Russia News: यूक्रेन पर हमले के बाद से रूस और पश्चिमी देशों बीच डिप्लोमेटिक रिलेशन्स काफी बिगड़ चुके हैं. खासतौर पर रूस और ब्रिटेन के बीच राजनयिक तनाव चरम पर है. रूस ने सोमवार को मास्को स्थित ब्रिटिश दूतावास के दो राजनयिकों को फिर से जासूसी के आरोप में देश से बाहर निकालने का आदेश दिया है. रूस की फेडरल सिक्योरिटी सर्विस (FSB) का दावा है कि इन राजनयिकों ने देश में एंट्री के लिए झूठी जानकारी दी और रूस की सुरक्षा के खिलाफ गुप्तचर गतिविधियों में शामिल थे. हालांकि, एफएसबी ने कोई ठोस सबूत पेश नहीं किया. इन राजनयिकों की मान्यता रद्द कर दी गई है और उन्हें दो सप्ताह के भीतर रूस छोड़ने का आदेश दिया गया है.
RIA नोवोस्ती की रिपोर्ट के मुताबिक, इतना ही नहीं, रूसी विदेश मंत्रालय ने ब्रिटिश दूतावास के एक अधिकारी को तलब भी किया और स्पष्ट किया कि 'मास्को ब्रिटिश खुफिया अधिकारियों की अवैध गतिविधियों को बर्दाश्त नहीं करेगा.'
ब्रिटेन-रूस के बीच पहले भी बढ़ा है तनाव
ब्रिटेन की तरफ से इस निष्कासन पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन यह कोई पहली बार नहीं है जब दोनों देशों के बीच राजनयिक तनाव बढ़ा हो. इससे पहले सितंबर और नवंबर 2023 में एफएसबी ने सात ब्रिटिश राजनयिकों पर जासूसी का आरोप लगाया, जिनमें से छह को सितंबर और एक को नवंबर में देश से बाहर निकाल दिया था.
वहीं, मई 2024 में ब्रिटेन ने लंदन स्थित रूसी रक्षा अटैची को निष्कासित कर दिया था, आरोप था कि वह एक गुप्त खुफिया अधिकारी था. इसके अलावा, ब्रिटेन ने रूस के कुछ राजनयिक परिसरों को बंद कर दिया था, जो कथित रूप से जासूसी के लिए इस्तेमाल किए जा रहे थे. इसके जवाब में रूस ने भी ब्रिटिश रक्षा अटैची के खिलाफ एक्शन लिया था.
यूक्रेन युद्ध के बाद बढ़े निष्कासन
रूसी मीडिया RBC के मुताबिक, 2022 की शुरुआत से लेकर अक्टूबर 2023 तक पश्चिमी देशों और जापान ने कुल 670 रूसी राजनयिकों के खिलाफ कार्रवाई करते हुए देश से बाहर निकाल दिया था, जबकि रूस ने 346 पश्चिमी राजनयिकों को निकाला.