ईरान करेंसी से 0000 हटाएगा, 10000 अब 1 रियाल होगा:महंगाई की वजह से कदम उठाया, अभी 1 डॉलर=11 लाख 50 हजार रियाल

2 weeks ago

तेहरानकुछ ही क्षण पहले

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ईरान करेंसी से 4 जीरो हटाने जा रहा है। आसान तरीके से समझे तो 10,000 रियाल सिर्फ 1 रियाल के बराबर होगा। इसे संसद से मंजूरी मिल गई है। यह कदम लंबे समय से 35% से अधिक की महंगाई के कारण लिया गया है, जिसने रियाल का मूल्य बहुत कम कर दिया है।

मौजूदा स्थिति के अनुसार, ईरान का रियाल फ्री मार्केट में डॉलर के मुकाबले लगभग 11,50,000 रियाल पर पहुंच चुका है। इस प्रस्ताव को कई वर्षों से तैयार किया जा रहा था। वहीं, 1 भारतीय रुपए 456 रियाल के बराबर है।

संसद की आर्थिक समिति के प्रमुख शम्सोल्दीन हुसैन ने सरकारी टीवी को बताया-

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मुद्रा का नाम रियाल ही रहेगा और यह बदलाव रातोंरात नहीं होगा। सेंट्रल बैंक को इसे लागू करने के लिए दो साल का समय मिलेगा। इसके बाद तीन साल का समय होगा, जिसमें पुरानी और नई दोनों मुद्राओं का उपयोग होगा।

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1 रियाल का सिक्का।

1 रियाल का सिक्का।

रियाल में बदलाव से असर

लेनदेन में आसानी: चार जीरो हटने से रियाल की इकाइयां छोटी हो जाएंगी। उदाहरण के लिए, अगर अभी कुछ खरीदने के लिए 10,00,000 रियाल चाहिए, तो सुधार के बाद वही चीज 100 रियाल में मिलेगी।मनोवैज्ञानिक प्रभाव: छोटी संख्याओं से लोगों को मुद्रा का मूल्य समझने में सुविधा होगी, जिससे उनकी खरीदारी और वित्तीय योजना में आसानी हो सकती है। हालांकि ये केवल साइकोलॉजिकल असर है।महंगाई पर कोई सीधा असर नहीं: यह सुधार केवल मुद्रा की इकाइयों को बदलता है, न कि उसका वास्तविक मूल्य। अगर महंगाई को नियंत्रित नहीं किया गया, तो रियाल का मूल्य कम होता रहेगा।बैंकिंग और डिजिटल पेमेंट में सुविधा: कंप्यूटर और मोबाइल ऐप में बड़ी संख्या के कारण होने वाली जटिलताएं कम होंगी।
ईरान में मंहगाई दग 35% से ज्यादा है।

ईरान में मंहगाई दग 35% से ज्यादा है।

ईरान का दुनिया के साथ व्यापार और संबंध तनावपूर्ण

1979 की इस्लामिक क्रांति के बाद से ही ईरान की अर्थव्यवस्था को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा है। महंगाई दर लगातार बढ़ रही है इसका मुख्य कारण रहा है आयात (इंपोर्ट) का ज्यादा होना और निर्यात (एक्सपोर्ट) का कम होना।

इससे रियाल की कीमत लगातार गिरती गई। 2023 में स्थिति इतनी खराब हुई कि महंगाई (मुद्रास्फीति) ने रियाल के अवमूल्यन (मूल्य में जानबूझकर की गई कमी) को भी पीछे छोड़ दिया।

अंतरराष्ट्रीय पाबंदियों ने विदेशी मुद्रा की कमी को और गहरा दिया। ईरान का दुनिया के साथ व्यापार और संबंध तनावपूर्ण रहे। राजनीतिक अलगाव ने अर्थव्यवस्था को और कमजोर किया, जिससे रियाल का मूल्य और गिरा।

अमेरिका ने लगा रखा है प्रतिबंध

अमेरिका ने एटमी प्रोग्रामों और सुरक्षा कारणों से ईरान पर कई प्रतिबंध लगा रखे हैं। ट्रम्प प्रशासन ने ईरान के खिलाफ 'मैक्सिमम प्रेशर' नीति अपनाई, जिसमें तेल निर्यात, बैंकिंग, और शिपिंग पर कड़े प्रतिबंध लगाए गए। साथ ही ईरानी तेल खरीदने वाली कंपनियों को भी दंडित किया।

अक्टूबर 2025 तक, यूएन सैंक्शन ने ईरान के हथियार कार्यक्रमों पर और प्रतिबंध बढ़ाए। इन पाबंदियों के कारण विदेशी बैंकिंग लेन-देन मुश्किल हो गया, डॉलर और यूरो जैसी विदेशी मुद्रा कम आई, आयात महंगा और सीमित हो गया। साथ ही निवेश और व्यापार प्रभावित हुए।

प्रतिबंधों से तेल निर्यात कम हुआ, मंहगाई बढ़ी

तेल निर्यात में कमी: ईरान का तेल निर्यात 1.4-1.7 मिलियन बैरल/दिन से घटकर 2025 में 1 मिलियन बैरल/दिन तक पहुंच गया। इससे राजस्व में $5-10 बिलियन की कमी आई।विदेशी मुद्रा की कमी: SWIFT से बहिष्कार और बैंकों पर प्रतिबंधों ने विदेशी मुद्रा भंडार को सीमित किया, जो 2024 में $26 बिलियन था और 2025 में $34 बिलियन अनुमानित है, लेकिन उपयोग में बाधा है।महंगाई: रियाल का मूल्य 2023-2025 में 14% और गिरा, महंगाई 90% तक पहुंची। चार जीरो हटाने का फैसला इसी का नतीजा है।आयात बाधित: दवाएं, चिकित्सा उपकरण, और मशीनरी आयात में कमी से मानवीय संकट और औद्योगिक उत्पादन प्रभावित हुआ।व्यापारिक रास्ते सीमित: ईरान अब मुख्य रूप से चीन (90% तेल निर्यात), तुर्की, यूएई, और इराक के साथ व्यापार करता है। यूरोप और अमेरिका से व्यापार लगभग शून्य है।

ईरान की इकोनॉमी तेल निर्यात पर निर्भर

2024 में ईरान का कुल निर्यात लगभग 22.18 बिलियन डॉलर था, जिसमें तेल और पैट्रोकैमिकल्स का बड़ा हिस्सा था, जबकि आयात 34.65 बिलियन डॉलर रहा, जिससे व्यापार घाटा 12.47 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया।

2025 में तेल निर्यात में कमी और प्रतिबंध के कारण यह घाटा और बढ़कर 15 बिलियन डॉलर तक बढ़ा है। मुख्य व्यापारिक साझेदारों में चीन (35% निर्यात), तुर्की, यूएई और इराक शामिल हैं, जहां चीन को 90% तेल निर्यात होता है।

ईरान ने पड़ोसी देशों और यूरेशियन इकोनॉमिक यूनियन के साथ व्यापार बढ़ाने की कोशिश की है, जैसे कि INSTC कॉरिडोर और चीन के साथ नए ट्रांजिट रूट्स। फिर भी, 2025 में जीडीपी वृद्धि केवल 0.3% रहने का अनुमान है। प्रतिबंध हटने या परमाणु समझौते की बहाली के बिना व्यापार और रियाल का मूल्य स्थिर करना मुश्किल रहेगा।

ईरान के पास दुनिया का चौथा सबसे बड़ा तेल भंडार है। देश की इकोनॉमी ऑयल पर काफी ज्यादा निर्भर करती है।

ईरान के पास दुनिया का चौथा सबसे बड़ा तेल भंडार है। देश की इकोनॉमी ऑयल पर काफी ज्यादा निर्भर करती है।

ईरान के अलावा तुर्की समेत 3 देश ऐसा कर चुके

वेनेजुएला- लगातार उच्च महंगाई और राजनीतिक-आर्थिक संकट के कारण वेनेजुएला ने कई बार अपनी करेंसी बोलिवर से जीरो हटाए। बावजूद इसके, महंगाई अभी भी बहुत ज्यादा है।तुर्की- 2005 में तुर्की ने पुराने करेंसी तुर्की लीरा से 6 शून्य हटा कर नया लीरा पेश किया। इसका मकसद लेन-देन आसान बनाना और मुद्रा की छवि सुधारना था।ब्राजील- 1990 के दशक में अत्यधिक मुद्रास्फीति के बाद ब्राजील ने करेंसी क्रूजिएरो से नए क्रूजिएरो में शून्य हटाए।जिम्बाब्वे- 2000 के दशक में चरम महंगाई के कारण जिम्बाब्वे ने कई बार करेंसी जिम्बाब्वे डॉलर में शून्य हटाया। उन्हें विदेशी मुद्रा का इस्तेमाल करना पड़ा।
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