Last Updated:June 28, 2025, 12:52 IST
Food Research: सरदार पटेल यूनिवर्सिटी के शोध में प्रोसेस्ड फूड में मिले एडिटिव्स के डीएनए पर दुष्प्रभाव का खुलासा हुआ है. सिट्रिक एसिड, बेकिंग पाउडर और एमएसजी सबसे हानिकारक पाए गए हैं.

हिमाचल प्रदेश में खाने पर रिसर्च.
मंडी. अगर आप प्रोसेस्ड फूड और स्नेक्स आदि खाने के ज्यादा शौकीन हैं तो अपने इस शौक को समय रहते कम कर लिजिए. क्योंकि इनमें मिलाए जाने वाले एडिटिव्स बहुत ही धीरे-धीरे आपके डीएनए तक को नुकसान पहुंचाकर आपके शरीर को बीमारियों का घर बना देंगे. यह खुलासा हुआ है सरदार पटेल यूनिवर्सिटी के शोध में. इस शोध को जूलॉजी विभाग की असिस्टेंट प्रोफेसर डा. नीलम ठाकुर के नेतृत्व में यशस्वी राजगौर, ऋतिका चौहान, ममता नेगी, शेफाली शर्मा, लता ठाकुर, गगनदीप सिंह, और डा. उमेश कुमार द्वारा किया गया है. यूरोपियन फूड रिसर्च एंड टेक्नोलॉजी ने एसपीयू के इस शोध को प्रकाशित भी कर दिया है.
डा. नीलम ठाकुर ने बताया कि प्रोसेस्ड फूड और स्नेक्स में सिट्रिक एसिड, बेकिंग पाउडर और मोनोसोडियम ग्लूटामेट बड़ी संख्या में मिलाए जाते हैं. शोधार्थियों ने मंडी शहर और इसके आस पास के इलाकों के फूड वेंडरों से सेंपल लेकर प्याज की जड़ों की कोशिकाओं पर उनकी जांच की. यह कोशिकाएं इंसानी कोशिकाओं की तरह ही व्यवहार करती हैं. इससे पता चला कि कैसे यह एडिटिव्स धीरे-धीरे इंसान की कोशिकाओं पर दुष्प्रभाव डालकर उनके डीएनए को भी प्रभावित कर रहे हैं. डा. नीलम ने कहा कि जो चीज आपके डीएनए तक को प्रभावित कर दे वो आपके शरीर को किस हद तक नुकसान पहुंचा सकती है, इसका अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है. एक तरह से व्यक्ति अपने शरीर में अनेकों बीमारियों को न्यौता दे रहा है और उसे अभी इस बात का पता भी नहीं चल रहा.
कम्पेरिटिव शोध नहीं हुआः नीलम
डा. नीलम ठाकुर ने बताया कि इन फूड एडिटिव्स पर पहले भी शोध हुए हैं लेकिन आज दिन तक इनका कम्पेरिटिव शोध नहीं हुआ था. यही इनके शोध की विशेष बात भी है. शोध में पाया गया कि सिट्रिक एसिड सबसे अधिक हानिकारक रहा, इसके बाद बेकिंग पाउडर, और फिर एमएसजी. चौंकाने वाली बात यह रही कि बेकिंग पाउडर कम मात्रा में भी अधिक प्रभावशाली रूप से नुकसान पहुंचाता है. शोध की खास बात यह भी रही कि यह केवल प्रयोगशाला तक सीमित नहीं रहा. शोधकर्ताओं ने हिमाचल प्रदेश के स्थानीय फूड वेंडरों से लिए गए सैंपल्स के आधार पर प्रयोग किए, ताकि वास्तविक जीवन में उपयोग हो रही मात्रा का सटीक आकलन हो सके. शोध दल ने आम जनता, नीति निर्माताओं और खाद्य नियामक एजेंसियों से अपील की है कि इस दिशा में तत्काल जागरूकता को लेकर मुहीम शुरू की जाए ताकि लोगों को भविष्य में होने वाली गंभीर बीमारियों और इनके दुष्प्रभावों के बारे में अभी से ही बताया जा सके.
13 Years Experience in Print and Digital Journalism. Earlier used to Work With Dainik Bhaskar, IANS, Punjab Kesar and Amar Ujala . Currently, handling Haryana and Himachal Pradesh Region as a Bureau chief from ...और पढ़ें
13 Years Experience in Print and Digital Journalism. Earlier used to Work With Dainik Bhaskar, IANS, Punjab Kesar and Amar Ujala . Currently, handling Haryana and Himachal Pradesh Region as a Bureau chief from ...
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Location :
Mandi,Himachal Pradesh