South Korea: गोद लेने में 'खेल', 41 साल बाद महिला को पता चली सच्चाई; सरकार भी शर्मिंदा

4 hours ago

South Korea Baby Adoption Business: दक्षिण कोरिया में चाइल्ड एडेप्टिंग बिजनेस तमाम विरोधों के बावजूद भी बहुत तेजी से फल-फूल रहा है. मासूम बच्चों के माता-पिता होते हुए भी इन बच्चों को अनाथ बताकर अमेरिका और यूरोप के पश्चिमी देशों में गोद लेने के लिए भेजा सके. बच्चों को गोद लेने के स्थान पर पहुंचने से पहले अगर किसी बच्चे की मौत हो जाती है तो उसकी जगह कोई दूसरा बच्चा भेज दिया जाता था. एक 52 वर्षीय महिला ने साउथ कोरिया के इस चाइल्ड एडेप्टिंग बिजनेस को जोरदार झटका दिया है. दरअसल इस महिला को 1984 में एक फ्रांसीसी परिवार ने उसके पैरेंट्स की अनुमति के बिना गोद लिया था. 

अब इस महिला ने दक्षिण कोरिया की सरकार पर मुआवजे के लिए मुकदमा दायर किया है. इस महिला ने दावा किया है कि जब फ्रांसीसी परिवार ने उसे गोद लिया था तब दक्षिण कोरिया सरकार के अधिकारियों ने उसके माता-पिता की मर्जी के बिना गलत तरीके से उसे अनाथ बताते हुए फ्रांस के उस परिवार को दिया था, जबकि उसका परिवार मौजूद था. योरी किम नाम की इस महिला की ये याचिका दक्षिण कोरिया के सत्य आयोग द्वारा ऐसे ही 55 बच्चों को फर्जी तरीके से गोद लिए गए मानवाधिकार उल्लंघन के शिकार लोगों के बाद आई है. इस याचिका में बच्चों की उत्पत्ति साथ छेड़छाड़, रिकॉर्ड को टेंपरिंग करके और बाल संरक्षण असफलताएं जैसे मामले शामिल हैं. 

मीडिया की मुहीम के बाद सामने आया इतना बड़ा स्कैंडल
पिछले साल मीडिया ने एक बड़ी मुहीम चलाई जिसके बाद इतने बड़े मामले का खुलासा हुआ. इस मुहीम के बाद शुरू हुई जांच में पाया गया कि दक्षिण कोरिया की सरकार पश्चिमी देशों और गोद लेने वाली एजेंसियों ने दशकों तक मिलकर लगभग 200,000 कोरियाई बच्चों को संदिग्ध या पूरी तरह अनैतिक तरीकों से विदेशी माता-पिता को सौंपा. उनकी कहानियों ने एक ऐसी प्रतिक्रिया को जन्म दिया है जिसने इंटरनेशनल चाइल्ड एडेप्टिंग बिजनेस को हिला कर रख दिया है. ये बिजनेस दक्षिण कोरिया में शुरू हुआ और देखते ही देखते पूरी दुनिया में अपनी पहुंच बना चुका है.

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सियोल सरकार ने शुरू की जांच
सियोल सरकार ने इस तरह से फर्जी तरीके से या दबाव में गोद में लिए जाने वाले बच्चों को लेकर जांच-पड़ताल शुरू की है. इस मामले में सैकड़ों लोगों ने मामले दर्ज करवाए हैं जिनकी समीक्षा शुरू हो चुकी है. योरी किम के वकील चोई जंग क्यू ने कहा कि उन्होंने राज्य के मुआवजा अधिनियम के तहत प्रशासन पर पर मुआवजे का दावा प्रावधान के तहत किया है अगर ये सफल होता है तो यह अभूतपूर्व होगा और फर्जी तरीके से गोद लिए गए ऐसे दूसर मामलों के लिए एक मिसाल कायम करेगा.  हालांकि सरकार ने अभी तक गोद लेने की इन प्रथाओं की जिम्मेदारी को सीधे तौर पर स्वीकार नहीं किया है और सत्य और सुलह आयोग की सिफारिशों पर अभी कोई कार्रवाई शुरू नहीं की है. 

सरकार को हुआ अपनी गलती का एहसास
लगभग 3 साल तक की गहन जांच के बाद आयोग ने मार्च में ये निष्कर्ष निकाला है कि देश ने एक ऐसे गोद लेने के कार्यक्रम को बढ़ावा देने की जिम्मेदारी ली जो पूरी तरह से धोखाधड़ी और दुरुपयोग से भरा हुआ था. इस आयोग ने सरकार से इन कृत्यों के लिए माफी मांगने और गोद लिए गए लोगों की शिकायतें दूर करने की योजनाएं शुरू करने का आग्रह किया है. न्याय मंत्रालय को तकनीकी रूप से किम के अनुरोध पर चार सप्ताह में निर्णय लेना है, लेकिन इसके लिए कोई समय सीमा अनिवार्य नहीं है. 21 अगस्त को दायर उनकी याचिका में कोई धनराशि तय नहीं की गई है, इसे सरकार पर छोड़ दिया गया है कि वह ऐसे लोगों को मुआवजे की उचित धनराशि का प्रस्ताव दे.

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ये पूरी तरह से सरकार द्वारा प्रायोजित बच्चों की बिक्री
चोई ने कहा, 'हम उसके द्वारा सहन किए गए नुकसान को कैसे मापना शुरू कर सकते हैं?' किम ने बुधवार को एपी को बताया कि उनकी गोद लेने की प्रक्रिया, जिसे आयोग ने अवैध माना, 'अपहरण और जबरन गायब होने' के समान थी. उन्होंने कहा कि दक्षिण कोरिया ने इस संगठित अपराध का सबसे बड़ा हिस्सा खुद किया, क्योंकि उसने उन पश्चिमी माता-पिता को प्रॉक्सी गोद लेने की मंजूरी दी, जो कभी दक्षिण कोरिया नहीं आए. चोई ने कहा कि यह पूरी तरह से दक्षिण कोरिया द्वारा प्रायोजित बच्चों की बिक्री थी.

किम ने साझा की अपनी दर्दनाक यादें 
किम 11 साल की थीं जब उन्हें और उनके छोटे भाई को एक कोरियाई गोद लेने वाले एजेंसी जिसका नाम होल्ट चिल्ड्रन्स सर्विसेज ने फ्रांस में एक दंपति को भेजा गया था. किम की मां गरीब थीं और तलाक के बाद वो अपने बच्चों की परवरिश नहीं कर सकती थीं ऐसे में उन्होंने बच्चों को एक अनाथालय में रखना उचित समझा ताकि कम से कम बच्चों को भोजन मिल सके और उनका पेट भर सके. दक्षिण कोरिया में उस समय ये एक आम प्रथा थी. किम ने बताया कि उनकी मां कभी इस बात के लिए तैयार नहीं थीं कि उनके बच्चों को कोई और दंपति गोद ले. वहीं किम के पिता को भी इस बात की जानकारी नहीं थी कि उनके बच्चों को किसी और गोद लेने के लिए दिया जा रहा है और न ही कभी उन्होंने इसकी अनुमति दी थी.

फ्रांस में किम का हुआ यौन उत्पीड़न!
किम ने बताया कि फ्रांस में उनके दत्तक माता-पिता के घर में उनका हर तरह से उत्पीड़न किया गया. हालांकि किम के इन आरोपों को उनके दत्तक माता-पिता ने खारिज कर दिया है. एक जज ने उनके दत्तक पिता के खिलाफ दायर उनकी शिकायत को अपर्याप्त सबूतों के आधार पर खारिज कर दिया. किम 1994 में पहली बार दक्षिण कोरिया लौटीं लेकिन सालों तक उन्होंने अपने जैविक माता-पिता से नाराजगी रखी. यह मानते हुए कि वे अपने बच्चों को किसी और को देकर चले गए थे. हालांकि वो लगातार इस बात से इनकार करते रहे.

साल 2022 में खुला राज और किम को पता चली सच्चाई
धीरे-धीरे समय बीता और साल 2022 में वो मौका भी आया जब किम को पूरी सच्चाई पता चल गई. किम ने अपने आवासीय दस्तावेजों के माध्यम से इस बात की पुष्टि की कि वे और उनके भाई अभी भी अपने पिता के नाम पर रजिस्टर्ड थे और कभी भी छोड़े नहीं गए थे. किम की इस खोज ने उन्हें दक्षिण कोरिया और फ्रांस में सरकारों और गोद लेने वाली एजेंसियों से जवाबदेही मांगने के लिए प्रेरित किया.

किम ने लड़ी कठिन कानूनी लड़ाइयां
सत्य आयोग ने अप्रैल में अपनी जांच को रोकने से पहले गोद लिए गए लोगों द्वारा दायर 367 शिकायतों में से 56 में मानवाधिकार उल्लंघनों की पुष्टि की थी, जो जांच की समय सीमा से कुछ हफ्ते पहले थी. शेष 311 मामलों का भाग्य, जो या तो स्थगित हैं या अधूरी समीक्षा के साथ है. आयोग की रिपोर्ट में स्पष्ट सीमाएं थीं, जिसमें गोद लेने वाली एजेंसियों की लाभ संरचनाओं, अस्पतालों जैसे बाल स्रोतों से उनके संबंधों, या प्राप्त करने वाले देशों की प्रथाओं की गहन जांच नहीं की गई. केवल 45 शिकायतें संयुक्त राज्य अमेरिका से गोद लिए गए लोगों की थीं, जिससे कोरियाई बच्चों का सबसे बड़ा प्राप्तकर्ता अपर्याप्त रूप से प्रतिनिधित्व करता है.

अब सरकार ने की माफी की सिफारिश
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इतना बड़ा स्कैंडल दक्षिण कोरिया की पूर्ववर्ती सरकारों की जानकारी में किया गया है. अब वहां की मौजूदा सरकार ने इस जुर्म को स्वीकार किया और आधिकारिक जांच की तो पाया कि ज्यादातर मामलों में रिकॉर्ड्स में हेर-फेर की गई थी. इसमें पैरेंट्स की सहमति के बिना स्थानीय बच्चों को विदेशों में भेजा ताकि उन्हें गोद लिया जा सके. हालांकि अब मौजूदा सरकार आधिकारिक रूप से इसके लिए आधिकारिक रूप से माफी की सिफारिश की है.

किम ने दक्षिण कोरिया सरकार से क्या मांग की
कुछ गोद लिए गए लोग आयोग के निष्कर्षों का उपयोग अपनी एजेंसियों या कोरियाई सरकार के खिलाफ मुकदमे दायर करने के लिए करना चाहते हैं लेकिन किम सहित अन्य लोगों ने सरकार से मांग की है कि वे गोद लिए गए लोगों को अदालत में जाने के लिए मजबूर किए बिना मुआवजे के लिए विशिष्ट योजनाएं पेश करें. चोई ने कहा कि ऐसे मामलों में लोगों को अक्सर लंबी कानूनी लड़ाइयों का सामना करना पड़ता है क्योंकि सरकार अक्सर सत्य आयोग के निष्कर्षों को अनिर्णायक बताकर खारिज कर देती है या समाप्त हो चुके सीमा-नियमों का हवाला देती है. चोई ने कहा कि किम की याचिका से एक मामूली भुगतान प्रस्ताव भी प्रतीकात्मक महत्व रखेगा, जो सरकार की जिम्मेदारी को स्वीकार करेगा और भविष्य के कानूनी दावों को संभावित रूप से मजबूत करेगा.

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