ईरान कमजोर पड़ा तो रूस-चीन का क्या होगा हाल? जानें दोनों देशों पर क्या पड़ेगा असर

5 hours ago

Impact of Israel Iran War: इजराइल और ईरान के बीच जारी युद्ध का आज 8वां दिन और इस दौरान दोनों देशों ने एक दूसरे पर जमकर हमले किए हैं. इजरायल और ईरान दोनों में से कोई पीछे हटने को तैयार नहीं हैं, बहुत जल्द यह संघर्ष भीषण तबाही वाले संग्राम में बदल सकता है. इसका असर इजरायल और ईरान के साथ ही दुनियाभर के कई देशों पर पड़ेगा. इजरायल के खिलाफ अगर ईरान कमजोर पड़ता है तो इसका सबसे ज्यादा असर रूस और चीन पर पड़ेगा.

रूस को नुकसान के साथ फायदा?

रूस खुद फरवरी 2022 से यूक्रेन के साथ युद्ध में उलझा हुआ है. कई विशेषज्ञ मानते हैं कि अगर ईरान में सत्ता परिवर्तन होता है तो पश्चिम एशिया में रूस की बची-खुची मौजूदगी और सिमट जाएगी. हालांकि, ऐसा नहीं है कि ईरान के कमजोर पड़ने से रूस को सिर्फ नुकसान होगा, बल्कि उसको कुछ फायदे भी हो सकते हैं. जैसे ईरान को नुकसान होने पर तेल के दाम बढ़ सकते हैं, जिससे रूस को आर्थिक रूप से फायदा हो सकता है.

बशर अल-असद का जाना पुतिन को झटका

साल 2024 के अंत में सीरिया में बशर अल-असद की सत्ता का अंत हुआ. सीरिया से बशर अल-असद का जाना रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के लिए किसी भी लिहाज से ठीक नहीं था. पश्चिम एशिया में रूस की मजबूत मौजूदगी के लिए सीरिया में बशर अल-असद की सत्ता में मौजूदगी अहम थी. पिछले साल दिसंबर में असद को रूस में शरण लेनी पड़ी थी.

चीन को क्या होगा नुकसान?

ईरान का सबसे बड़ा तेल खरीदार चीन ही है और अगर युद्ध में ईरान को नुकसान होता है तो चीन को सबसे ज्यादा खामियाजा उठाना पड़ सकता है. अगर ईरान का क्रूड हब बर्बाद होता है तो चीन को अपनी ऊर्जा जरूरतों के लिए दूसरे देशों पर निर्भर रहना पड़ेगा. चीन गल्फ में अमेरिकी सहयोगियों के तेल पर आश्रित हो जाएगा.

अब क्या करेगा अमेरिका?

व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरोलिन लेविट ने एक प्रेस ब्रीफिंग में कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अगले दो सप्ताह में ईरान पर हमला करने का आदेश देंगे या नहीं, इस पर फैसला करेंगे. लेविट ने ट्रंप की ओर से एक बयान पढ़ा, जिसमें उन्होंने इस अटकलों का जवाब दिया कि क्या अमेरिका सीधे ईरान और इजरायल के बीच संघर्ष में शामिल होगा. लेविट ने कहा, 'अगर ईरान के साथ कोई राजनयिक समझौता होता है, तो ईरान को यूरेनियम संवर्धन पर सहमत होना होगा और उसे परमाणु हथियार बनाने की अनुमति नहीं होगी.'

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