PM मोदी ने मालदीव में पूर्व राष्ट्रपति नशीद से की मुलाकात, जानें क्या हुई बात

11 hours ago

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मालदीव दौरे के दूसरे दिन वहां के प्रमुख नेताओं से मुलाकात की है. पीएम मोदी शनिवार को मालदीव के उपराष्ट्रपति हुसैन मोहम्मद लतीफ से मिले. इसके अलावा, उन्होंने मालदीव के पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद और पीपुल्स मजलिस के अध्यक्ष अब्दुल रहीम अब्दुल्ला से भी मुलाकात की.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मालदीव के प्रमुख नेताओं से मुलाकात की तस्वीरें सोशल मीडिया पर साझा की हैं. उन्होंने इस मुलाकात के दौरान हुई बातचीत का भी जिक्र किया है.

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में पीएम मोदी ने लिखा, ‘उपराष्ट्रपति हुसैन मोहम्मद लतीफ के साथ बहुत अच्छी बैठक हुई. हमारी चर्चा भारत-मालदीव मैत्री के प्रमुख स्तंभों पर केंद्रित रही. हमारे देश बुनियादी ढांचे, प्रौद्योगिकी, जलवायु परिवर्तन, ऊर्जा आदि क्षेत्रों में मिलकर काम करना जारी रखे हुए हैं. यह हमारे लोगों के लिए अत्यंत लाभकारी है. हम आने वाले वर्षों में इस साझेदारी को और गहरा करने की आशा करते हैं.’

Had a meaningful meeting with members of different political parties of the Maldives. The participation of leaders across the political spectrum underscores the bipartisan support for the strong and time-tested India-Maldives friendship. Our shared values continue to guide this… pic.twitter.com/B3hTqgRuQj

प्रधानमंत्री मोदी ने शनिवार को मालदीव के पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद से मुलाकात के बाद उन्हें ‘भारत-मालदीव की गहरी मित्रता का प्रबल समर्थक’ बताया. प्रधानमंत्री मोदी ने नशीद से बातचीत का ब्योरा देते हुए पोस्ट किया, ‘मालदीव हमेशा हमारी ‘पड़ोसी पहले’ नीति और महासागर दृष्टिकोण का एक महत्वपूर्ण स्तंभ रहेगा. भारत क्षमता निर्माण और विकासात्मक सहयोग के माध्यम से मालदीव का समर्थन करता रहेगा.’

Met the former President of Maldives, Mr. Mohamed Nasheed. He has always been a strong advocate of deeper India-Maldives friendship.

Spoke about how the Maldives will always be a valued pillar of our ‘Neighbourhood First’ policy and Mahasagar vision. India will keep supporting… pic.twitter.com/4N33p4qn9l

प्रधानमंत्री मोदी ने इससे पहले पीपुल्स मजलिस के अध्यक्ष अब्दुल रहीम अब्दुल्ला से मुलाकात की और दोनों देशों के बीच मित्रता पर चर्चा की. उन्होंने कहा, ‘पीपुल्स मजलिस के अध्यक्ष अब्दुल रहीम अब्दुल्ला से मुलाकात की. भारत-मालदीव की गहरी मित्रता, जिसमें हमारी संबंधित संसदों के बीच घनिष्ठ संबंध भी शामिल हैं, के बारे में बात की। 20वीं मजलिस में भारत-मालदीव संसदीय मैत्री समूह का गठन द्विपक्षीय संबंधों के लिए एक स्वागत योग्य कदम है. भारत मालदीव में क्षमता निर्माण का समर्थन करने के लिए प्रतिबद्ध है.’

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मालदीव यात्रा महज राजनयिक दौरा नहीं, बल्कि भारत-मालदीव संबंधों में एक नया अध्याय साबित हुई. कभी ‘इंडिया आउट’ के नारे लगाने वाले राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू अब खुद प्रधानमंत्री मोदी का माले में भव्य स्वागत करते दिखे. मालदीव की सड़कों पर मोदी की तस्वीरें, सरकारी भवनों में उनका सम्मान और भारत को लेकर नई गर्मजोशी ने साफ संकेत दिया कि अब मालदीव चीन के पाले में जाने की गलती को सुधारने में जुटा है.

प्रधानमंत्री मोदी के स्वागत में जहां मालदीव की राजधानी सजी हुई थी, वहीं दोनों देशों के बीच हुए आठ अहम समझौते इस यात्रा की ठोस उपलब्धियां रहे. भारत ने मालदीव को 4,850 करोड़ रुपये की लाइन ऑफ क्रेडिट देने का ऐलान किया. इसके तहत कर्ज अदायगी की शर्तें आसान की गईं, जिससे यह साफ हो गया कि भारत न केवल वादा करता है, बल्कि निभाता भी है.

मालदीव में आज क्या-क्या करेंगे PM मोदी

10:45-12:40 बजे: गणमान्य व्यक्तियों से शिष्टाचार भेंट
15:50-16:15 बजे: ITEC पूर्व छात्र और भारतीय समुदाय से संवाद
16:30 बजे: मालदीव के स्वतंत्रता दिवस समारोह में भागीदारी
18:15 बजे: भारत के लिए प्रस्थान

मालदीव से हुए ये 8 बड़े समझौते

पीएम मोदी की मौजूदगी में जिन आठ समझौतों पर हस्ताक्षर हुए, उनमें फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (FTA) को लेकर बातचीत की शुरुआत, मत्स्य पालन और जल कृषि सहयोग, भारतीय मौसम विभाग और मालदीव मौसम सेवा के बीच करार, डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन में सहयोग, इंडियन फार्माकोपिया को मान्यता और भारत के UPI सिस्टम को मालदीव में लागू करने की सहमति शामिल हैं. इन समझौतों के जरिये भारत ने यह संदेश स्पष्ट कर दिया कि वह सिर्फ एक आर्थिक भागीदार नहीं, बल्कि तकनीकी, रक्षा और सामाजिक सहयोग में भी अग्रणी है.

पीएम मोदी और राष्ट्रपति मुइज्जू की साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान दोनों नेताओं के बीच एक नई समझ और भरोसे की झलक दिखाई दी. प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत और मालदीव के रिश्ते केवल 60 साल पुराने कूटनीतिक संबंधों तक सीमित नहीं हैं, बल्कि ये सदियों पुराने ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संबंधों की बुनियाद पर खड़े हैं. मोदी ने कहा, ‘हम केवल पड़ोसी नहीं, सहयात्री हैं’. उन्होंने यह भी जोड़ा कि हिंद महासागर क्षेत्र में शांति, स्थिरता और समृद्धि हमारा साझा लक्ष्य है और भारत इस लक्ष्य में मालदीव के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलेगा.

‘नेबरहुड फर्स्ट’ और ‘महासागर विजन’ का अहम हिस्सा मालदीव

भारतीय प्रधानमंत्री ने मालदीव को भारत की ‘नेबरहुड फर्स्ट’ नीति और ‘महासागर विजन’ का एक अहम हिस्सा बताया. उन्होंने याद दिलाया कि चाहे कोविड-19 हो या प्राकृतिक आपदा, भारत ने हमेशा सबसे पहले प्रतिक्रिया दी. चाहे आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति हो या महामारी के बाद की रिकवरी, भारत ने मालदीव का साथ कभी नहीं छोड़ा.

इस दौरान पीएम मोदी ने भारत की तरफ बनाए गए 4000 सोशल हाउसिंग यूनिट्स का जिक्र करते हुए कहा कि अब ये यूनिट्स मालदीव में कई परिवारों के लिए नया आशियाना बन रही हैं. ग्रेटर माले कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट, अड्डू रोड डेवलपमेंट और हनिमाधू एयरपोर्ट का पुनर्विकास जैसे प्रोजेक्ट्स इस द्वीपीय देश को एक बड़े आर्थिक केंद्र में बदल देंगे.

रक्षा क्षेत्र में भारत का योगदान भी इस यात्रा में खूब चर्चा में रहा. मालदीव के रक्षा मंत्रालय की जिस नई इमारत का उद्घाटन किया गया, उसमें पीएम मोदी की तस्वीर भी लगाई गई है, जो इस मजबूत रिश्ते का प्रतीक बन गई है. प्रधानमंत्री ने कहा कि कोलंबो सिक्योरिटी कॉन्क्लेव के जरिये भारत और मालदीव मिलकर क्षेत्रीय समुद्री सुरक्षा को मज़बूत करेंगे.

मालदीव को समझ आ गया भारत का महत्व

मालदीव की स्वतंत्रता की 60वीं वर्षगांठ के अवसर पर प्रधानमंत्री मोदी को मुख्य अतिथि के रूप में बुलाया गया, जो खुद में यह दर्शाता है कि मालदीव की मौजूदा सरकार अब भारत के महत्व को न केवल समझ चुकी है, बल्कि उसे स्वीकार भी कर रही है.

इस यात्रा ने साफ कर दिया कि अब चीन से मोहभंग के बाद मुइज्जू सरकार को यह अहसास हो चुका है कि भारत के बिना संतुलित और स्थिर विकास संभव नहीं. चीन के वादे जमीन पर न उतर सके, जबकि भारत ने तकनीक, डिजिटल सुविधा, सॉफ्ट लोन और मानवीय समर्थन के रूप में जो सहयोग दिया है, वह स्थायित्व और भरोसे का पर्याय बन गया है.

पीएम मोदी का यह दौरा न केवल रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण रहा, बल्कि यह भारत की भावनात्मक और मानवीय डिप्लोमेसी का भी गहरा उदाहरण बन गया. मुइज्जू ने समय रहते अपनी नीति में बदलाव कर यह साबित कर दिया कि पड़ोसी से संबंध बिगाड़ कर दूर तक नहीं जाया जा सकता. भारत ने भी यह दिखा दिया कि वह केवल शक्ति नहीं, सहयोग की भाषा बोलता है. इस यात्रा ने भारत-मालदीव रिश्तों को नए आयाम दिए हैं और यह संदेश दिया है कि हिंद महासागर में अब सहयोग और साझेदारी की नई लहर उठ रही है, जिसके केंद्र में भारत है.

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