दक्षिण कन्नड़ जिले के बेलथंगडी तालुका के उरुवालु गांव में एक साहसी महिला ने बड़े आकार के एक अजगर (पाइथन) को पकड़कर उसे बोरे में डालकर जंगल में छोड़ दिया. इस घटना के बाद पूरे इलाके में आशा के साहस की चर्चा हो रही है. स्थानीय लोगों का कहना है कि इस प्रकार के खतरनाक जानवरों से निपटना हर किसी के बस की बात नहीं होती. आशा ने न केवल अपनी हिम्मत का परिचय दिया है, बल्कि अन्य लोगों को भी प्रेरित किया है कि वे प्रकृति और वन्यजीवों की सुरक्षा में योगदान दें.
वन विभाग ने की तारीफ
आशा के इस साहसिक कदम की वन विभाग के अधिकारियों ने भी प्रशंसा की है. उन्होंने कहा कि आशा का यह कार्य बहुत सराहनीय है और अन्य लोगों के लिए भी एक प्रेरणा है. आशा द्वारा सांपों को पकड़कर जंगल में छोड़ने का कार्य न केवल वन्यजीवों की रक्षा करता है, बल्कि स्थानीय लोगों को सुरक्षित भी रखता है. अधिकारियों ने बताया कि वन्यजीवों और इंसानों के बीच संतुलन बनाए रखने के लिए इस तरह के कार्य बेहद महत्वपूर्ण हैं.
समुदाय में जागरूकता फैलाने का प्रयास
आशा ने इस घटना के बाद अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि वे लोगों को वन्यजीवों के प्रति जागरूक करना चाहती हैं. उन्होंने कहा कि अक्सर लोग सांपों और अन्य खतरनाक जानवरों को देखकर घबरा जाते हैं और उन्हें मारने की कोशिश करते हैं, जबकि यह जरूरी है कि उन्हें सुरक्षित रूप से जंगल में छोड़ा जाए. आशा अब अपने अनुभव और ज्ञान के माध्यम से समुदाय में यह संदेश फैलाने का प्रयास कर रही हैं कि वन्यजीव भी पारिस्थितिकी का हिस्सा हैं और उनकी रक्षा करना जरूरी है.
आशा का वन्यजीव संरक्षण में योगदान
आशा का यह कार्य कोई नई बात नहीं है. वे लंबे समय से वन्यजीव संरक्षण में सक्रिय हैं और उन्हें इस क्षेत्र में गहरा अनुभव है. सांपों को पकड़ने और उन्हें सुरक्षित स्थान पर छोड़ने की उनकी काबिलियत ने उन्हें इलाके में लोकप्रिय बना दिया है. आशा ने बताया कि उन्होंने पिछले 21 वर्षों में 900 से भी अधिक सांपों को सुरक्षित रूप से जंगल में छोड़ा है, जिसमें नाग, अजगर और अन्य प्रजातियों के सांप शामिल हैं. उनके इस योगदान के लिए पूरे समुदाय में उनकी सराहना की जाती है.
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FIRST PUBLISHED :
November 7, 2024, 11:59 IST