को जवाब देने पर मजबूर किया और भारत ने संयम और कूटनीति से प्रतिक्रिया दी. लेकिन, इस बार जब पहलगाम में हमला हुआ तो पाकिस्तान को भारत से आक्रामक जवाब की उम्मीद थी, पर जो हुआ, वह उससे भी ज़्यादा था. भारत ने जैश-ए-मोहम्मद के आतंकियों और सेना के ठिकानों को तेजी और सटीकता से निशाना बनाया.

भारत ने 5 महत्वपूर्ण चीज़ें हासिल कीं -:

अब्दुल रऊफ अज़हर को मार गिराया, जो डेनियल पर्ल की हत्या में शामिल था. पाकिस्तान ‘परमाणु ढाल’ के बावजूद अपने आतंकवादियों की रक्षा नहीं कर सका. भारत ने अमेरिकी, परमाणु और चीनी रक्षा प्रणालियों को भी निशाना बनाया. भारत ने परमाणु युद्ध की दहलीज़ पार किए बिना युद्ध जीतने का दुर्लभ उदाहरण पेश किया. भारत ने दिखाया कि वह भविष्य की लड़ाइयों के लिए तैयार है. SCALP मिसाइल, Harop ड्रोन, Dhanush तोप, Akash मिसाइल जैसी स्वदेशी तकनीक ने महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाई.

कैसा रहा रिएक्‍शन

शुरुआत में पाकिस्तान ने सोशल मीडिया और पश्चिमी मीडिया का इस्तेमाल कर भारत को गलत साबित करने की कोशिश की. लेकिन, जब सैटेलाइट तस्वीरें सामने आईं, तो सच्चाई दुनिया के सामने आ गई. प्रसिद्ध विश्लेषकों जैसे टॉम कूपर, जॉन स्पेंसर और ब्रूस राइडेल ने भारत की जीत को स्पष्ट बताया. भारत के हमले में पाकिस्तान के एयरबेस, हैंगर और डिफेंस सिस्‍टम तबाह हो गईं. भारत ने सबूत भी दिए. जैसे मैक्सर टेक्नोलॉजी की सैटेलाइट तस्वीरें. वहीं, पाकिस्तान अपने दावों के कोई प्रमाण नहीं दे सका.

फील्ड मार्शल का खेल

पाकिस्तानी सेना ने घरेलू मोर्चे पर अपनी साख बचाने के लिए फील्ड मार्शल कार्ड खेला. एयर चीफ मार्शल बाबर सिद्दू को मिली लोकप्रियता से घबराकर जनरल आसिम मुनीर को अचानक फील्ड मार्शल बना दिया गया. इससे सेना और एयरफोर्स के बीच नई प्रतिस्पर्धा शुरू हो गई.

भविष्य की लड़ाई

भारत की रक्षा कंपनियों के शेयर 39% तक बढ़ गए. स्वदेशी रक्षा उपकरणों ने बड़ी भूमिका निभाई. ब्रह्मोस मिसाइल के नए ऑर्डर मिले. फिलिपींस, वियतनाम, इंडोनेशिया में इस मिसाइल की डिमांड की है. वहीं, अमेरिकी हथियारों की मांग घटती दिखी. राजनीतिक स्तर पर भी भारत ने एकजुटता दिखाई. बैजयंत पांडा, शशि थरूर, रविशंकर प्रसाद जैसे नेताओं ने दुनियाभर में भारत का पक्ष रखा. आश्चर्य की बात ये रही कि भारत द्वारा पाकिस्तान पर सीधे हमले के बावजूद, ज़्यादातर देशों ने भारत की आलोचना नहीं की. टॉम कूपर के अनुसार, भारत ने किराना हिल्स के एटोमिक वेपन स्‍टोरेज को व्‍यापक पैमाने पर नुकसान पहुंचाया है. यह युद्ध पाकिस्तान की लंबे युद्ध लड़ने की क्षमता को आर्थिक और सैन्य रूप से निष्क्रिय करने के लिए लड़ा गया था.

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New Delhi,Delhi

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