महाभारत में पांडवों की पड़दादी सत्यवती के जन्म की कहानी भी विचित्र ही है. असल में महाभारत की कहानी ही उनसे शुरू होती है. नहीं तो महाभारत में सबकुछ अलग होता. उनका जन्म नदी में गिरे वीर्य से हुआ. आप कहेंगे कि क्या ऐसा भी होता है, जो जवाब है कि हां, महाभारत के दौर में जन्म केवल गर्भ से नहीं होता था. दूसरी विचित्र बात अपूर्व सुंदर सत्यवती के साथ ये भी रही कि उनके शरीर से मछली की गंध आती थी, फिर उनके साथ ऐसा क्या हुआ कि उनके शरीर से मछली की गंध खत्म ही नहीं हुई बल्कि मोहित करने वाली गंध आने लगी, जो दूर दूर तक फैली रहती थी.
ये सत्यवती वही थीं, जिन पर राजा शांतनु रीझ गए. तब भीष्म ने अपने पिता की शादी उनसे कराई. तभी भीष्म को ये भीष्म प्रतिज्ञा करनी पड़ी कि वो जीवन में कभी विवाह नहीं करेंगे. सत्यवती अपूर्व रूपवती थीं. उनके जन्म की कहानी बहुत अजीबगरीब है. ऐसी कि विश्वास नहीं होगा.
महाभारत की कहानी की शुरुआत जिस स्त्री से होती है, वो सत्यवती हैं, जिन्हें देखकर हस्तिनापुर के राजा शांतनु मोहित हो जाते हैं. बाद में सशर्त उनकी सत्यवती से शादी होती है, जिससे उनके दो बेटे होते हैं. ये होते हैं चित्रांगद और विचित्रवीर्य. फिर विचित्रवीर्य की पत्नियों से पांडु और धृतराष्ट्र का जन्म होता है. महाभारत में ऋषि व्यास इस कथा को कहते हैं.
उस समय चेदि नाम का एक देश होता था, जिसके पुरु वंश के राजा थे उपरिचर वसु. उपरिचर इंद्र के दोस्त थे. उनके विमान से ही वह आकाश का गमन किया करते थे, इसी वजह से उनका नाम उपरिचर पड़ गया.
उपरिचर की राजधानी के करीब शुक्तिमत नाम की नदी थी. एक दिन राजा शिकार खेलने गया. तभी वह अपनी रूपवती पत्नी गिरिका का स्मरण करने लगा. इससे वह कामासक्त हुआ. कथा कहती है, इससे उसका वीर्य स्खलित हो गया, उसने इसे एक बाज पक्षी को दिया और कहा कि इसे उसकी पत्नी तक पहुंचा दिया जाए.
वीर्य से नदी की मछली गर्भवती हो गई
जब बाज वहां से इसे लेकर उड़ा तो रास्ते में उस पर आक्रमण हो गया. नतीजतन ये वीर्य नदी में गिर गया. उस समय नदी में एक अप्सरा रहती थी, जिसका नाम अद्रिका था, वह ब्रह्मशाप के चलते मछली में बदल गई थी. नदी में ही अपना समय काट रही थी. उसने वह वीर्य ग्रहण कर लिया. जिससे वह गर्भवती हो गई.
जब देवव्रत को ये मालूम हुआ कि उसके पिता सत्यवती से विवाह करना चाहते हैं लेकिन इसमें अड़चन है तो वह खुद मछुआरे के पास पहुंचे और पिता के लिए उनकी बेटी का हाथ ही नहीं मांगा बल्कि भीष्म प्रतिज्ञा भी कर डाली. (by raja ravi verma)
मछली के गर्भ से निकले एक लड़का और एक लड़की
दसवें महिने एक मछुवारे ने जाल फेंका. ये मोटी सी मछली उसके जाल में फंस गई. मछेरे को उस मछली के पेट से एक नवजात लड़का और लड़की मिले, जिसको वह राजा के पास ले गया. तभी अप्सरा शाप से मुक्त होकर आकाशमार्ग में चली गई. राजा उपरिचर ने मछुआरे से कहा, ये कन्या अब तुम्हारी ही रहेगी. लड़के को उसने अपने बेटे की अपना लिया, जो बाद मतस्य नाम का धार्मिक राजा हुआ.
उनके शरीर से तेज मछली की गंध आती थी
अब आप सोच रहे होंगे कि इस लड़की का क्या हुआ. ये लड़की जैसे जैसे बड़ी होती गई, वैसे वैसे बहुत खूबसूरत होती गई. लेकिन चूंकि वह मछुआरों के साथ उन्हीं की बस्ती में रहती थी लिहाजा नाम मतस्यगंधा पड़ा. वही सत्यवती थी. उसके देह मछली जैसी गंध निकलती थी, क्योंकि उनका जन्म मछली के पेट से हुआ था. उसका एक नाम योजनगंधा भी था. बाद में उनके शरीर से मोहक गंध आने लगी, इसके पीछे भी एक कहानी है.
इस तरह राजा शांतनु से सत्यवती की शादी हुई
एक दिन जब राजा शांतनु यमुना तट के करीब वन में थे तो उन्हें एक मोहक सुंगध का अहसास हुआ. जब उन्होंने सुगंध का पीछा किया तो ये एक रूपवती कन्या के पास जाकर खत्म हुई. वह सत्यवती थीं. राजा के पूछने पर उन्होंने अपना परिचय देते हुए कहा, मैं धीवर जाति की कन्या हूं. पिता के आदेशानुसार नाव चलाती हूं. शांतनु इस कन्या पर इतना मोहित हो गए कि उसका हाथ मांगने उसके पिता दासराज के पास जा पहुंचे.
तब दासराज ने शर्त रखी कि अगर आप मेरी बेटी के गर्म से पैदा पुत्र को ही अपनी राजा की गद्दी सौपेंगे तो मैं इसका विवाह आपके साथ कर सकता हूं. शांतनु वचन नहीं दे पाए और राजधानी लौट आए. हालांकि इसके बाद वह उदास रहने लगे. जब उनके पुत्र देवव्रत को इसका पता लगा तो वह खुद मछुआरे के घर गए और वचन दिया कि ना तो मैं आजीवन विवाह करूंगा तो इस वजह से मेरा कोई पुत्र भी नहीं होगा जो सत्यवती के बेटों की राह में आएगा.
और फिर हुई शांतुन की भीष्म प्रतीज्ञा
देवव्रत की इसी प्रतिज्ञा पर उन्हें भीष्म पितामह कहा जाने लगा. अब सत्यवती का विवाह राजा शांतनु से हुआ. फिर सत्यवती के दो बेटे चित्रागंद और विचित्रवीर्य हुए. चित्रागंद की युद्ध में मृत्यु हो गई तो विचित्रवीर्य भी कुछ सालों बाद बीमारी से चल बसे. उनकी दो रानियां थीं. अंबिका और अंबालिका. दोनों बहनें थीं. दोनों बहनों का नियोग महर्षि व्यास से कराया गया, जिससे फिर पांडु और धृतराष्ट्र ने बेटों के रूप में जन्म लिया.
क्या है नियोग और इसको महर्षि व्यास ने क्यों किया
आप ये सोच रहे होंगे कि ये नियोग क्या होता है और इस नियोग को महर्ष व्यास से ही क्यों कराया गया. प्राचीन समय नियोग मनुस्मृति में पति द्वारा संतान उत्पन्न न होने पर या पति की अकाल मृत्यु की अवस्था में ऐसा उपाय था, जिसके अनुसार स्त्री अपने देवर अथवा सम्गोत्री से गर्भाधान करा सकती थी.’ अब ये सत्यवती ने महर्षि व्यास से क्यों कराया, ये भी जानते हैं.
विचित्रवीर्य के बगैर किसी संतान के मृत्यु हो जाने पर सत्यवती ने जब अंबिका और अंबालिका का नियोग कराने की बात की तो उन्होंने व्यास को बुलाया. उसी समय उन्होंने भीष्म को बताया कि व्यास भी उनके बेटे हैं. इसके बारे में भी जानिए.
पहले एक ऋषि से भी पैदा हुआ बेटा
सत्यवती के शरीर से पहले मछली जैसी गंध आती थी. मत्स्यगंधा नाव से लोगों को यमुना पार कराती थी. एक दिन ऋषि पाराशर वहां पहुंचे. ऋषि को यमुना पार जाना था. वे मत्स्यगंधा की नाव में बैठ गए. इसी दौरान उन्होंने सत्यवती से कहा कि वह उसके जन्म से परिचित हैं. उससे एक पुत्र की कामना करते हैं. सत्यवती हिचकिचाईं. फिर ऋषि पाराशर ने कहा कि वह उनके साथ समागम के बाद भी अक्षत यौवना बनी रहेंगी और उनके शरीर की मछली की गंध खत्म हो जाएगी. उसकी जगह मोहक गंध ले लेगी. तब सत्यवती ने स्वीकृति दे दी.
लेकिन अड़चन और भी थी. नाव पर ऋषि पाराशर और सत्यवती को बहुत से लोग देख रहे थे. उसमें ऋषि मुनि भी थे. तब सकुचाती हुई सत्यवती ने कहा कि वह ऐसा कैसे करें, सभी लोग तो देख रहे हैं. तब ऋषि ने कोई मंत्र पढ़ा और नाव के चारों ओर कुहासे की ऐसी घनी चादर बन गई कि कोई उन्हें नहीं देख सकता था. ऋषि पाराशर के साथ समागम से उन्हें व्यास का जन्म हुआ. इसके बाद वह फिर कुंवारी कन्या बन गईं.
जन्म लेते ही वह बड़ा हो गया. वह द्वैपायन नाम द्वीप पर तप करने चला गया. द्वीप पर तप करने और इनका रंग काला होने की वजह से वे कृष्णद्वैपायन के नाम से प्रसिद्ध हुए. इन्होंने ही वेदों का संपादन किया और महाभारत ग्रंथ की रचना की.
और यूं ये वंश महाभारत की लड़ाई तक जा पहुंचा
पांडु के पांच बेटे थे, जो पांडव कहलाए और धृतराष्ट्र के सौ पुत्र हुए जो कौरव कहलाए लेकिन पांडव और कौरवों में कभी नहीं बनी, बाद में इन दोनों के बीच महाभारत का युद्ध हुआ. तो अब समझ गए होंगे कि किस तरह सत्यवती के जन्म के साथ महाभारत की कहानी की शुरुआत होती है. सत्यवती की कहानी भी गजब की कहानी है कि कैसे एक राजा के वीर्य से उनका जन्म हुआ. फिर वह मछुआरिन बन गईं. फिर रानी बनीं.