RBI की नाक के नीचे 'सूदखोर' कर रहे वसूली, रिजर्व बैंक ने बंद कर दिया धंधा

1 day ago

हाइलाइट्स

रिजर्व बैंक ने 4 गैर बैंकिंग माइक्रो लेंडर्स के लाइसेसं कैंसिल किए हैं. शिकायत और जांच के बाद इन पर लोन बांटने पर प्रतिबंध लगा दिया है. यं संस्‍थान लोगों से कर्ज बांटने से ज्‍यादा पैसा ब्‍याज में वसूलते थे.

नई दिल्‍ली. सूदखोर सिर्फ गांव और कस्‍बों में ही नहीं होते, आजकल ऑफिस खोलकर भी बाकायदा सूदखोरी का धंधा चलाया जा रहा है. बस इसका कलेवर बदल गया है और इसे बैंकिंग सिस्‍टम का हिस्‍सा बताया जाता है. रिजर्व बैंक की नाक के नीचे चल रहे इस धंधे पर जब रेगुलेटर की नजर गई तो उसने डंडा चलाना शुरू कर दिया. आरबीआई के लपेटे में आए 4 सूदखोरों का धंधा-पानी रिजर्व बैंक ने बंद करा दिया है और उनका लाइसेंस भी रद्द कर दिया गया है.

दरअसल, रिजर्व बैंक ने पिछले दिनों जारी अपनी रिपोर्ट में बताया कि 4 गैर बैंकिंग माइक्रोलेंडर्स के कामकाज को लेकर शिकायत मिली थी. उनकी जांच करने पर पता चला कि वे गरीबों और मध्‍य वर्ग के जरूरतमंदों की मजबूरी का फायदा उठाकर बाकायदा सूदखोरी कर रहे थे. इन गैर बैंकिंग संस्‍थानों ने लोगों से इतना ज्‍यादा ब्‍याज वसूला कि उनकी कमर की टूट गई. आखिर जब पता चला तो रिजर्व बैंक ने उनका लाइसेंस रद्द करके धंधा बंद करा दिया.

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कैसे करते थे वसूली
बिजनेस स्‍टैंडर्ड की रिपोर्ट के अनुसार, आरबीआई ने अपने नोटिफिकेशन में बताया कि अपने कारोबार और मुनाफे का विस्‍तार 14 फीसदी बनाए रखने के लिए ये माइक्रोलेंडर्स लोगों से मनमाना ब्‍याज वसूलते थे. इन संस्‍थानों के वेटेड एवरेज लेंडिंग रेट (WALR) की प्राइसिंग पॉलिसी चिंताजनक थी. ये संस्‍थान जितना लोन नहीं देते थे, उससे ज्‍यादा रकम ब्‍याज के रूप में वसूल लेते थे. यह सीधे तौर पर आरबीआई के रेगुलेशन के खिलाफ था.

किन संस्‍थानों पर चलाया डंडा
रिजर्व बैंक ने मामले की तहकीकात करने के बाद आरोप सही पाए जाने पर 4 गैर बैंकिंग माइक्रोलेंडर्स पर सख्‍त कार्रवाई की. इसमें आशीर्वाद माइक्रो फाइनेंस लिमिटेड, आरोहण फाइनेंशियल सर्विसेज लिमिटेड, डीएमआई फाइनेंस और सचिन बंसल नवी फिनसर्व शामिल हैं. इन सभी का लाइसेंस आरबीआई ने 17 अक्‍टूबर को कैंसिल कर दिया है. साथ ही इनसे कहा है कि अब तत्‍काल प्रभाव से लोन बांटना बंद कर दें.

क्‍या है आरबीआई की गाइडलाइन
आपको बता दें कि आम आदमी को ऐसी सूदखोर कंपनियों और संस्‍थानों से बचाने के लिए रिजर्व बैंक ने बाकायदा गाइडलाइन बना रखी है. इसके अनुसार, लोन बांटने का काम सिर्फ आरबीआई से लाइसेंस प्राप्‍त कंपनियों या संस्‍थानों द्वारा ही किया जाएगा. इसमें सिर्फ कर्ज लेने वाला और बांटने वाला ही शामिल होगा. अगर कोई अन्‍य या थर्ड पार्टी शामिल होती है तो उसकी फीस को कर्ज बांटने वाला वहन करेगा, न कि इसका बोझ ग्राहक पर डाला जाएगा. ब्‍याज की दरें आरबीआई के रेगुलेशन के हिसाब से ही होनी चाहिए.

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FIRST PUBLISHED :

October 21, 2024, 12:22 IST

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