इंतजार करते रह गए सिद्दारमैया-शिवकुमार, राहुल ने दे दिया स्‍ट्रॉन्‍ग मैसेज

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Last Updated:July 12, 2025, 09:44 IST

Karnataka Congress News: कर्नाटक में कुर्सी के लिए जारी लड़ाई थमने का नाम नहीं ले रही है. मुख्‍यमंत्री सिद्दारमैया और डिप्‍टी सीएम डीके शिवकुमार के बीच पावर टसल की स्थिति बनी हुई है.

इंतजार करते रह गए सिद्दारमैया-शिवकुमार, राहुल ने दे दिया स्‍ट्रॉन्‍ग मैसेज

राहुल गांधी कर्नाटक के मुख्‍यमंत्री सिद्दारमैया और उपमुख्‍यमंत्री डीके शिवकुमार से दिल्‍ली में मुलाकात नहीं की. (पीटीआई/फाइल फोटो)

Karnataka Congress News: कर्नाटक कांग्रेस में जारी सत्‍ता संघर्ष का मसला दिल्‍ली दरबार तक तो पहुंचा, पर धुरंधरों को फिलहाल इसका कुछ सिला न मिल सका. कर्नाटक भवन की चौथी मंजिल पर एक बड़े सोफे पर आराम करते हुए मुख्यमंत्री सिद्धारमैया आत्मविश्वास से लबरेज नजर आए. अपने समर्थकों से घिरे सिद्दारमैया ने कहा कि कोई खाली जगह नहीं है, मैं पांच साल के लिए मुख्यमंत्री हूं. उनका यह बयान इस बात का स्पष्ट संकेत था कि वे कर्नाटक में नेतृत्व परिवर्तन की अटकलों को खारिज करना चाहते हैं. वहीं, कुछ दूरी पर उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार अपने नंबर का इंतजार करते रहे. राहुल गांधी से मिलने की आस लगाए बैठे रहे. दोनों नेता कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व से मुलाकात की कोशिश में थे, ताकि राज्य में चल रही सत्ता की खींचतान को लेकर स्थिति स्पष्ट की जा सके. आखरिकार दोनों का निराशा ही हाथ लगी.

राहुल गांधी इन दोनों नेताओं को समय नहीं दिया. इसके बजाय उन्‍होंने गुजरात के नेताओं से मुलाकात की. संदेश स्पष्ट था – कर्नाटक इंतजार कर सकता है. सूत्रों के अनुसार, राहुल गांधी से मिलने का कार्यक्रम तय ही नहीं था. इसके बजाय पार्टी के कर्नाटक प्रभारी रणदीप सुरजेवाला ने इन दोनों नेताओं के साथ लंबी बैठक की. राहुल गांधी और शीर्ष नेतृत्व की ओर से यह संकेत भी मिला कि ध्यान केवल चुनावी वादों को पूरा करने पर होना चाहिए, न कि नेतृत्व परिवर्तन पर.

दिल्ली से बेंगलुरु तक संदेश साफवादे पूरे करो, संघर्ष नहीं

सूत्र बताते हैं कि राहुल गांधी अब नेतृत्व संघर्ष में सीधे दखल देने से बच रहे हैं. उनका जोर इस बात पर है कि बीती बातों को भुलाकर सरकार को स्थिरता के साथ चलाया जाए. यही रणनीति उन्होंने पहले राजस्थान और छत्तीसगढ़ में भी अपनाई थी, जहां अशोक गहलोत और भूपेश बघेल के खिलाफ आवाज़ें उठने के बावजूद उन्होंने पद परिवर्तन की अनुमति नहीं दी थी. इन राज्यों में अंततः इसका खामियाजा कांग्रेस को उठाना पड़ा. अब यही स्थिति कर्नाटक में दोहराई जाती दिख रही है. सिद्धारमैया और शिवकुमार के बीच सालों पुराना नेतृत्व विवाद एक बार फिर उभरता नजर आ रहा है. भले ही डीके शिवकुमार ने सीधे तौर पर कोई बयान नहीं दिया, लेकिन उन्होंने यह जरूर कहा कि हर मुद्दे पर बोलने की जरूरत नहीं होती. उनके समर्थकों का मानना है कि वह पार्टी के भरोसेमंद संकटमोचक हैं और अब उनके धैर्य की परीक्षा खत्म होनी चाहिए.

क्या राहुल गांधी का दूरी बनाए रखना सही रणनीति है?

राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक, कांग्रेस शीर्ष नेतृत्व की यह रणनीति (मुख्यमंत्री को प्राथमिकता देना और बदलाव से बचना) कुछ समय के लिए स्थिरता जरूर ला सकती है, लेकिन इससे पार्टी के भीतर असंतोष बढ़ सकता है. कर्नाटक कांग्रेस के भीतर से ही ऐसी आवाजें उठने लगी हैं कि असल प्राथमिकता सरकार चलाना नहीं, बल्कि नेतृत्व बदलना बन गया है. डीके शिवकुमार को जहां वोक्कालिगा समुदाय और कांति बंधुओं जैसे प्रभावशाली नेताओं का समर्थन हासिल है, वहीं सिद्धारमैया अब भी एक मजबूत सामाजिक आधार और प्रशासनिक अनुभव के चलते शीर्ष नेतृत्व का भरोसा बनाए हुए हैं.

अगले हफ्ते होंगे आमने-सामने

सूत्रों के अनुसार, अगले सप्ताह मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री और सुरजेवाला के बीच एक और दौर की बैठक होनी है, जो इस आंतरिक संघर्ष के भविष्य की दिशा तय कर सकती है. यह देखना दिलचस्प होगा कि कांग्रेस इस बार कोई निर्णायक कदम उठाती है या फिर पिछली बार की तरह स्थिति को खींचती रहती है, जिससे आखिरकार नुकसान पार्टी को ही उठाना पड़े.

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