'जनता के खिलाफ षड्यंत्र है मतदाता पुनरीक्षण', मुकेश सहनी ने EC को घेरा

3 hours ago

Last Updated:July 07, 2025, 17:54 IST

Bihar Chunav 2025 News: बिहार में मतदाता पुनरीक्षण अभियान पर सियासत गर्माई है. मुकेश सहनी ने इसे षड्यंत्र बताया, तेजस्वी यादव ने रोकने की मांग की और कांग्रेस ने आयोग पर सवाल उठाए.

'जनता के खिलाफ षड्यंत्र है मतदाता पुनरीक्षण', मुकेश सहनी ने EC को घेरा

मुकेश सहनी की पार्टी से इन लोगों को टिकट मिलना लगभग तय!

हाइलाइट्स

मतदाता पुनरीक्षण अभियान पर बिहार में सियासत गर्माई.मुकेश सहनी ने इसे जनता के खिलाफ षड्यंत्र बताया.तेजस्वी यादव ने मतदाता पुनरीक्षण को रोकने की मांग की.

पटना. बिहार चुनाव आते ही जिला पार्षद, मुखिया, सरपंच और पंचायत समिति पद पर जीते लोग विधायकी का टिकट पाने की कोशिश में जुट जाते हैं. टिकट हासिल करने के चक्कर में ये लोग सुबह-सवेरे सफेद कुर्ता-पैजामा पहनकर घर से निकल जाते हैं. खास बात यह है कि टिकट की चाह रखने वाले ज्यादातर प्रतिनिधि ऊपरी जातियों के होते हैं. लेकिन उन्हें टिकट दिलाने की गारंटी देने वाले एससी-एसटी या ओबीसी जातियों के होते हैं.  क्योंकि बिहार में इस समय ज्यादातर पार्टियों के सर्वेसर्वा सामान्य जाति के नहीं हैं. ऐसे में टिकट दिलाने और पटना पहुंचने पर नेताओं से मिलवाने की गारंटी सहनी, साव और यादव जी जैसे लोग ही देते हैं. बीजेपी और जेडीयू जैसी पार्टियों के दफ्तर में इन्हें घुसने में सुबह से शाम लग जाता है. लेकिन मुकेश सहनी की पार्टी वीआईपी या प्रशांत किशोर की पार्टी जन सुराज के दफ्तर में इन लोगों की एंट्री आसानी से हो जाती है. खास बात यह है कि इन्हें टिकट दिलाने की गारंटी देने वाले अधिकांश मल्लाह, यादव, कोइरी, धानुक या कायस्थ समुदाय के होते हैं.

मुकेश सहनी की पार्टी से इन लोगों को टिकट मिलना लगभग तय!

मुकेश सहनी की विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) महागठबंधन के साथ मिलकर इस बार 60 सीटों पर चुनाव लड़ने की योजना बना रही है. मुकेश सहनी, जिन्हें ‘सन ऑफ मल्लाह’ के नाम से भी जाना जाता है, न केवल मल्लाह समुदाय के वोटबैंक को साधने की कोशिश में हैं. बल्कि सवर्ण और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) समुदायों को भी अपने साथ जोड़ रहे हैं. हाल के दिनों में कई नए चेहरों की पार्टी में एंट्री और 2020 में चार सीटों पर जीत ने वीआईपी को एक महत्वपूर्ण क्षेत्रीय ताकत के रूप में उभारा है. भोजपुरी एक्टर और गायक पवन सिंह पत्नी ज्योति सिंह से लेकर दिल्ली पुलिस के पूर्व ज्वाइंट कमिश्नर वी के सिंह जैसे लोग भी मुकेश सहनी के इर्द-गिर्द चक्कर काट रहे हैं.

सहनी की पार्टी में किसका जलवा?

हालांकि, वीआईपी ने अभी तक बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के लिए अपने उम्मीदवारों की आधिकारिक सूची जारी नहीं की है, लेकिन कुछ प्रमुख नाम और संभावित चेहरों की चर्चा सियासी गलियारों में तेज है. खास बात यह है कि इसमें राजूपत, भूमिहार, ब्राह्मण और यादव जैसी जातियां शामिल हैं.

वीआईपी पार्टी के 20 संभावित चेहरे

1-मुकेश साहनी- वीआईपी सुप्रीमो और पार्टी के सबसे बड़ा चेहरा. इस बार खगड़िया के सिमरी बख्तियारपुर सीट से फिर चुनाव लड़ सकते हैं.पिछली बार 1000 वोट से भी कम अंतर से हार गए थे.

2-बिंदु गुलाब यादव- झंझारपुर की पूर्व विधायक गुलाब यादव की बेटी हैं. चर्चा है कि वह झंझारपुर सीट से वीआईपी के टिकट पर चुनाव लड़ सकती हैं, जहां उनके पिता 2015 में जीते थे.

3- टुनटुन साह. भागलपुर जिला परिषद के पूर्व अध्यक्ष अपनी पत्नी सीमा साह के साथ हाल ही में वीआईपी में शामिल हुए हैं. वह भागलपुर या आसपास की किसी सीट से उम्मीदवार हो सकते हैं.

4- कुणाल सिंह- समस्तीपुर के सरायरंजन से नीतीश सरकार में मंत्री विजय चौधरी के खिलाफ चुनाव लड़ सकते हैं. कुणाल सिंह भूमिहार जाति से आते हैं.

5- रामचंद्र सहनी- 2020 में सुगौली से वीआईपी के टिकट पर जीते थे. वह इस बार भी सुगौली या पूर्वी चंपारण की किसी अन्य सीट से उम्मीदवार हो सकते हैं.

6- स्वर्णा सिंह- 2020 में गौड़ाबौराम से वीआईपी की उम्मीदवार थीं. वह इस बार भी इस सीट या दरभंगा की किसी अन्य सीट से मैदान में उतर सकती हैं.

7- मिश्रीलाल यादव- 2020 में अलीनगर से वीआईपी के उम्मीदवार थे. वह इस बार फिर से अलीनगर या मिथिलांचल की किसी सीट से दावेदारी कर सकते हैं.

8- जयराज चौधरी- 2020 में ब्रह्मपुर से वीआईपी के उम्मीदवार थे. इस बार भी इस सीट पर पार्टी के लिए मजबूत चेहरा हो सकते हैं.

9- वीरेंद्र कुमार ओझा- 2020 में बनियापुर से उम्मीदवार थे. वह इस बार सारण जिले की किसी सीट से मैदान में उतर सकते हैं.

10-बरुण कुमार झा- 2020 में बलरामपुर से वीआईपी के उम्मीदवार थे. वह इस बार भी इस सीट पर दावेदारी ठोक सकते हैं.

11- लखन लाल पंडित: 2020 में बहादुरगंज से उम्मीदवार थे. वह किशनगंज या सीमांचल की किसी सीट से फिर से मैदान में उतर सकते हैं.

12- अमर कुमार पासवान- 2020 में वीआईपी के टिकट पर चुनाव लड़ चुके मुसाफिर पासवान के बेटे हैं. उपचुनाव में आरजेडी के सिंबल पर विधायक चुने गए हैं. इस बार वीआईपी के टिकट पर चुनाव लड़ सकते हैं.

13- सुमन महासेठ: 2020 में मधुबनी सीट से उम्मीदवार थे. वह इस बार भी मधुबनी या मिथिलांचल की किसी अन्य सीट से मैदान में उतर सकते हैं.

14- गीता कुमारी: पूर्व मंत्री रमई राम की बेटी, जिन्हें 2020 में बोचहां उपचुनाव में वीआईपी ने उम्मीदवार बनाया था. वह इस बार बोचहां या मुजफ्फरपुर की किसी अन्य सीट से चुनाव लड़ सकती हैं.

15- एसके सैनी: हाल ही में अपने समर्थकों के साथ वीआईपी में शामिल हुए. वह वैशाली या हाजीपुर की किसी सीट से उम्मीदवार हो सकते हैं, जहां मल्लाह वोटरों की अच्छी संख्या है.

16- अनिल सहनी: मल्लाह समुदाय के प्रभावशाली नेता, जो मुजफ्फरपुर या दरभंगा की किसी सीट से वीआईपी के टिकट पर उतर सकते हैं.

17- ज्योति सिंह- भोजपुरी गायक पवन सिंह की पत्नी के बारे में चर्चा है कि वह वीआईपी पार्टी से आरा या काराकाट विधानसभा सीट से चुनाव लड़ सकती हैं.

18- प्रिया कुमारी: युवा महिला नेता, जो वीआईपी की महिला वोटरों को साधने की रणनीति के तहत किसी मल्लाह-बाहुल्य सीट से उम्मीदवार हो सकती हैं.

19- विकास निषाद: निषाद समुदाय के उभरते चेहरों में से एक, जो सीमांचल या कोसी क्षेत्र की किसी सीट से मैदान में उतर सकते हैं.

20- वी के सिंह- दिल्ली पुलिस के पूर्व ज्वाइंट कमिश्नर के बारे में चर्चा है कि वह साहेबगंज सीट से चुनाव लड़ सकते हैं.

रविशंकर सिंहचीफ रिपोर्टर

भारतीय विद्या भवन से पत्रकारिता की पढ़ाई करने वाले रविशंकर सिंह सहारा समय न्यूज चैनल, तहलका, पी-7 और लाइव इंडिया न्यूज चैनल के अलावा फर्स्टपोस्ट हिंदी डिजिटल साइट में भी काम कर चुके हैं. राजनीतिक खबरों के अलावा...और पढ़ें

भारतीय विद्या भवन से पत्रकारिता की पढ़ाई करने वाले रविशंकर सिंह सहारा समय न्यूज चैनल, तहलका, पी-7 और लाइव इंडिया न्यूज चैनल के अलावा फर्स्टपोस्ट हिंदी डिजिटल साइट में भी काम कर चुके हैं. राजनीतिक खबरों के अलावा...

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