Last Updated:May 02, 2025, 21:45 IST
Supreme Court Judgement On Promotion: सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम फैसले में कहा कि कर्मचारी को नौकरी में प्रमोशन का अधिकार नहीं है. प्रमोशन के लिए उनके नाम पर विचार किया जाए, इसका अधिकार जरूर है.

पदोन्नति कर्मचारी का अधिकार नहीं: सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो)
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि किसी भी कर्मचारी को प्रमोशन का अधिकार तो नहीं है, लेकिन उसे प्रमोशन के लिए विचार किए जाने का हक जरूर है. यानी कंपनी या विभाग किसी कर्मचारी को सीधे तौर पर अनदेखा नहीं कर सकता, जब तक कि उसके खिलाफ कोई स्पष्ट अयोग्यता न हो. यह टिप्पणी सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु के एक कांस्टेबल की याचिका पर सुनवाई करते हुए दी. यह कांस्टेबल 2002 में नियुक्त हुआ था और 2019 में जब सब-इंस्पेक्टर पद के लिए इन-सर्विस प्रमोशन की प्रक्रिया चली, तो उसे प्रमोशन के लिए लायक नहीं माना गया. उसकी आपत्ति थी कि उसके खिलाफ विभागीय कार्रवाई और एक पुराने क्रिमिनल केस के आधार पर उसे प्रमोशन से बाहर कर दिया गया, जबकि दोनों मामलों में उसे या तो बरी कर दिया गया था या सजा को रद्द कर दिया गया था.
‘प्रमोशन पर विचार होना चाहिए’
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह पूरी तरह गलत है. कांस्टेबल को 2005 में एक साल के लिए वेतन वृद्धि रोकने की सजा दी गई थी, लेकिन यह सजा 2009 में ही खत्म हो गई थी. फिर 2019 में उसे प्रमोशन लायक नहीं मानना, न सिर्फ नाइंसाफी है बल्कि नियमों के भी खिलाफ है. कोर्ट ने साफ कहा कि ऐसा करके विभाग ने उसके ‘विचार के अधिकार’ का उल्लंघन किया है.
कोर्ट ने अपने फैसले में यह भी कहा कि अब विभाग को कांस्टेबल की योग्यता की दोबारा समीक्षा करनी होगी. अगर वह योग्य पाया जाता है, तो उसे 2019 से प्रमोट किया जाएगा और उस पद से जुड़े सभी फायदे भी उसे मिलेंगे. क्योंकि गलती विभाग की थी, कर्मचारी की नहीं.
मद्रास हाईकोर्ट ने पहले इस याचिका को खारिज कर दिया था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले को पलटते हुए कर्मचारी के हक में फैसला सुनाया.
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New Delhi,Delhi