Shehbaz Sharif News: 'बेवफा' निकला बिरादर! खामनेई से मुलाकात से पहले शहबाज के उतरवा दिए जूते; इंटरनेशनल बेइज्जती से PAK हैरान

1 day ago

Why Shahbaz Sharif remove his shoes before meeting Ayatollah Khamenei: पाकिस्तान की इतनी बेइज्जती तो तब भी नहीं हुई थी, जब 71 की जंग में पाकिस्तान के 93 हज़ार फौजियों ने सरेंडर किया था. मगर ईरान ने उनके साथ जो किया, उसकी उम्मीद पाकिस्तान की 25 करोड़ अवाम को जरा नहीं थी. दरअसल, भारत के खिलाफ माहौल बनाने के लिए शहबाज़ एंड कंपनी ईरान पहुंची थी. लेकिन सुप्रीम लीडर खामनेई से मिलने से पहले शहबाज़ के जूते उतरवा लिए गए. अब सवाल है कि आखिर ये पूरा माजरा है क्या, जिससे पाकिस्तान को हम-बिरादर मुल्क के सामने जलील कर दिया. 

खामनेई से मुलाकात से पहले उतरवाए जूते

हिंदुस्तान से हारने के बाद शहबाज़ शरीफ पूरी दुनिया में गिड़गिड़ाते फिर रहे हैं. भारत के खिलाफ माहौल बनाने की कोशिश कर रहे हैं. ईरान का समर्थन पाने के लिए वो उसके सर्वोच्च नेता अयातुल्ला खामनेई से भी मिले. मगर खामनेई के कमरे में दाखिल होने से पहले ही शहबाज़ शरीफ के जूते उतरवा दिए गए. सोचिए किसी मुल्क के हुक्मरान के जूते खुलवा दिए जाएं तो उस मुल्क के लोगों के लिए इससे ज़्यादा डूब मरने की बात क्या होगी.

शहबाज़ ने सोचा तो ये था कि इससे खामनेई बड़ा खुश होगा और शाबासी देगा. लेकिन अब पाकिस्तानी उनके जूते उतारने पर सवाल उठा रहे हैं. वहीं शहबाज समर्थक दावा कर रहे हैं कि शहबाज़ ने खामनेई के सम्मान में खुद जूते उतारे थे. पाकिस्तानी चाहे कितना ही झूठा दावा कर लें, पूरी दुनिया को पता है कि ईरान भिखमंगे पाकिस्तान की औकात जानता है. तभी तो उसने ईरान यात्रा पर शहबाज़ शरीफ के जूते उतारवा लिए. 

ईरान में शहबाज शरीफ की घोर बेइज्जती

बात अगर खामनेई को सम्मान देने की होती तो क्या पाकिस्तान के फील्ड मार्शल आसिम मुनीर खामनेई का सम्मान नहीं करते हैं. क्या ईरान के खुद के राष्ट्रपति अपने सुप्रीम लीडर का सम्मान नहीं करते हैं. यकीनन बात सम्मान देने की नहीं है.. बात है औकात की. शहबाज़ शरीफ की औकात ही भिखमंगे वाली है, जिसने पाकिस्तान की पूरी दुनिया में भद्द पिटवा दी है. अब भले ही उनके चमचे इसे जस्टिफाई करते रहें.

खामनेई के साथ मुलाकात से पहले शहबाज़ शरीफ ने ईरान के न्यूक्लियर प्रोग्राम का खुला समर्थन किया था. शहबाज शरीफ ने कहा कि वे ईरान के परमाणु कार्यक्रम का पूरा समर्थन करते हैं. शहबाज़ शरीफ को उम्मीद तो थी कि न्यूक्लियर प्रोग्राम का समर्थनक करने से ईरान खुश हो जाएगा. खामनेई अपने गले में पड़ी मोतियों की माला उनपर न्योछावर कर देंगे. मगर ऐसा कुछ हुआ नहीं और उल्टा फजीहत हो गई. 

भारत से रिश्ते नहीं बिगाड़ना चाहता ईरान

बता दें कि पाकिस्तान ने ईरान से शाहिद ड्रोन मांगे थे लेकिन ईरान ने मना कर दिया. पाकिस्तान ने कश्मीर पर समर्थन मांगा तो ईरान ने उससे भी किनारा कर लिया. इसके बाद ईरान में भारत की मौजूदगी कम करने को कहा तो ईरान ने इससे भी इनकार कर दिया. उधर जब से शहबाज़ के नंगे पैर वाली तस्वीरें पाकिस्तान पहुंची हैं, पाकिस्तानी अपना सिर पीट रहे हैं और प्रधानमंत्री मोदी के साथ उनकी तुलना कर रहे हैं. 

इसकी वजह ये है कि साल 2016 में पीएम मोदी ने भी ईरान के सुप्रीम लीडर से मुलाकात की थी. इस दौरान उन्होंने अपने जूते नहीं उतारे थे. लिहाजा पाकिस्तानी पूछ रहे हैं कि क्या शहबाज़ को पाकिस्तान की बेज्जती कराने में मजा आता है. 

भारत के बढ़ते प्रभाव से पाकिस्तान परेशान

सवाल ये है कि ईरान के समर्थन के लिए पाकिस्तान इतना मरा क्यों जा रहा है? दरअसल मामला ये है कि भारत ने ईरान में बड़ा इनवेस्ट कर रखा है. भारत, ईरान के चाबाहर पोर्ट को रेलवे से भी जोड़ने जा रहा है. जिससे चाबहार पोर्ट की क्षमता का इजाफा होगा. इससे पाकिस्तान के ग्वादर पोर्ट की उपयोगिता कम हो जाएगी. लिहाज़ा पाकिस्तान-चीन चाहते हैं कि ईरान में भारत के दखल को कम किया जाए.

पाकिस्तान और उसका आका चीन इसलिए भी ईरान में भारत की मौजदूगी से बौखला रहा है क्योंकि ईरान ने हाल ही में अपनी राजधानी तेहरान से हटाकर मकरान में शिफ्ट करने की बात कही थी. मकरान ईरान के दक्षिणी तट पर है, जहां चाबहार सिटी भी इसी क्षेत्र में आती है. भारत यहां पहले से ही पैर जमा चुका है. 

ईरान समझ चुका है नए भारत की ताकत

मजे की बात ये है कि भारत ने चाबहार को अफगानिस्तान के लिए भी खोल दिया है. जिसके चलते भारत के लिए सेंट्रल एशियाई देशों तक पहुंचने वाला रास्ता और भी आसान हो गया है. जबकि चाबहार के जरिए ही भारत से रूस तक जाने वाला कॉरिडोर बन रहा है. इस कॉरिडोर का काम लगभग पूरा हो चुका है यानी अब चाबहार के रास्ते भारत रूस और उसके बाद यूरोप तक पहुंच गया है. 

अब इस बात से पाकिस्तान और चीन के सीने पर सांप लोट रहे हैं. लिहाज़ा वो भारत को इजरायल का करीबी बताकर भारत और ईरान के बीच दरार डालने की कोशिश कर रहा है. लेकिन ईरान ने पाकिस्तान को उसकी औकात बता दी है. कुल मिलाकर पाकिस्तानी हुक्मरान मुल्क-मुल्क घूमकर भारत के खिलाफ हवा बनाने की कोशिश कर रहे है ना. इससे पाकिस्तानियों का वक्त और पेट्रोल दोनों खत्म हो रहे हैं. अच्छा होता कि भिखमंगा मुल्क इस्लामिक मुल्कों का दरोगा बनने के बजाय अपनी अवाम पर ध्यान देता. लगता नहीं कि शहबाज़ बिना पाकिस्तान की मिट्टी पलीत करवाए बगैर मानेंगे.

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