Last Updated:May 28, 2025, 14:41 IST
Acharya Jonas Masetti: भारत सरकार की ओर से पद्मश्री, पद्मभूषण, पद्मविभूषण, भारत रत्न जैसे सिविलियन अवार्ड दिए जाते हैं. इस बार एक ऐसे शख्स को पद्मश्री से नवाजा गया है, जिन्होंने सात समंदर पार सनातन धर्म की अ...और पढ़ें

ब्राजील के रहने वाले जोनस मजेट्ठी को पद्मश्री अवार्ड से सम्मानित किया गया है.
हाइलाइट्स
ब्राजील के जोनस मजेट्ठी को पद्मश्री अवार्ड से सम्मानित किया गया हैआचार्य जोनस मजेट्ठी ब्राजील में वेदांत दर्शन का प्रचार-प्रसार कर रहे हैं ब्राजीलियन आचार्य को विश्वनाथ के लोकप्रिय नाम से भी जाना जाता हैनई दिल्ली. भारत सरकार की ओर से कई तरह के सिविलियन अवार्ड दिए जाते हैं. ये सम्मान उनलोगों को दिया जाता है, जिन्होंने समाजाकि और सांस्कृतिक क्षेत्र में अहम योगदान किया है. इस बार पद्मश्री पाने वालों में से एक नाम ने सबको चौंका दिया. चौंकने की वजह यह थी कि वह भारत के रहने वाले नहीं हैं, इसके बावजूद सनातन धर्म और भारत की संस्कृति को फैलाने में लगातार जुटे हुए हैं. इनका नाम है आचार्य जोनास मजेट्ठी (Acharya Jonas Masetti). इन्हें विश्वनाथ के नाम से भी जाना जाता है. जोनास मजेट्ठी ब्राजील के रहने वाले हैं, पर उनके मन में सनातन संस्कृति को लेकर ऐसा श्रद्धा भाव पैदा हुआ कि वे ब्राजील में इसके ध्वजवाहक बन गए हैं. रुद्राक्ष की माला और सूती वस्त्र धारण करने वाल जोनास मजेट्ठी निस्वार्थ भाव से वेदांत दर्शन और भगवद् गीता की अलख को जगाने का काम कर रहे हैं.
ब्राजील के वेदांत आचार्य जोनस मजेट्ठी को ‘विश्वनाथ’ के नाम से भी जाना जाता है. अब उनको भारतीय संस्कृति के प्रचार-प्रसार में उनके योगदान के लिए भारत सरकार द्वारा प्रतिष्ठित पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया है. भारतीय परंपरा और संस्कृति के प्रति उनके समर्पण और वैश्विक स्तर पर इसके प्रचार के लिए उन्हें इस पुरस्कार से नवाजा गया है. पद्मश्री पुरस्कार मिलने के बाद जोनस ने कहा कि उनके लिए यह एक बड़ा आशीर्वाद है. ये पुरस्कार युवा पीढ़ी को भारतीय संस्कृति की ओर आकर्षित करने में सहायक होगा. जोनास मजेट्ठी का जीवन भारतीय संस्कृति के प्रति उनके प्रेम और समर्पण का प्रतीक है.
नंगे पैर, गले में रुद्राक्ष, सूती परिधान…#Brazil के जोनस् मज़ेट्ठी को पद्म श्री से सम्मानित किया गया है.
मैकेनिकल इंजीनियर #JonasMasetti भारतीय आध्यात्म से इतने प्रभावित हैं कि विश्व में वेदांत और भगवत गीता के ज्ञान का प्रचार कर रहे हैं.#padmaawards2025 @indiainbrazil pic.twitter.com/0AvCy432W5
— SansadTV (@sansad_tv) May 27, 2025
मैकेनिकल इंजिनियरिंग की पढ़ाई, स्टॉक मार्केट में काम
जोनस मजेट्ठी का जन्म ब्राजील में हुआ था. उन्होंने मैकेनिकल इंजीनियरिंग में अपनी पढ़ाई की और स्टॉक मार्केट में काम किया. जीवनशैली से संतुष्ट न होने के कारण उन्होंने आध्यात्मिकता की ओर रुख किया. भारत आकर उन्होंने वेदांत और योग की शिक्षा ली और आचार्य दयानंद सरस्वती के आश्रम में वेदांत की शिक्षा प्राप्त की. भारत में वेदांत की शिक्षा प्राप्त करने के बाद जोनस ने ब्राजील के पेट्रोपोलिस में ‘विश्व विद्या’ नामक संस्था की स्थापना की. इस संस्था के माध्यम से वे ब्राजील और अन्य देशों में वेदांत, योग, संस्कृत, गीता और रामायण का प्रचार-प्रसार करते हैं. उनकी शिक्षाओं से अब तक 1.5 लाख से अधिक छात्र प्रभावित हुए हैं.
पीएम मोदी बता चुके हैं ‘सांस्कृतिक राजदूत’
भारत सरकार ने जोनस मजेट्ठी को उनके योगदान के लिए पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साल 2020 में अपने ‘मन की बात’ कार्यक्रम में जोनस की सराहना करते हुए उन्हें ‘भारत का सांस्कृतिक राजदूत’ करार दिया था. बता दें कि पद्मश्री पुरस्कार भारत सरकार द्वारा प्रदान किया जाने वाला एक प्रतिष्ठित नागरिक सम्मान है, जो जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में विशिष्ट योगदान के लिए दिया जाता है. यह पुरस्कार कला, साहित्य, शिक्षा, विज्ञान, चिकित्सा, खेल, सामाजिक कार्य, सार्वजनिक जीवन और अन्य क्षेत्रों में उत्कृष्ट कार्य के लिए प्रदान किया जाता है.
बिहार, उत्तर प्रदेश और दिल्ली से प्रारंभिक के साथ उच्च शिक्षा हासिल की. झांसी से ग्रैजुएशन करने के बाद दिल्ली यूनिवर्सिटी से पत्रकारिता में PG डिप्लोमा किया. Hindustan Times ग्रुप से प्रोफेशनल कॅरियर की शु...और पढ़ें
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