एक्ट ईस्ट: पीएम मोदी की नीति जिससे इंडो-पैसिफिक में 'सुपरपावर' बना अपना देश!

3 days ago

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शुक्रवार को थाईलैंड से श्रीलंका रवाना हो गए. इन दो देशों यात्रा से एक बार फिर ‘एक्ट ईस्ट पॉलिसी’ चर्चा में है. यह वही नीति है जिसने भारत को दक्षिण-पूर्व एशिया से लेकर व्यापक इंडो-पैसिफिक क्षेत्र तक एक सशक्त रणनीतिक शक्ति के रूप में स्थापित किया है. इस नीति की जड़ें 1992 में शुरू की गई ‘लुक ईस्ट पॉलिसी’ में हैं, जिसका उद्देश्य दक्षिण-पूर्व एशिया के साथ आर्थिक संबंध मजबूत करना था. लेकिन 2014 में सत्ता में आने के बाद पीएम मोदी ने इसे नया आयाम देते हुए ‘एक्ट ईस्ट पॉलिसी’ का रूप दिया, जो केवल व्यापार नहीं, बल्कि कूटनीति, रक्षा, सांस्कृतिक और रणनीतिक सहयोग को भी केंद्र में रखती है.

राजनयिक रणनीति और बढ़ती उपस्थिति

प्रधानमंत्री मोदी ने इस नीति के तहत दक्षिण-पूर्व एशिया में भारत की उपस्थिति को मजबूत करने के लिए लगातार सक्रिय प्रयास किए हैं. उन्होंने सिंगापुर (2015, 2018, 2024), इंडोनेशिया (2018, 2022, 2023), म्यांमार, मलेशिया, थाईलैंड, लाओस और वियतनाम की यात्रा की. 2017 में वह 36 वर्षों बाद फिलीपींस का दौरा करने वाले पहले भारतीय प्रधानमंत्री बने. 2024 में ब्रुनेई की ऐतिहासिक यात्रा ने भारत की कूटनीतिक पहुंच का नया उदाहरण पेश किया.

2018 में आसियान-भारत संबंधों की 25वीं वर्षगांठ पर उन्होंने सभी आसियान देशों के नेताओं को गणतंत्र दिवस समारोह में आमंत्रित किया — यह एक अभूतपूर्व कदम था जिसने भारत की प्राथमिकताओं का संकेत दिया.

व्यापार और संपर्क में क्रांति

एक्ट ईस्ट पॉलिसी का आर्थिक असर भी स्पष्ट दिखाई देता है. 2016-17 में भारत-आसियान व्यापार 71 अरब डॉलर था जो 2024 तक बढ़कर 130 अरब डॉलर से अधिक हो गया. भारत अब आसियान का सातवां सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है, जबकि आसियान भारत का चौथा सबसे बड़ा साझेदार बन चुका है.

इस आर्थिक सहयोग को सुविधाजनक बनाने के लिए मोदी सरकार ने कई बुनियादी ढांचा परियोजनाएं शुरू कीं, जिनमें प्रमुख है भारत-म्यांमार-थाईलैंड त्रिपक्षीय राजमार्ग. इसके साथ ही हवाई संपर्क भी बढ़ाया गया, जिससे व्यापार, पर्यटन और लोगों के बीच संवाद को बढ़ावा मिला.

ได้มีการประชุมหารือที่มีประสิทธิผลกับนายกรัฐมนตรีแพทองธาร ชินวัตรที่กรุงเทพฯ เมื่อสักครู่ที่ผ่านมา ขอขอบคุณประชาชนและรัฐบาลไทยสำหรับการต้อนรับอย่างอบอุ่นและยังได้แสดงความเป็นน้ำหนึ่งใจเดียวกับประชาชนชาวไทยหลังจากเหตุแผ่นดินไหวเมื่อไม่กี่วันที่ผ่านมา “นโยบายปฏิบัติการตะวันออก”… pic.twitter.com/xNBuyVEn0x

— Narendra Modi (@narendramodi) April 3, 2025

सुरक्षा और सामरिक साझेदारी

एक्ट ईस्ट पॉलिसी का एक और बड़ा स्तंभ रहा है रक्षा और सुरक्षा सहयोग. भारत ने फिलीपींस को ब्रह्मोस सुपरसोनिक मिसाइल प्रणाली बेचकर इस क्षेत्र में रक्षा निर्यातक के रूप में अपनी स्थिति मजबूत की. वहीं वियतनाम के साथ सैन्य लॉजिस्टिक समझौतों पर हस्ताक्षर हुए, जिससे इंडो-पैसिफिक सुरक्षा ढांचे में भारत की भूमिका और मजबूत हुई.

2019 में शुरू की गई इंडो-पैसिफिक ओशियन इनिशिएटिव (IPoI) ने समुद्री सुरक्षा, स्थिरता और नौवहन की स्वतंत्रता सुनिश्चित करने में भारत की भूमिका को रेखांकित किया. 2023 में भारत और आसियान के बीच पहला संयुक्त समुद्री अभ्यास हुआ, जो दक्षिण चीन सागर जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में भारत की सक्रिय भूमिका को दर्शाता है.

संस्कृति और आध्यात्मिक जुड़ाव

पीएम मोदी की एक्ट ईस्ट नीति का एक महत्वपूर्ण पहलू सांस्कृतिक जुड़ाव भी रहा है. भारत ने म्यांमार, थाईलैंड, लाओस, वियतनाम और इंडोनेशिया के साथ अपनी साझा बौद्ध विरासत को सक्रिय रूप से पुनर्जीवित किया है, जिससे क्षेत्र में आध्यात्मिक और सांस्कृतिक संबंध और मजबूत हुए हैं.

नालंदा विश्वविद्यालय में 300 से अधिक आसियान छात्रों को छात्रवृत्ति दी गई है. भारत ने छात्र-शिक्षक आदान-प्रदान, बौद्ध अध्ययन, योग, आयुर्वेद और भारतीय भाषाओं के प्रचार-प्रसार में भी निवेश किया है.

भारत बना क्षेत्रीय नेतृत्व का केंद्र

पिछले 10 वर्षों में एक्ट ईस्ट पॉलिसी ने भारत को केवल एक ‘प्रतिस्पर्धी खिलाड़ी’ से एक ‘रणनीतिक मार्गदर्शक’ में बदल दिया है. यह नीति अब सिर्फ पूर्व की ओर देखने की नहीं, बल्कि वहां सक्रिय रूप से भागीदारी निभाने की है.

पीएम मोदी की रणनीतिक यात्राओं, क्षेत्रीय सम्मेलनों में सक्रिय भागीदारी और बहुपक्षीय सहयोग के प्रयासों ने भारत को इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में एक भरोसेमंद भागीदार और उभरते हुए नेतृत्वकर्ता के रूप में स्थापित किया है.

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