Last Updated:May 08, 2025, 10:39 IST
Colonel Sofiya Qureshi News: कर्नल सोफिया कुरैशी का नाम बीते 24 घंटे से हर भारतीय की जुबान पर है पर सुप्रीम कोर्ट साल 2020 में दिए एक फैसले में उनके नाम का जिक्र कर चुका है. सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले में सेना म...और पढ़ें

सुप्रीम कोर्ट ने अपने किस फैसले में सोफिया कुरैशी का जिक्र किया था.
हाइलाइट्स
कुरैशी पहले भी चर्चा में आई थीं जब SC ने एक फैसले में उनके नाम का जिक्र था.कर्नल सोफिया कुरैशी भारतीय सेना के सिग्नल कोर की अधिकारी हैंकर्नल सोफिया कुरैशी ने बायोकेमिस्ट्री में पोस्टग्रेजुएट डिग्री हासिल की हैनई दिल्ली. पहलगाम में हुए नरसंहार के जवाब में भारत ने पाकिस्तान के 9 आतंकी ठिकानों पर एयरस्ट्राइक की है. इस ऑपरेशन को ‘ऑपरेशन सिंदूर’ नाम दिया गया है. इस ऑपरेशन की पूरी कहानी बताने के लिए सरकार ने 2 महिला अधिकारियों को चुना है – भारतीय सेना की कर्नल सोफिया कुरैशी और भारतीय वायु सेना की विंग कमांडर व्योमिका सिंह. कर्नल सोफिया कुरैशी पहले भी चर्चा में आई थीं जब सुप्रीम कोर्ट ने एक फैसले में उनके नाम का जिक्र किया था.
कर्नल सोफिया कुरैशी भारतीय सेना के सिग्नल कोर की अधिकारी हैं और उन 11 महिला अधिकारियों में से एक हैं जिनकी उपलब्धियों को सुप्रीम कोर्ट ने 2020 के ऐतिहासिक फैसले में सेना के शीर्ष पदों में लैंगिक समानता पर जिक्र किया था. इस फैसले ने महिलाओं को कमांड नियुक्तियों देने के खिलाफ सरकार के तर्कों को खारिज कर दिया था और 11 महिला अधिकारियों की उपलब्धियों को स्वीकार किया था. सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि भारतीय सेना की महिला अधिकारियों ने सेना को गौरव दिलाया है.
कर्नल सोफिया कुरैशी की पढ़ाई
कर्नल सोफिया कुरैशी ने बायोकेमिस्ट्री में पोस्टग्रेजुएट डिग्री हासिल की है और वह एक सैन्य परंपरा वाले परिवार से आती हैं. उनके दादा सेना में सेवा करते थे और उनके पिता सेना में धार्मिक शिक्षक थे. कुरैशी ने 1999 में ऑफिसर्स ट्रेनिंग अकादमी के जरिए सेना में शामिल हुईं और उनकी शादी मेकनाइज्ड इन्फैंट्री के मेजर ताजुद्दीन कुरैशी से हुई है. कुरैशी की मां ने कहा कि अब सोफिया का बेटा भी वायु सेना में शामिल होने की तैयारी कर रहा है.
लैंगिक भेदभाव पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला
साल 2020 के ऐतिहासिक फैसले में भारत के सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय सेना में लैंगिक भेदभाव के बारे में जिक्र किया और महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन देने का अधिकार प्रदान किया, जो पहले उन्हें नहीं दिया जाता था. कोर्ट ने फैसला सुनाया था कि महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन देने से इनकार करना संविधान के अनुच्छेद 14 के तहत उनके समानता के अधिकार का उल्लंघन करता है. इसका मतलब है कि महिला अधिकारी अब पुरुष अधिकारियों की तरह ही सेवानिवृत्ति तक सेवा कर सकती हैं और उन्हें समान लाभ और अवसर प्राप्त होंगे.
सुप्रीम कोर्ट के फैसले की महत्वपूर्ण बातें
1- स्थायी कमीशन का अनुदान: कोर्ट ने सरकार को निर्देश दिया कि महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन दिया जाए, जिससे वे सेवानिवृत्ति तक सेवा कर सकें.
2- अनुच्छेद 14 के तहत समानता: फैसला समानता के सिद्धांत पर आधारित था, जिसमें जोर दिया गया कि संविधान लिंग के आधार पर भेदभाव को प्रतिबंधित करता है.
3- महिला अधिकारियों के अधिकार: महिला अधिकारियों को अब पुरुष अधिकारियों के समान अधिकार और अवसर प्राप्त होंगे, जिसमें प्रमोशन, नियुक्तियां और पेंशन लाभ शामिल हैं.
4- पूर्व नीति को पलटा: कोर्ट ने महिला अधिकारियों को शॉर्ट सर्विस कमीशन भूमिकाओं तक सीमित करने की नीति को पलट दिया, जिसे भेदभावपूर्ण माना गया था. यह फैसला भारतीय सशस्त्र बलों में लैंगिक समानता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जाता है, जो महिलाओं की समान भूमिका और क्षमताओं को मान्यता देता है.
भारत के सुप्रीम कोर्ट ने 2020 में ‘द सेक्रेटरी, मिनिस्ट्री ऑफ डिफेंस बनाम बबिता पुनिया और अन्य’ मामले में लैंगिक समानता पर एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया था. इस फैसले ने भारतीय सेना में लैंगिक भेदभाव के मुद्दे को संबोधित किया और महिला अधिकारियों को उनके पुरुष समकक्षों के समान स्थायी कमीशन (PC) प्रदान किया.
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