WWII में गुम हुए थे अमेरिकी सैनिक, 80 साल बाद असम के खेतों में मिले...

10 hours ago

Last Updated:March 18, 2025, 12:33 IST

Assam: द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान असम के सपेखाती में दुर्घटनाग्रस्त बी-29 बॉम्बर के तीन अमेरिकी सैनिकों के अवशेष 80 साल बाद खोजे गए. भारत-अमेरिका की संयुक्त फॉरेंसिक जांच से इनकी पहचान हुई, जिससे परिवारों को ...और पढ़ें

WWII में गुम हुए थे अमेरिकी सैनिक, 80 साल बाद असम के खेतों में मिले...

प्रतीकात्मक तस्वीर

1944 की गर्मियों में द्वितीय विश्व युद्ध अपने चरम पर था. इसी दौरान एक अमेरिकी बी-29 सुपरफोर्ट्रेस बॉम्बर जापान में मिशन पूरा कर लौट रहा था, लेकिन यह असम के सपेखाती में दुर्घटनाग्रस्त हो गया. इस हादसे में विमान में सवार सभी 11 अमेरिकी सैनिकों की मौत हो गई थी. युद्ध समाप्ति के बाद केवल सात सैनिकों के अवशेष बरामद हो सके थे. लेकिन अब, 80 साल बाद, वैज्ञानिकों की एक टीम ने इस जगह पर और अवशेष खोजे हैं, जिससे युद्धकाल का एक पुराना रहस्य फिर से जीवंत हो गया है.

कैसे हुए सैनिकों के अवशेष बरामद?
यह खोज भारत की नेशनल फॉरेंसिक साइंसेज यूनिवर्सिटी (NFSU) और अमेरिका की यूनिवर्सिटी ऑफ नेब्रास्का-लिंकन (UNL) के संयुक्त प्रयासों से संभव हो पाई. इस अभियान में अमेरिका के डिफेंस पीओडब्ल्यू/एमआईए अकाउंटिंग एजेंसी (DPAA) ने भी सहयोग किया. 2022-23 के दौरान चली इस खोज में वैज्ञानिकों ने युद्धकालीन विमान के मलबे के साथ-साथ कई अवशेष बरामद किए, जिनमें बटन, जूतों के टुकड़े, पहचान पत्र, सिक्के, पैराशूट के हिस्से और एक सर्वाइवल कंपास शामिल थे.

कौन थे ये सैनिक जिनकी पहचान हुई?
तीन सैनिकों की पहचान वैज्ञानिक तकनीकों की मदद से की गई. ये सैनिक थे:

फ्लाइट ऑफिसर चेस्टर एल. रिंके (33) – मारक्वेट, मिशिगन से सेकंड लेफ्टिनेंट वॉल्टर बी. मिक्लोश (21) – शिकागो, इलिनॉय से सार्जेंट डोनाल्ड सी. आइकेन (33) – एवरट, वॉशिंगटन से
DPAA की वेबसाइट के अनुसार, ये तीनों सैनिक बमबारी मिशन पर थे और इस विमान हादसे में शहीद हो गए थे. अब उनके अवशेष उचित प्रक्रिया के तहत अमेरिका भेजे जाएंगे.

नए वैज्ञानिक तरीकों से हुआ खुलासा
NFSU के कुलपति डॉ. जे. एम. व्यास ने बताया कि यह खोज इसलिए खास थी क्योंकि इसमें 80 साल पुराने नमूनों की पहचान और विश्लेषण किया गया. वैज्ञानिकों ने इस खोज में विशेष तकनीकों का इस्तेमाल किया. चूंकि मलबा पानी भरी मिट्टी में दबा था, इसलिए ‘वेट-स्क्रीनिंग’ नामक तकनीक अपनाई गई. इसमें पाइपों के माध्यम से पानी प्रवाहित कर मिट्टी को 6mm की जाली से गुजारा गया, ताकि छोटे अवशेष भी सुरक्षित निकाले जा सकें. इसके अलावा, गहरे गड्ढों में सुरक्षा के लिए ‘स्टेप्ड एक्सकेवेशन’ तकनीक का उपयोग किया गया.

डीएनए जांच से मिली पुख्ता जानकारी
DPAA के अनुसार, सैनिकों की पहचान भौतिक और मानवशास्त्रीय साक्ष्यों के आधार पर की गई. वैज्ञानिकों ने माइटोकॉन्ड्रियल डीएनए (mtDNA) विश्लेषण और Y-क्रोमोसोम (Y-STR) विश्लेषण जैसी उन्नत तकनीकों का उपयोग किया. अमेरिकी आर्म्ड फोर्सेज मेडिकल एग्जामिनर सिस्टम के विशेषज्ञों ने इस जांच को अंजाम दिया.

परिवारों के लिए भावुक पल
यूनिवर्सिटी ऑफ नेब्रास्का-लिंकन के प्रमुख प्रोफेसर विलियम बेल्चर ने बताया कि सैनिकों के अवशेष मिलने से उनके परिवारों को दशकों बाद सुकून मिला है. वर्षों से अपने प्रियजनों की याद में जी रहे इन परिवारों के लिए यह खोज बेहद मायने रखती है.

Location :

New Delhi,Delhi

First Published :

March 18, 2025, 12:33 IST

homenation

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