Last Updated:June 02, 2025, 16:22 IST
तहरीक-ए-तालिबान कश्मीर (TTK) में आंतरिक फूट से यह संगठन कमजोर नजर आ रहा है. चीफ मूसा गजनवी भारतीय सेना पर हमलों को फोकस चाहता है, जबकि कुछ गुट पाकिस्तानी सेना पर हमले के भी पक्षधर हैं. भारतीय एजेंसियों को आने व...और पढ़ें

तहरीक-ए-तालिबान कश्मीर के इरादे बेहद खतरनाक हैं. (Representational Picture)
हाइलाइट्स
तहरीक-ए-तालिबान कश्मीर बेहद खतरनाक इरादे रखता है.इस संगठन का चीफ भारतीय सेना पर हमले करना चाहता है.संगठन के कई गुट पाकिस्तान पर भी अटैक करने पर अड़े हैं.नई दिल्ली. तहरीक-ए तालिबान की इस वक्त अफगानिस्तान में सरकार है. इसी से जुड़े संगठन टीटीपी पाकिस्तान में खूब दहशत मचा रहा है. इसने पाकिस्तानी सेना और सरकार की नाक में दम किया हुआ है. तालिबान के ही कश्मीर विंग तहरीक-ए-तालिबान कश्मीर यानी TTK में इस वक्त जबर्दस्त फूट नजर आ रही है. खबरों की मानें तो टीटीके का चीफ चाहता है कि केवल जम्मू-कश्मीर में भारतीय सेना को निशाना बताया जाए. हालांकि इस आतंकी संगठन का एक बड़ा धड़ा इस बात पर अड़ा हुआ है कि पाकिस्तान आर्मी पर भी लगातार हमले किए जाने चाहिए. जिससे संगठन के भीतर गहरी दरार उजागर हुई है.
TTK का उदय हाल ही में कश्मीर में एक नए आतंकवादी संगठन के रूप में हुआ है. इसे तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) का ऑफ-शूट माना जा रहा है. X पर कुछ पोस्ट्स में दावा किया गया है कि TTK ने भारत और पाकिस्तान दोनों के खिलाफ कश्मीर को आजाद कराने का ऐलान किया है, जो इसके लांग टर्म गोल और महत्वाकांक्षी लक्ष्यों का हिस्सा है. हालांकि टीटीके चीफ मूसा गजनवी का बयान इस दावे से अलग रुख दिखाता है. उसके बयान से पता चलता है कि आतंकी संगठन के अंदर वैचारिक और रणनीतिक टकराव है. कुछ गुटों का मानना है कि पाकिस्तानी सेना पर हमले करके वे क्षेत्र में अपनी स्थिति को मजबूत कर सकते हैं. हालांकि गजनवी का नेतृत्व वाला धड़ा केवल भारतीय सुरक्षाबलों पर फोकस करना चाहता है.
भारत को रहना होगा सावधान
यह आंतरिक फूट कश्मीर में सक्रिय आतंकवादी संगठनों की एकजुटता के लिए एक बड़ा झटका मानी जा रही है. भारत और पाकिस्तान की खुफिया एजेंसियां इस घटनाक्रम पर पैनी नजर रख रही हैं, क्योंकि TTK की यह कमजोरी क्षेत्रीय सुरक्षा परिदृश्य को प्रभावित कर सकती है. भारतीय एजेंसियां इसे आतंकवादी संगठनों के बीच एकजुटता की कमी के रूप में देख रही हैं, जो उसकी रणनीति को कमजोर कर सकता है. वहीं, पाकिस्तान के लिए यह स्थिति फंसी हुई है. ऐसा इसलिए क्योंकि TTK का एक गुट उनकी सेना को निशाना बनाने की बात कर रहा है, जो भारत-पाक तनाव को और बढ़ा सकता है. पहलगाम हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव पहले ही अपने चरम पर है.
सेना को उठाने होंगे कड़े कदम
इस फूट का असर TTK की गतिविधियों पर पड़ सकता है. एकजुट नेतृत्व और स्पष्ट रणनीति के अभाव में संगठन की प्रभावशीलता कम हो सकती है. यह स्थिति कश्मीर में सुरक्षा बलों के लिए अवसर प्रदान कर सकती है, लेकिन साथ ही अप्रत्याशित हमलों का खतरा भी बढ़ा सकती है, क्योंकि असंतुष्ट गुट अपने एजेंडे को लागू करने के लिए हिंसक कदम उठा सकते हैं.
पत्रकारिता में 14 साल से भी लंबे वक्त से सक्रिय हूं. साल 2010 में दैनिक भास्कर अखबार से करियर की शुरुआत करने के बाद नई दुनिया, दैनिक जागरण और पंजाब केसरी में एक रिपोर्टर के तौर पर काम किया. इस दौरान क्राइम और...और पढ़ें
पत्रकारिता में 14 साल से भी लंबे वक्त से सक्रिय हूं. साल 2010 में दैनिक भास्कर अखबार से करियर की शुरुआत करने के बाद नई दुनिया, दैनिक जागरण और पंजाब केसरी में एक रिपोर्टर के तौर पर काम किया. इस दौरान क्राइम और...
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