Last Updated:March 12, 2025, 12:44 IST
Grave of Mughal Emperor Aurangzeb: मुगल बादशाह औरंगजेब की कब्र को हटाने की मांग बढ़ती जा रही है. लेकिन ये काम इतना आसान नहीं है, क्योंकि यह राष्ट्रीय धरोहर है और एएसआई इसका संरक्षण करता है. महाराष्ट्र के मुख्यम...और पढ़ें

औरंगजेब की कब्र को हटाने की मांग बढ़ी है, लेकिन यह राष्ट्रीय धरोहर है और एएसआई इसका संरक्षण करता है.औरंगजेब की कब्र को हटाने की मांग बढ़ी है, लेकिन यह राष्ट्रीय धरोहर है और एएसआई इसका संरक्षण करता है.
हाइलाइट्स
मुगल बादशाह औरंगजेब की कब्र को हटाने की मांग बढ़ीएएसआई करता है औरंगजेब की कब्र का संरक्षणकब्र हटाने के लिए कानूनी प्रक्रिया का पालन जरूरीGrave of Mughal Emperor Aurangzeb: हाल ही में रिलीज हुई छावा फिल्म के बाद मुगल शासक औरंगजेब को लेकर पूरे देश में बहस छिड़ गई है. इस फिल्म में औरंगजेब को बेहद क्रूर शासक दिखाया गया है. लेकिन महाराष्ट्र के सपा नेता अबू आजमी के इस बयान ने कि औरंगजेब तो महान शासक था, तूफान खड़ा हो गया. उनके इस बयान ने आग में घी का काम किया. हालांकि अबू आजमी ने तो अपना बयान वापस ले लिया, लेकिन अब औरंगजेब की कब्र को हटाने की मांग तेज होने लगी है. राज्य में कई राजनीतिक और धार्मिक संगठन इस कब्र को हटाने की मांग कर रहे हैं. औरंगजेब की जब मौत हुई तो वो महाराष्ट्र में था. मुगल बादशाह को औरंगाबाद से 25 किलोमीटर दूर खुल्दाबाद में दफनाया गया. यहीं पर मुगल बादशाह औरंगजेब की कब्र मौजूद है.
इस विवाद में आग में घी डालने का काम किया एक आरटीआई रिपोर्ट ने. हिंदू जनजागृति समिति द्वारा आरटीआई के जरिए जानकारी में सामने आया था कि केंद्रीय पुरातत्व विभाग ने 2011 से 2023 तक औरंगजेब की कब्र के रखरखाव पर लगभग 6.5 लाख रुपये खर्च किए हैं. समिति ने सवाल उठाया था कि इतनी बड़ी राशि कब्र के रखरखाव पर क्यों खर्च की गई, जबकि सिंधु दुर्ग किले में स्थित राज राजेश्वर मंदिर के रखरखाव के लिए केवल 6,000 रुपये सालाना दिए जाते हैं. हिंदू जनजागृति समिति ने आरोप लगाया कि अन्य धार्मिक स्थलों की देखभाल को इतनी प्राथमिकता नहीं दी जा रही.
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क्या कहा सीएम फडणवीस ने
हिंदू जनजागृति समिति ने राज राजेश्वर मंदिर के रखरखाव पर खर्च होने वाली राशि को लेकर इसे भेदभावपूर्ण बताया और सरकार से इस मुद्दे पर स्पष्टीकरण की मांग की. इसके बाद से ये मांग हो रही है कि औरंगजेब की कब्र को वहां से हटाया जाना चाहिए. इस मामले में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस का कहना है कि औरंगजेब की कब्र को भारतीय पुरातत्व विभाग से संरक्षण मिला है. यह काम एक कानूनी प्रक्रिया के तहत हुआ है, इसलिए उसे हटाने के लिए या फिर बदलाव करने के लिए कानून का पालन करना होगा. उन्होंने कहा कि इस विषय में जल्दबाजी में कोई निर्णय नहीं लिया जा सकता है.
अब है राष्ट्रीय धरोहर
लेकिन देश में एक वर्ग ऐसा भी है जो औरंगजेब की कब्र को हटाये जाने का विरोध कर रहा है. हालांकि इस कब्र को हटाया जाना इतना आसान नहीं है. क्योंकि मुगल बादशाह की कब्र होने के नाते ये अब एक राष्ट्रीय धरोहर है. ऐसे में ये जानना जरूरी है कि ऐतिहासिक धरोहरों के लिए देश में क्या कानून है. इसकी देखभाल कौन करता है और क्या सरकार चाहे तो इनको हटा या ढहा सकती है? जब देश आजाद हुआ तो उस समय 2826 ऐतिहासिक धरोहरों को संरक्षण की श्रेणी में रखा गया था. 2014 में ये संख्या बढ़कर 3650 हो गई थी. भारत में इन ऐतिहासिक धरोहरों के संरक्षण का काम भारतीय पुरातत्व विभाग (ASI) करता है.
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एएसआई करता है संरक्षण
संविधान के अनुच्छेद 42 और 51 A(एफ) में बताया गया है कि देश की धरोहरों का संरक्षण करना राष्ट्रीय जिम्मेदारी है. सभी धरोहरों के संरक्षण की जिम्मेदारी एएसआई के पास है. प्राचीन स्मारक तथा पुरातत्व स्थल और अवशेष अधिनियम 1958 की धारा 4 (1) के तहत केंद्र सरकार को ये अधिकार प्राप्त है कि वो किसी भी ऐतिहासिक इमारत या अन्य धरोहर को राष्ट्रीय महत्व का घोषित कर दे. संविधान के अनुसार संसद द्वारा बनाए कानून के तरह ये राज्य सरकार की जिम्मेदारी होगी कि वो राष्ट्रीय ऐतिहासिक धरोहर, इमारतों और आलेखों का संरक्षण और उसकी सुरक्षा करे. अगर उसे नुकसान पहुंचाने और तोड़फोड़ की कोशिश की जा रही हो तो उससे संरक्षण दे. अगर कोई उसे हटाने या उसमें बदलाव की कोशिश करता है तो ऐसे मामले में भी संरक्षण प्रदान करे. कुल मिलाकर ऐतिहासिक धरोहरों का संरक्षण और नियमन सरकार की जिम्मेदारी है.
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बेहद सादा है कब्र
कहा जाता है कि औरंगजेब चाहते थे कि उनका मकबरा बिल्कुल साधारण हो, उसे बनाने में अधिक पैसा न खर्च किया जाए. उन्होंने खुद कमाए पैसों (कुरान लिखने और टोपी सिलने से) से अपनी कब्र का खर्च उठाने को कहा था. पहले उनकी कब्र को कच्ची मिट्टी से तैयार किया गया था. लेकिन बाद में लॉर्ड कर्जन ने उस पर संगमरमर मढ़वा दिया था. इस मकबरे की वास्तुकला इस्लामिक शैली की है. यह मकबरा बेहद सादा और सफेद रंग का है. औरंगजेब के मकबरे के पास ही उनके बेटे आजम शाह का मकबरा है. शेख जैनुद्दीन दरगाह भी इसके करीब ही स्थित है. मकबरे की दीवारों पर औरंगजेब के बारे में कुछ जानकारी दी गई है. इस पर औरंगजेब का पूरा नाम अब्दुल मुजफ्फर मुहीउद्दीन मुहम्मद औरंगजेब लिखा हुआ है.
Location :
New Delhi,Delhi
First Published :
March 12, 2025, 12:32 IST