Last Updated:July 07, 2025, 15:23 IST
Bharat Ratna Award For Dalai Lama: दलाई लामा को भारत रत्न देने की मांग उठने लगी है. 1959 से निर्वासित तिब्बती धर्मगुरु के 90वें जन्मदिन के बाद इसकी मांग तेज हो गई है. मगर, देखना ये होगा कि चीन की इसपर प्रतिक्रि...और पढ़ें

अगर भारत दलाई लामा को 'भारत रत्न' देता है तो चीन की क्या होगी प्रतिक्रिया?
50 के दशक से पहले हिंदी चीनी भाई-भाई अचानक दुश्मनी का मोड़ तब ले लिया, जब एक विदेशी जवान बुद्धिस्ट भिक्षु ने मार्च 1959 में भारत में शरण ली थी. ये भिक्षु कोई और नहीं ‘दलाई लामा’ थे. यह जवान भिक्षु इस वर्ष अपना 90वां जन्मदिन मना रहा है. अब उनके उत्तराधिकारी की बात चल रही है, तो चीन को मिर्ची लगना तय है. मगर, चीन को और भी ज्यादा मिर्ची इस बात की लगेगी, क्योंकि उनको भारत रत्न देने की बात उठ रही है. हाल ही उनके 90वें जन्मदिवस में भारत सरकार के दो कद्दावर मंत्री किरण रिजिजू और जितेंद्र सिंह ने मुलाकात कर उनको जन्मदिन की शुभकामनाएं दी. इससे कयास लगने लगा है कि भारत सरकार उनको भारत रत्न से नवाज सकती है. क्योंकि कई मौके पर भारतीय प्रधानमंत्री ने भी उनके विश्व को योग और शांति के पाठ की तारीफ कर चुके हैं. भारत जब-जब भी दलाई लामा के बारे में कुछ तारीफ वाली बात कहता है तो शी जीनपिंग तुरंत बिलबिला उठते हैं और उसे अपना आंतरिक मामला बताने लगते हैं.
हाल ही चीन के कुलबुलाने की खबर तब आई थी, जब दलाई लामा ने अपने 90वें जन्मदिन से पहले एक वीडियो मैसेज जारी किया था. इस मैसेज में साफ किया था कि उनका उत्तराधिकारी एक स्वतंत्र देश में पैदा होगा और उत्तराधिकारी चुनने का अधिकार केवल उनके करीबी लोगों को होगा, न कि बीजिंग को. उन्होंने कहा कि गादेन फोडरंग ट्रस्ट, जो उनके मामलों का प्रबंधन करता है, उनके पुनर्जन्म की खोज की देखरेख करेगा. किसी और को इस मामले में हस्तक्षेप करने का कोई अधिकार नहीं है. पिछली परंपरा के अनुसार, मेरे पुनर्जन्म की खोज और 15वें दलाई लामा के नामकरण का काम किया जाएगा.
दलाई लामा के उत्तराधिकारी को लेकर बिलबिलाया चीन
दलाई लामा के इस घोषणा से चीन काफी बिलबिला गया है. बीजिंग ने दलाई लामा के बयान को तुरंत खारिज कर दिया. चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता माओ निंग ने कहा, ‘दलाई लामा, पंचेन लामा और अन्य महान बौद्ध हस्तियों के पुनर्जन्म को स्वर्ण कलश से लॉटरी निकालकर चुना जाना चाहिए. इसे केंद्र सरकार यानी कि चीन की सरकार द्वारा अनुमोदित किया जाना चाहिए. तिब्बती बौद्ध धर्म का जन्म चीन में हुआ था और यह चीनी विशेषताओं वाला धर्म है. बीजिंग यहीं पर नहीं रुका बल्कि उसने तो अपने वाफादार पंचेन लामा की नियुक्ति भी कर दी. पंचेन लामा ने पिछले महीने ही राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात की और कम्युनिस्ट पार्टी के प्रति वफादारी की शपथ ली.
भारत रत्न: 80 सांसद की लग चुकी मुहर
दलाई लामा को भारत रत्न देने की मांग कोई नई बात नहीं है. साल 2021 में आईएएनएस-सीवोटर सर्वे में 62.4% भारतीयों ने दलाई लामा को नोबेल पुरस्कार देने का समर्थन किया. हाल ही में ऑल पार्टी इंडियन पार्लियामेंट्री फोरम ऑन तिब्बत के 80 सांसदों ने इस प्रस्ताव पर हस्ताक्षर किए हैं. दलाई लामा 1959 में तिब्बत पर चीनी कब्जे के बाद भारत में शरणार्थी बनकर आए. वह पूरे विश्व के लिए अहिंसा, करुणा और वैश्विक शांति के प्रतीक हैं. उनके योगदान को देखते हुए लोगों का मानना है कि वे भारत रत्न के हकदार हैं, जैसा कि पहले विदेशी हस्तियों- जैसे कि नेल्सन मंडेला (1990), खान अब्दुल गफ्फार खान (1987), और मदर टेरेसा (1980) को दिया गया था. इन सम्मानों ने भारत की वैश्विक नैतिक छवि को मजबूत किया था. दलाई लामा को यह सम्मान देना भी भारत की सॉफ्ट पावर को बढ़ा सकता है. बता दें कि दलाई लामा को 1989 में ‘सहिष्णुता और आपसी सम्मान पर आधारित शांतिपूर्ण समाधान’ की वकालत करने के लिए नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है.
दलाईलामा को अलगाववादी मानता है चीन
दलाई लामा की तारीफ और भारतीय नेताओं संग दलाई लामा की मुलाकात पर चीन को मिर्ची लग जाती है. तो सोचिए भारत अगर उनको देश का सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कार ‘भारत रत्न’ से नवाजता है तो भला शी जिनपिंग को मिर्ची क्यों नहीं लगेगी. इसके बाद चीन की प्रतिक्रिया बेहद तीखी हो सकती है. वे दलाई लामा को ‘अलगाववादी’ मानते हैं. हाल के वर्षों में, जब भी भारत ने दलाई लामा को सम्मान दिया, जैसे कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा उनके जन्मदिन पर बधाई (2022 और 2025), चीन ने इसे अपने आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करार दिया.
क्या हो सकती है चीन की प्रतिक्रिया
यदि दलाई लामा को भारत रत्न दिया जाता है, तो शी जिनपिंग इसे तिब्बत मुद्दे पर भारत का प्रत्यक्ष समर्थन और अपनी “एक चीन नीति” का उल्लंघन मान सकते हैं. चीन की संभावित प्रतिक्रिया में कूटनीतिक नाराजगी जताना, जैसे कि भारतीय राजदूत को बुलाकर विरोध दर्ज करना; आर्थिक प्रतिबंध, जैसे आयात-निर्यात पर प्रतिबंध; या सीमा पर सैन्य तनाव बढ़ाना, जैसा कि 2020 के गलवान संघर्ष के समय देखा गया था, हो सकता है. इसके अलावा, चीन अपनी प्रचार मशीनरी के जरिए इसे “विदेशी साजिश” करार दे सकता है.
दीप राज दीपक 2022 में न्यूज़18 से जुड़े. वर्तमान में होम पेज पर कार्यरत. राजनीति और समसामयिक मामलों, सामाजिक, विज्ञान, शोध और वायरल खबरों में रुचि. क्रिकेट और मनोरंजन जगत की खबरों में भी दिलचस्पी. बनारस हिंदू व...और पढ़ें
दीप राज दीपक 2022 में न्यूज़18 से जुड़े. वर्तमान में होम पेज पर कार्यरत. राजनीति और समसामयिक मामलों, सामाजिक, विज्ञान, शोध और वायरल खबरों में रुचि. क्रिकेट और मनोरंजन जगत की खबरों में भी दिलचस्पी. बनारस हिंदू व...
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