Last Updated:June 04, 2025, 08:09 IST
Rahul Gandhi: राहुल गांधी ने भोपाल में पीएम मोदी पर हमला बोलते हुए कहा कि ट्रंप के फोन पर मोदी ने सरेंडर कर दिया. बीजेपी ने इसे असभ्य और पाकिस्तान समर्थक बयान बताया. Dy

राहुल गांधी ने पीएम मोदी के लिए अशोभनीय भाषा का इस्तेमाल किया है.
हाइलाइट्स
राहुल गांधी ने मोदी पर ट्रंप के फोन पर सरेंडर का आरोप लगाया.बीजेपी ने राहुल के बयान को असभ्य और पाकिस्तान समर्थक बताया.कांग्रेस ने इसे वैचारिक लड़ाई का हिस्सा माना.Rahul Gandhi: लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने भोपाल में पार्टी की एक सभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर तीखा हमला बोला. उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर और भारत-पाकिस्तान सीजफायर को लेकर दावा किया कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का एक फोन आया और पीएम नरेंद्र मोदी ने तुरंत सरेंडर कर दिया. उन्होंने पीएम मोदी के नाम का उच्चारण ‘नरेंदर’ किया. ऐसे में राहुल गांधी की भाषा और उनकी राजनीतिक मर्यादा को लेकर गंभीर सवाल उठाए जा रहे हैं. राहुल गांधी की इस टिप्पणी को बीजेपी ने ‘असभ्य’ और ‘पाकिस्तान समर्थक’ करार दिया है, जबकि कांग्रेस इसे अपनी वैचारिक लड़ाई का हिस्सा मान रही है. लेकिन सवाल यह है कि राहुल गांधी की ऐसी भाषा का मकसद क्या है और यह कितना उचित है?
राहुल गांधी ने भोपाल में ‘संगठन सृजन अभियान’ के दौरान कहा, “ट्रंप ने एक इशारा किया, फोन उठाया और कहा, ‘मोदी जी, आप क्या कर रहे हैं? नरेंदर, सरेंडर.’ और मोदी जी ने ‘यस सर’ कहकर ट्रंप का हुक्म मान लिया.” उन्होंने इसे 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध से जोड़ा जब इंदिरा गांधी ने अमेरिका के सातवें बेड़े की धमकी के बावजूद दृढ़ता दिखाई थी. उसी युद्ध की बदौलत पाकिस्तान से अलग बांग्लादेश का जन्म हुआ. राहुल ने बीजेपी-आरएसएस पर निशाना साधते हुए कहा कि उनकी आजादी के समय से सरेंडर लेटर लिखने की आदत है, जबकि कांग्रेस सुपरपावर से लड़ती है और कभी नहीं झुकती. दरअसल, राहुल गांधी का यह पूरा बयान ऑपरेशन सिंदूर के बाद डोनाल्ड ट्रंप के दावे को लेकर है. ट्रंप ने भारत-पाक के बीच सीजफायर का श्रेय लिया था.
राहुल की भाषा पर सवाल
राहुल गांधी की यह टिप्पणी उनकी सामान्य आक्रामक शैली का हिस्सा है लेकिन ‘नरेंदर, सरेंडर’ और ‘जी हुजूर’ जैसे शब्दों का इस्तेमाल कई मायनों में असामान्य और अशोभनीय है. देश के प्रधानमंत्री के लिए ऐसी भाषा को किसी भी रूप में जायज नहीं ठहराया जा सकता. वह भी विपक्ष के नेता की ओर से ऐसी भाषा. इससे पहले भी देश ने प्रधानमंत्री और विपक्ष के नेता के बीच कई तंज देखे हैं लेकिन किसी ने कभी मर्यादा की सीमा पार नहीं की. देश में लंबे समय तक भाजपा विपक्ष में रही है. पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी, लालकृष्ण आडवाणी, सुषमा स्वराज जैसे नेता लंबे समय तक विपक्ष में रहे हैं. उनकी भाषा शैली और सरकार की उनकी आलोचना के तरीके का जनता मुरीद हुआ करती थी. लेकिन, राहुल गांधी का यह बयान बताता है कि उनके मन में प्रधानमंत्री पद को लेकर कितनी गरिमा है. बीजेपी प्रवक्ता गौरव भाटिया ने इसे असभ्य और पाकिस्तान की ISI का प्रतिनिधित्व करने वाला बयान करार दिया.
राहुल के सवालों से किसको फायदा?
दरअसल, भारत सरकार ने आधिकारिक तौर पर कह दिया है कि पाकिस्तान के साथ सीजफायर में किसी तीसरे पक्ष की कोई भूमिका नहीं थी. लेकिन, राहुल गांधी बार-बार सरकार की मंशा पर सवाल उठा रहे हैं. वह सार्वजनिक तौर पर ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारतीय सेना को हुए नुकसान की रिपोर्ट मांग रहे हैं. उन्होंने एक्स पर एक पोस्ट में पूछा था कि पाकिस्तान ने भारत के कितने फाइटर जेट मार गिराए. इसी तरह उन्होंने विदेश मंत्री एस. जयशंकर पर भी आरोप लगाया था कि उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर शुरू होने से पहले ही इसकी जानकारी पाकिस्तान को दे दी. राहुल गांधी ये सभी आरोप और सवाल ऐसे वक्त में उठा रहे हैं जब देश अब भी जंग के खतरों से बाहर नहीं आया है. सेना ने स्पष्ट तौर पर कहा है कि ऑपरेशन सिंदूर अभी खत्म नहीं हुआ है.
ऐसे में हर तरफ यही सवाल उठता है कि विपक्ष के नेता की यह भूमिका क्या वाकई देश हित में है. क्या राहुल गांधी के बयानों और पीएम मोदी को लेकर की गई अनुचित टिप्पणी से किसका फायदा होगा? राहुल गांधी और कांग्रेस को समझना चाहिए कि देश की अंदरूनी राजनीति अपनी जगह है और बाहरी खतरों से निपटने की बात अलग है. अगर देश सुरक्षित रहेगा तभी कांग्रेस या भाजपा या कोई दल सत्ता में आएंगे.
न्यूज18 हिंदी में बतौर एसोसिएट एडिटर कार्यरत. मीडिया में करीब दो दशक का अनुभव. दैनिक भास्कर, दैनिक जागरण, आईएएनएस, बीबीसी, अमर उजाला, जी समूह सहित कई अन्य संस्थानों में कार्य करने का मौका मिला. माखनलाल यूनिवर्स...और पढ़ें
न्यूज18 हिंदी में बतौर एसोसिएट एडिटर कार्यरत. मीडिया में करीब दो दशक का अनुभव. दैनिक भास्कर, दैनिक जागरण, आईएएनएस, बीबीसी, अमर उजाला, जी समूह सहित कई अन्य संस्थानों में कार्य करने का मौका मिला. माखनलाल यूनिवर्स...
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