अफगानिस्तान के बाजार से ISI ने खरीदे US हथियार, कीमत सुनकर हो जाएंगे हैरान

18 hours ago

Last Updated:July 30, 2025, 20:45 IST

US MADE M4 ON SALE: अगस्त 2021 को अफ़ग़ानिस्तान से 20 साल रहने के बाद अमेरिकी सेना आनन फ़ानन में अपने हथियार और साजो सामान छोड निकल गई और उसके बाद से भारत सहित सभी देशों को इस बात का डर सबको सता रहा था कि जो अफ...और पढ़ें

अफगानिस्तान के बाजार से ISI ने खरीदे US हथियार, कीमत सुनकर हो जाएंगे हैरानपहलगाम हमले में M4 कार्बाइन का हुआ इस्तेमाल

हाइलाइट्स

अमेरिकी हथियार अफगानिस्तान में छोड़े गए.ISI ने अफगानिस्तान से अमेरिकी हथियार खरीदे.कश्मीर में आतंकियों के पास M4 और AK-47 बरामद.

US MADE M4 ON SALE: पहलगाम हमले के दोषियों को सेना ने उनके अंजाम तक पहुंचा दिया. ऑपरेशन महादेव में सेना के स्पेशल फोर्स ने तीन आतंकियों को मार गिराया. उनके कब्जे से 3 हथियार और अन्य सामान बरामद हुए. इनमें एक बार फिर बरामद हुई M4 साथ में 2 AK-47 रायफल. M4 कार्बाइन के आतंकियों के हाथों में पड़ने का खतरा तो उसी दिन से बढ़ गया था जब अमेरिका अफगानिस्तान से जाते वक्त हथियारों का जखीरा पीछे छोड़ गया था. अमेरिकी सेना अफगानिस्तान में 7 बिलियन डॉलर से ज्यादा कीमत के हथियार और अन्य सामान छोड़ गई थी. तालिबान से ISI और फिर उनके गुर्गे आतंकियों के जरिए ये हथियार कश्मीर में पहुंचा दिए. रिपोर्ट के मुताबिक एक M4 कार्बाइन राइफल 1,200 से 2,400 डॉलर में बेची गई. 130 डॉलर में बिकी AK-47. M16 की 750 डॉलर और अगर इसमें ग्रेनेड लॉन्चर के साथ खरीदा तो कीमत दोगुनी हो गई.

अमेरिकी हथियारों की मंडी बना अफगानिस्तान
1980 के दशक में डिज़ाइन और डेवलप की गई M-4 कार्बाइन अमेरिका, नेटो, यहाँ तक की पाकिस्तान की स्पेशल फ़ोर्स और सिंध पुलिस इस्तेमाल करती है। दुनिया के बड़े कॉन्फ़्लिक्ट जैसे सीरिया सिविल वॉर, इराक़ सिविल वॉर, यमन सिविल वॉर, इराक़ और अफ़ग़ानिस्तान वॉर सहित कई जगह पर इसका बहुत इस्तेमाल हुआ. अमेरिका अफगानिस्तान में 3 लाख 16 हजार से ज्यादा छोटे हथियार, 26 हजार हैवी वेपन छोड़ गया था. इनमें M24 स्नाईपर, M4 कार्बाइन, M-16A4 रायफल, M249 मशीन गन, AMD रायफल, M4 A1 कार्बाइन, M16 A2/A4 असॉल्ट रायफल शामिल थे. इसके अलावा 48 मिलियन डॉलर के 1,537,000 एम्यूनेशन और राउंड भी छोड़े गए थे. साथ ही 42,000 नाइट विजन, सर्वेलांस, बायोमेट्रिक और पोजिशनिंग इक्विपमेंट भी शामिल थे. तालिबान ने इन हथियारों के जरिए खूब पैसे कमाए. नाइट विजन कैमरा 500 से 1,000 डॉलर में बेचा गया. जो भी हथियार जम्मू कश्मीर में आतंकी हमलों में इस्तेमाल किए जा रहे हैं, वो पाकिस्तान सेना की तरफ़ से ही लेकर आतंकियों को दिए गए हैं.

मसूद अज़हर का भतीजा लाया था M4 पहली बार
अगर हम M4 की कश्मीर में एंट्री की बात करें तो रिपोर्ट के मुताबिक़ पहली बार जम्मू कश्मीर में M4 साल 2017 में बरामद हुई थी. जब सुरक्षाबलों ने जैश सरगना मसूद अज़हर के भतीजे तलाह रशीद मसूद को पुलवामा में मार गिराया था. इस वक्त जितने भी आतंकी गुट घाटी में मौजूद हैं, उनके पास AK-47 रायफल और M4 कार्बाइन का कॉम्बिनेशन मौजूद है. ये कॉम्बिनेशन पहलगाम हमले भी सामने आया. कई सेना के काफिले पर हुए हमले में यह बात साफ हुइ है कि सेना की गाड़ियों पर पहला बर्स्ट M4 से ही फायर किया गया. क्योंकि इससे स्टील बुलेट फ़ायर की जा सकती है जो कि थिन स्किन गाड़ियों, मतलब जो गाड़ी बुलेटप्रूफ़ न हो, उसके स्टील की चादर को ये स्टील बुलेट कॉपर बुलेट के मुकाबले आसानी से छेद देती है. कठुआ और रियासी में हुए आतंकी हमलों में भी M4 का इस्तेमाल किया गया था. खुद जैश और लश्कर इन गन को सेना के क़ाफ़िले पर हमले के लिए आतंकियों को देते हैं.

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