Last Updated:June 04, 2025, 10:22 IST
Jamui News: किउल नदी जमुई और लखीसराय जिलों की लाइफ लाइन कही जाती है. लेकिन, वर्तमान समय में किउल नदी धीरे-धीरे घास का मैदान बनता जा रहा है. स्थिति इतनी खराब हो गई है कि नदी में न तो पानी बचा है और न ही रेत, जिस...और पढ़ें
किउल नदी में खनन को लेकर ग्रामीणों ने चिंता जताई.
हाइलाइट्स
अवैध बालू खनन से किउल नदी विलुप्ति के कगार पर.ग्रामीणों को सता रही जल संकट और भविष्य की चिंता.प्रशासन की अनदेखी से स्थिति और बिगड़ने की आशंका.जमुई. बिहार का जमुई जिला कृषि प्रधान माना जाता है और यहां बड़ी आबादी इसपर निर्भर करती है. जमुई में कई सारी नदियां हैं, जिनसे किसान अपने खेतों की सिंचाई करते हैं. किउल नदी को यहां जीवनदायिनी कही जाती है जिससे लाखों हेक्टेयर जमीन की सिंचाई होती है. किउल नदी का उद्गम स्थल झारखंड के उत्तरी छोटा नागपुर की पहाड़ियां हैं, जहां से निकलकर यह नदी गंगा में जाकर मिलती है. इस दौरान यह जमुई के अलावा लखीसराय जिले से होकर भी गुजरती है. लेकिन अब यह नदी धीरे-धीरे विलुप्त होने के कगार पर पहुंच गई है.एक समय ऐसा हुआ करता था जब किउल नदी में सालों पर पानी रहता था. लेकिन, वर्तमान समय में किउल नदी धीरे-धीरे घास का मैदान बनता जा रहा है. स्थिति इतनी खराब हो गई है कि नदी में न तो पानी बचा है और न ही रेत. अब ग्रामीणों को नदी और अपने भविष्य की चिंता भी सताने लगी है.
दरअसल, कई जगहों पर बालू खनन किये जा रहे हैं, जिस कारण यह नदी अब अपना अस्तित्व खोने के कगार पर पहुंच गई है. जमुई जिले के खैरा प्रखंड क्षेत्र के भंडरा गांव के दर्जनों ग्रामीणों ने कहा कि नदी में अवैध तरीके से बालू का उठाव किये जा रहे हैं. प्रशासन के द्वारा नदी के कई अलग-अलग हिस्सों में बालू उठाव की अनुमति प्रदान की गई है, लेकिन जिन ठेकेदारों को बालू उठाव की अनुमति नहीं मिली है वे भी बालू उठाव का अवैध काम कर रहे हैं. ऐसे में नियम के अनुकूल खनन नहीं करने के कारण यह नदी अपना अस्तित्व खो रही है.
ग्रामीणों ने कहा-हो रहा अनियमित उठाव
ग्रामीण बताते हैं कि नदी में कई जगहों पर बड़े-बड़े गड्ढे बना दिए गए हैं. 20 से 30 फीट गहरे गढ़ों में बरसात के मौसम में पानी जमा हो जाता है, जिसमें डूब कर लोगों की मौत हो जाती है. अब तक जिले में कई दर्जन लोगों की जान इसी तरह के गड्ढे में डूबने से जा चुकी है. ग्रामीणों ने बताया कि अगर जल्दी ही इस पर प्रशासन की तरफ से कोई कदम नहीं उठाया गया तो स्थिति और खराब हो जाएगी.
जल संकट की भी सता रही है आशंका
ग्रामीणों ने यह भी बताया कि नदी के किनारे कई दर्जन गांव बसे हैं. जहां गर्मियों के मौसम में पेयजल का स्तर अब नीचे चला जाता है. पहले जब नदियों में पानी रहा करता था तब लोगों को पेयजल की दिक्कत नहीं होती थी. लेकिन, जैसे-जैसे नदियां सूखती जा रही हैं वैसे-वैसे पेयजल का स्तर इतना नीचे चला गया है कि चापाकल से पानी नहीं निकलता. लोगों को पीने का पानी काफी मुश्किल से मिलता है.
प्रशासन की अनदेखी से लोग परेशान
बता दें कि, किउल नदी में हर साल लोग लोक आस्था का महापर्व छठ मानते हैं. लेकिन नदी की स्थिति इतनी खराब हो गई है कि अब लोगों के समक्ष यह भी एक समस्या उत्पन्न हो गई है. वर्तमान समय में किउल नदी धीरे-धीरे घास का मैदान बनता जा रहा है.किउल नदी जमुई में सूखकर घास का मैदान बनती जा रही है, जिससे ग्रामीण चिंतित हैं. प्रशासन की अनदेखी से स्थिति और बिगड़ सकती है.
पत्रकारिता क्षेत्र में 22 वर्षों से कार्यरत. प्रिंट, इलेट्रॉनिक एवं डिजिटल मीडिया में महत्वपूर्ण दायित्वों का निर्वहन. नेटवर्क 18, ईटीवी, मौर्य टीवी, फोकस टीवी, न्यूज वर्ल्ड इंडिया, हमार टीवी, ब्लूक्राफ्ट डिजिट...और पढ़ें
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