Agency:एजेंसियां
Last Updated:July 06, 2025, 09:33 IST
Supreme Court OBC Reservation: सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक कदम उठाते हुए ओबीसी को आरक्षण देने का निर्णय लिया है. SC, ST, दिव्यांग, पूर्व सैनिकों और स्वतंत्रता सेनानियों के आश्रितों को भी आरक्षण मिलेगा.

सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक कदम उठाते हुए अन्य पिछड़ा वर्ग को आरक्षण देने का निर्णय लिया है.
हाइलाइट्स
सुप्रीम कोर्ट ने ओबीसी आरक्षण लागू किया.SC, ST, दिव्यांग, पूर्व सैनिकों को भी आरक्षण मिलेगा.सुप्रीम कोर्ट ऑफिसर्स एंड सर्वेंट्स रूल्स, 1961 में संशोधन किया गयासरकारी नौकरियों और IIT-IIM जैसे उच्च शिक्षण संस्थानों में आरक्षण मिलने के बाद अब सुप्रीम कोर्ट ने भी इस दिशा में ऐतिहासिक कदम उठाया है. कोर्ट ने ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) को आरक्षण देने का निर्णय लिया है. भारत के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस बीआर गवई की अध्यक्षता में सुप्रीम कोर्ट ने अपने गैर-न्यायिक कर्मचारियों की नियुक्ति प्रक्रिया में बड़ा बदलाव किया है. इसके तहत अनुसूचित जाति (SC), अनुसूचित जनजाति (ST), दिव्यांग, पूर्व सैनिकों और स्वतंत्रता सेनानियों के आश्रितों के साथ-साथ ओबीसी को भी आरक्षण का लाभ देने की अधिसूचना जारी कर दी है.
6 दशक पुराने रूल में संशोधन
इस बदलाव के तहत सुप्रीम कोर्ट ऑफिसर्स एंड सर्वेंट्स (कंडीशन्स ऑफ सर्विस एंड कंडक्ट) रूल्स, 1961 के नियम 4A में संशोधन किया गया है. यह संशोधन संविधान के अनुच्छेद 146(2) के तहत मुख्य न्यायाधीश की शक्तियों का प्रयोग करते हुए किया गया है. अधिसूचना में स्पष्ट किया गया है कि इन सभी श्रेणियों को केंद्र सरकार द्वारा समय-समय पर जारी आदेशों और अधिसूचनाओं के अनुसार आरक्षण मिलेगा, जैसा कि उन पदों के लिए निर्धारित वेतनमान के अनुरूप होता है.
सुप्रीम कोर्ट ने 33 साल बाद उठाया कदम
यह निर्णय केवल एक प्रशासनिक बदलाव नहीं, बल्कि न्यायिक व्यवस्था में समावेशिता की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है. सुप्रीम कोर्ट ने यह कदम उस ऐतिहासिक फैसले के 33 साल बाद उठाया है, जब 1992 में इंदिरा साहनी बनाम भारत सरकार मामले में नौ-न्यायाधीशों की पीठ ने ओबीसी को 27% आरक्षण देने को संवैधानिक रूप से वैध ठहराया था. बावजूद इसके, सुप्रीम कोर्ट की आंतरिक भर्तियों में अब तक ओबीसी वर्ग को आरक्षण का लाभ नहीं दिया गया था. वहीं पूर्ववर्ती मनमोहन सिंह सरकार में मानव संसाधन विकास मंत्री रहे अर्जुन सिंह ने उच्च शिक्षण संस्थानों में ओबीसी वर्ग को भी आरक्षण का रास्ता साफ किया था.
राज्यसभा सांसद और वरिष्ठ अधिवक्ता पी. विल्सन लंबे समय से सुप्रीम कोर्ट में ओबीसी आरक्षण की मांग कर रहे थे. उन्होंने इसे ‘ऐतिहासिक सुधार’ करार दिया. उन्होंने कहा कि यह संशोधन अब सुप्रीम कोर्ट की भर्तियों को राष्ट्रीय स्तर पर लागू आरक्षण मानकों के अनुरूप लाएगा.
इतना ही नहीं, मुख्य न्यायाधीश गवई ने एससी और एसटी वर्ग के लिए एक स्पष्ट रोस्टर प्रणाली लागू करने की पहल भी की है, जो आर.के. सबरवाल बनाम हरियाणा राज्य (1995) मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा सुझाए गए 200-पॉइंट रोस्टर सिस्टम के अनुरूप है. यह प्रणाली सुनिश्चित करेगी कि सामान्य और आरक्षित वर्गों के बीच न्यायोचित संतुलन बना रहे.
देश के इतिहास में यह पहली बार है जब सुप्रीम कोर्ट के आंतरिक नियमों में इस प्रकार का व्यापक सामाजिक न्याय सुनिश्चित करने वाला संशोधन किया गया है. जिस सुप्रीम कोर्ट ने दशकों पहले सामाजिक न्याय के सिद्धांतों को मान्यता दी थी, आज वही अदालत अपने भीतर उसी न्याय को लागू करती नजर आ रही है.
An accomplished digital Journalist with more than 13 years of experience in Journalism. Done Post Graduate in Journalism from Indian Institute of Mass Comunication, Delhi. After Working with PTI, NDTV and Aaj T...और पढ़ें
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New Delhi,Delhi