Last Updated:March 21, 2025, 08:07 IST
दिल्ली हाईकोर्ट ने एक महिला को पति से गुजारा भत्ता देने से इनकार किया, क्योंकि वह नौकरी करने में सक्षम है. कोर्ट ने कहा कि कानून आलस्य को बढ़ावा देने के लिए नहीं है.

दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा, पत्नी के आलसी बने रहने के लिए नहीं है गुजारा भत्ता कानून.
नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने एक महिला को अपने पति से गुजारा भत्ता देने से इनकार करते हुए निचली अदालत के आदेश को सही ठहराया है. कोर्ट ने कहा कि पत्नी, बच्चों और माता-पिता को आर्थिक मदद देने वाला कानून समानता बनाए रखने के लिए है, ना कि आलस्य को बढ़ावा देने के लिए. जस्टिस चंद्र धारी सिंह की बेंच ने बुधवार को अपने फैसले में कहा कि नौकरी करने में सक्षम योग्य पत्नियों को सिर्फ अपने पति से गुजारा भत्ता पाने के लिए बेरोजगार नहीं रहना चाहिए.
जस्टिस चंद्र धारी सिंह की पीठ ने अपने फैसले में कहा कि योग्य और सक्षम पत्नियों को केवल गुजारा भत्ता लेने के लिए निष्क्रिय नहीं रहना चाहिए. जस्टिस सिंह ने कहा, ‘इस अदालत का मानना है कि योग्य पत्नियां, जिनके पास कमाई करने की क्षमता है, लेकिन वो खाली बैठना चाहती हैं, उन्हें अंतरिम गुजारा भत्ता का दावा नहीं करना चाहिए. सीआरपीसी की धारा 125 का मकसद पति-पत्नी के बीच समानता बनाए रखना, पत्नियों, बच्चों और माता-पिता को सुरक्षा प्रदान करना है, ना कि आलस्य को बढ़ावा देना.’
यह फैसला एक हफ्ते में दूसरा फैसला है जिसमें देश भर की अदालतों ने शिक्षित और सक्षम व्यक्तियों को आर्थिक जिम्मेदारियों से बचने से हतोत्साहित किया है.
यह फैसला देश भर की अदालतों द्वारा एक सप्ताह में दिया गया दूसरा ऐसा फैसला है जो शिक्षित और सक्षम लोगों को आर्थिक जिम्मेदारियों से बचने से रोकता है. पिछले सप्ताह उड़ीसा हाई कोर्ट ने फैसला सुनाया था कि एक योग्य पति जो अपनी पत्नी को गुजारा भत्ता देने से बचने के लिए नौकरी छोड़कर बेरोजगार बना रहता है एक सभ्य समाज में उसकी सराहना नहीं की जा सकती. हालांकि दिल्ली वाले मामले से अलग परिस्थितियों वाले मामले में वह फैसला था. उस मामले में उड़ीसा हाई कोर्ट ने BE (पावर इलेक्ट्रॉनिक्स) योग्यता वाले एक व्यक्ति को बेरोजगारी का दावा करने के बावजूद अपनी पत्नी को प्रति माह ₹15,000 गुजारा भत्ता देने का आदेश दिया था.
दिल्ली वाले मामले में जस्टिस सिंह ने कहा कि एक सुशिक्षित पत्नी, जिसके पास एक अच्छी नौकरी का अनुभव है, उसे केवल अपने पति से गुजारा भत्ता पाने के लिए बेकार नहीं बैठना चाहिए. दरअसल, 36 वर्षीय महिला ने दिल्ली की अदालत के 5 नवंबर, 2022 के उस आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था, जिसमें उसे अंतरिम गुजारा भत्ता देने से इनकार कर दिया गया था. इस कपल ने दिसंबर 2019 में शादी की थी और सिंगापुर चले गए थे, लेकिन महिला दो साल बाद अपने पति पर क्रूरता का आरोप लगाते हुए भारत वापस आ गई. बाद में वह अपने मामा के साथ रहने लगी.
हाई कोर्ट में अपनी याचिका में महिला ने कहा कि शहर की अदालत इस बात को समझने में विफल रही कि उन्होंने जीवन में बहुत बाद में शादी की थी जब वह 36 साल की थीं और अदालत ने उनकी ग्रेजुएशन, आखिरी नौकरी और शादी की तारीख के बीच के लंबे अंतर को नजरअंदाज कर दिया. पति के वकील आदित्य सिंह ने दलील दी कि उनकी पत्नी उच्च शिक्षित होने के साथ-साथ कमाई करने में भी सक्षम हैं और इस प्रकार वह सीआरपीसी की धारा 125 के तहत गुजारा भत्ता का दावा नहीं कर सकती हैं.
Location :
Delhi,Delhi,Delhi
First Published :
March 21, 2025, 08:07 IST
आलस छोड़ो, काबिल हो खुद कमाओ...पत्नी मांग रही थी गुजारा भत्ता, HC ने सुना दिया