Last Updated:August 28, 2025, 12:21 IST
अरुणाचल प्रदेश में बीआरओ के प्रोजेक्ट ब्रह्मांक के तहत एनएच-13 समेत आलो-मेचुका, मिगिंग-टुटिंग, यारलुंग-ट्राइजंक्शन जैसी सड़कों का निर्माण तेजी से जारी है, जिससे कनेक्टिविटी और सुरक्षा मजबूत होगी.
बीआरओ कई सड़कों को पूरा करने वाली है.चीन के सीमावर्ती राज्य अरुणाचल प्रदेश में सरकार सड़कों का जाल बिछा रही है. इसके लिए पूरे इलाके में दसियों प्रोजेक्ट्स पर काम चल रहा है. बॉर्डर रोड्स ऑर्गनाइजेशन (बीआरओ) के प्रोजेक्ट ब्रह्मांक के चीफ इंजीनियर एस सी लूनिया ने प्रदेश में बुनियादी ढांचे को मजबूत करने की दिशा में एक बड़ा ऐलान किया है. उन्होंने बताया कि शी-योमी जिले में रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण आलो-मेचुका सड़क के 32 किलोमीटर लंबे पेने-टाटो खंड की डबल-लेनिंग मार्च 2026 तक पूरी हो जाएगी. यह सड़क नेशनल हाईवे-13 (एनएच-13) का हिस्सा है, जो भारत-चीन सीमा पर सेना की तैनाती और आपूर्ति के लिए बेहद अहम है.
इसके अलावा, मिगिंग-टुटिंग, यारलुंग-ट्राइजंक्शन, यारलुंग-लामांग, और लामांग-लोला सड़क प्रोजेक्ट्स भी तेजी से आगे बढ़ रहे हैं. इन पांच महत्वपूर्ण सड़कों के पूरा होने से अरुणाचल में कनेक्टिविटी और सुरक्षा को नया आयाम मिलेगा. लूनिया ने स्वीकार किया कि पेने-टाटो खंड में भूमि अधिग्रहण की समस्याओं के कारण देरी हुई, लेकिन बीआरओ अब तेजी से काम कर रहा है.
उन्होंने कहा- हमारी प्राथमिकता फॉर्मेशन कटिंग को जल्द पूरा करना है, ताकि सड़क बंदी या मशीनों की आवाजाही से यात्रियों को परेशानी न हो. यह खंड सभी मानकों के साथ तैयार होगा, जिससे सुरक्षित और संतोषजनक सड़क संपर्क मिलेगा. उनका लक्ष्य सियांग जिले के कायिंग से टाटो तक जल्द ही ऑल-वेदर कनेक्टिविटी सुनिश्चित करना है.
लूनिया ने कहा कि हम एनएच-13 को टाटो जैसे सुदूर क्षेत्रों तक ले जाने के लिए कटिबद्ध हैं. हालांकि, सड़क पर ब्लैक-टॉपिंग में कुछ समय लगेगा. आलो-मेचुका सड़क शी-योमी को वेस्ट सियांग से जोड़ती है और ऊंचाई वाले क्षेत्रों में होने के कारण सीमा पर रक्षा लॉजिस्टिक्स को मजबूत करती है. विशेषज्ञों का कहना है कि इस सड़क के पूरा होने से न केवल सेना की गतिशीलता बढ़ेगी, बल्कि स्थानीय जनजातियों को व्यापार और पर्यटन के लिए बेहतर पहुंच मिलेगी. लूनिया ने बताया कि टाटो-मेचुका खंड पर 14 पुलों का निर्माण कार्य विभिन्न चरणों में है, जो नदियों और नालों को पार करने में अहम भूमिका निभाएंगे.
अन्य प्रोजेक्ट्स की बात है तो 12 किलोमीटर लंबी यारलुंग-ट्राइजंक्शन सड़क पर काम शुरू हो चुका है, जिसमें 140 फीट का स्टील मॉड्यूलर ब्रिज शामिल है. यह दो वर्षों में पूरा होगा. वहीं, 16 किलोमीटर की यारलुंग-लामांग सड़क पहले ही तैयार हो चुकी है और 14 किलोमीटर की लामांग-लोला सड़क का डीपीआर तैयार किया जा रहा है. मिगिंग-टुटिंग सड़क पर केवल 15 किलोमीटर फॉर्मेशन कटिंग बाकी है और सर्फेसिंग का काम इस साल शुरू होगा.
लूनिया ने आश्वासन दिया कि अगर मौसम अनुकूल रहा, तो मार्च 2026 तक यह प्रोजेक्ट भी पूरा हो जाएगा. लूनिया ने एक और महत्वपूर्ण मुद्दा उठाया कि अगर सरकार इजाजत दे तो बीआरओ एनएच-13 के अकाजन-लिकाबाली-बाम सड़क का रखरखाव संभालने को तैयार है. यह सड़क 1960 के दशक में बीआरओ ने बनाई थी, लेकिन 2015 में नेशनल हाईवेज एंड इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन लिमिटेड (एनएचआईडीसीएल) को सौंप दी गई. वर्तमान में इसके कई हिस्से जर्जर हैं, जिससे स्थानीय लोग नाराज हैं.
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First Published :
August 28, 2025, 12:18 IST

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