Last Updated:July 07, 2025, 10:58 IST
CJI Gavai: देश के मुख्य न्यायाधीश बी आर गवई रविवार को अपने बचपन के स्कूल पहुंचे. बचपन की यादें ताजा करते हुए वह काफी भावुक नजर आए.

CJI Gavai School Visit: सीजेआई गवई स्कूल पहुंचकर भावुक नजर आए
हाइलाइट्स
सीजेआई गवई अपने बचपन के स्कूल पहुंचे.उन्होंने बचपन के दिन याद किए.तब 5 रुपये में समोसा और 10 पैसे में मिसल पाव मिलता था.नई दिल्ली (CJI Gavai). बचपन कैसे भी हालात में बीता हो, वह किसी भी व्यक्ति की जिंदगी का सबसे खूबसूरत पड़ाव होता है. भारत के मुख्य न्यायाधीश भूषण गवई 06 जुलाई 2025 (रविवार) को अपने बचपन के स्कूल पहुंचे थे. वहां पुराने दिनों को याद कर वह काफी भावुक नज़र आ रहे थे. चीफ जस्टिस बीआर गवई ने 1969 से 1973 के बीच क्लास 3 से 7 तक गिरगांव (मुंबई) स्थित चिकित्सक समूह शिरोलकर हाई स्कूल से पढ़ाई की है. वह मराठी मीडियम के स्टूडेंट थे.
चीफ जस्टिस बीआर गवई ने स्कूल पहुंचकर पुरानी यादें ताजा कीं. उस समय उनके घर की आर्थिक स्थिति ज्यादा ठीक नहीं थी. बचपन में भी उन्हें पैसे बचाने का महत्व पता था. मुख्य न्यायाधीश गवई पैसे बचाने के लिए लंबी दूरी तक पैदल चलते थे और बीच में सरकारी बस का सहारा लेते थे. स्कूल विजिट के दौरान उन्होंने यह भी बताया कि मराठी माध्यम से पढ़ाई करने पर ही उनकी नींव मजबूत हुई है और उन्होंने मातृभाषा में पढ़ाई का महत्व भी बताया.
स्कूल के लिए मिलते थे 20 पैसे
देश के मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई ने बताया कि उनकी मां उन्हें 20 पैसे देती थीं. वह BEST बस नंबर 5 से स्कूल जाते थे. तब बस टिकट 5 पैसे का था. इसके अलावा वह 5 पैसे का समोसा खाते थे. आज भले ही समोसे के साथ 2-3 तरह की चटनी, रायता और सब्जी मिलती है लेकिन उस जमाने में समोसे के साथ घर का बना हुआ जैम मिलता था. उन्होंने यह भी बताया कि तब मिसल पाव 10 पैसे में मिलता था. रोजाना के 20 पैसे से उनके आने-जाने और खाने-पीने का खर्च निकल जाता था.
बच्चों के स्वागत से हुए खुश
स्कूल का दौरा करते हुए चीफ जस्टिव बीआर गवई ने गर्व से बताया कि मराठी माध्यम में पढ़ाई कोई कमी नहीं थी, बल्कि यही उनकी बुनियाद बनी थी. उन्होंने कहा कि स्कूल में होने वाली डिबेट प्रतियोगिताओं और पीटी क्लास ने अनुशासन और बोलने की कला विकसित की. उस समय उनके स्कूल में जोशी सर पीटी टीचर हुआ करते थे. स्कूल के एनसीसी छात्रों ने 6 महीने में बैंड तैयार कर उनका स्वागत किया. चीफ जस्टिस ने माना कि देश-विदेश में उन्हें कई जगह सम्मान मिला, लेकिन बच्चों का यह स्वागत सबसे दिल छू लेने वाला था.
स्कूल में दिखे कई बदलाव
चिकित्सक समूह शिरोलकर हाई स्कूल, गिरगांव तीन मंज़िला स्कूल बन चुका है. लेकिन उसमें लिफ्ट नहीं है. कार्यक्रम में मौजूद विधायक महेन्द्र लोढ़ा ने लिफ्ट लगाने की प्रक्रिया में मदद का वादा किया. स्कूल अब इंग्लिश मीडियम (ICSE) में कन्वर्ट हो चुका है. लेकिन मराठी संस्कृति वहां अब भी ज़िंदा है. उन्होंने स्कूल के मौजूदा बैच के बच्चों को सीख देते हुए कहा कि ईमानदारी से मेहनत करना जरूरी है. उन्होंने पुराने साथियों और शिक्षकों से भी मुलाकात की. उन्हें उपहार में शिक्षक के हस्ताक्षर वाली स्कूल छोड़ने की मार्कशीट दी गई.
Having an experience of 9 years, she loves to write on anything and everything related to lifestyle, entertainment and career. Currently, she is covering wide topics related to Education & Career but she also h...और पढ़ें
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