जिंदगी छोड़ रही थी साथ, मन में था बदले का जज्बा, कमांडर ने किया एक वादा, फिर...

13 hours ago

Last Updated:May 03, 2025, 11:23 IST

India Pakistan Tension: सीआरपीएफ के एएसआई निरंजन सिंह का शरीर वेंटिलेटर पर जिंदगी की जंग लड़ रहा था, लेकिन मन अभी भी आतंकियों को उनके अंजाम तक पहुंचाने के लिए संघर्ष कर रहा था. पढि़ए सीआरपीएस के इस बहादुर और को...और पढ़ें

जिंदगी छोड़ रही थी साथ, मन में था बदले का जज्बा, कमांडर ने किया एक वादा, फिर...

आखिरकार भारतीय सेना ने ठिकाने लगा ही दिए आतंकी. (फाइल फोटो)

हाइलाइट्स

आतंकियों से मुठभेड़ में गंभीर रूप से जख्‍मी हुए थे एएसआई निरंजन.जम्‍मू और कश्‍मीर के मैसुमा (श्रीनगर) में चल रही थी यह मुठभेड़.भारतीय सेना ने दोनों आतंकियों को अंजाम तक पहुंचा लिया बदला.

India Pakistan Conflict: उस दिन जम्‍मू और कश्‍मीर के मैसुमा इलाके में हुई मुठभेड़ में कई गोलियां एक-एक कर रिजर्व पुलिस फोर्स (सीआरपीएफ) के असिस्‍टेंट सब इंस्‍पेक्‍टर निरंजन सिंह के शरीर में आ धंसी थीं. गोलियां लगते ही शरीर से खून फव्वारे की तरफ बाहर निकल पड़ा था. कुछ सेकेंडों में शरीर पूरी तरह से खुद के खून से नहा चुका था. एएसआई निरंजन का शरीर भी अब साथ छोड़ने की जिद में था, लेकिन इच्‍छा शक्ति अभी भी इतनी मजबूत थी कि वह मुठभेड़ स्‍थल को छोड़ने के लिए तैयार नहीं था.

मन में बस एक ही जिद थी कि जब तक निर्दोषों का खून बहाने वाले आतंकियों को उनके अंजाम तक नहीं पहुंचा देता, तब तक वह वहां से नहीं हिलेगा. धीरे-धीरे शरीर की शक्ति जाती रही और एएसआई जमीन पर आ गिरे. आंखें धीरे-धीरे खुद ही बंद होने लगी. लेकिन हाथ के पंजे अभी भी एके-57 और उंगलियां ट्रिगर पर कसी हुई थी. अपनी साथी की यह हालत देखकर सीआईएसएफ के दूसरे साथी सक्रिय हुए और खून से लथपथ एएसआई निरंजन, उनके एक दूसरे साथी को गोलीबारी के बीच मौके से निकाल कर मिलिट्री हॉस्पिटल तक पहुंचा दिया.

वहीं अब तक जिस किसी को एएसआई निरंजन की बहादुरी के बारे में पता चला, वह उनकी कर्यत्‍य परायणता और इच्‍छा शक्ति का कायल हो गया. एएसआई निरंजन की बहादुरी के कायल होने वालों में भारतीय सेना की चिनार कोर के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल डीपी पांडेय भी शामिल थे. एएसआई निरंजन की बहादुरी की कहानी सुनने के बाद वह खुद को रोक नहीं सके और उनसे मिलने के लिए मिलिट्री हॉस्टिपल पहुंच गए. मिलिट्री हॉस्पिटल में एएसआई निरंजन अभी अपनी जिंदगी के लिए नई जंग लड़ रहे थे.

मुंह में वेंटिलेटर मास्‍क लगा था. पूरा शरीर बैंडेज से बंधा हुआ था. अब अपनी बात सामने तक पहुंचाने के लिए एएसआई निरंजन के पास दो ही विकल्‍प थे, पहला- चेहरे के भाव और दूसरा उंगलियों से इशारे. लेफ्टिनेंट जनरल डीपी पांडेय जैसे ही वार्ड में दाखिल हुए, पास खड़े साथी ने एएसआई निरंजन को बताया गया- निरंजन! देखो आपसे मिलने के लिए कौन आया है.. आपसे मिलने कोर कमांडर आए हैं. कोर कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल डीपी पाडेंय आगे बढ़कर सिरहाने पहुंचे और एएसआई को आवाज देते हुए बोले- निरंजन… कोर कमांडर को सामने देख एएसआई निरंजन ने इशारे से कुछ कहना चाहा.

कोर कमांडर ने इशारे से शांत रहने को कहा और बोले- हौसला रखना है. निरंजन में फिर इशारे और चेहरे के भाव से कहा- मार दो उनको. जवाब में कोर कमांडर बोले- पक्‍का मारेंगे. एएसआई निरजंन के भाव यहां पर रुके नहीं, उन्‍होंने इशारे से फिर बोला- उन आतंकियों को मैं मारुंगा. जवाब में कोर कमांडर बोले- आप ही मारना… गुस्‍सा है बहुत… गुस्‍सा अच्‍छा है… गुस्‍सा है तो आप जल्‍दी रिकवर भी हो जाआगे… तैयार होकर आपको ही मारना है उनको. इसके बाद कोर कमांडर ने उनको भरोसा दिया और वहां से चले गए. एएसआई निरंजर और कोर कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल डीपी पांडेय की मुलाकात भले ही खत्‍म हो गई हो, लेकिन यहां से भारतीय सेना और सीआरपीएफ के जांबाज एक नए मिशन पर निकल गए.

मिशन था किसी भी कीमत में एएसआई निरंजन को इस हाल में पहुंचाने वाले आतंकियों को उनके अंजाम तक पहुंचाना. कुछ दिनों के बाद कोर कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल डीपी पांडेय एक बार फिर एएसआई निरंजन से मिलने आए. अब उनकी हालत में काफी सुधार हो चुका था. कोर कमांडर ने एएसआई निरंजन को कहा- उस दिन आपने बोला था ना उनको मारना है… मार दिया पता है आपको… कल मार दिया दोनों को… यह सुनने ही एएसआई निरंजन सिंह के चेहरे पर गर्व और सुकून के भाव आ गए.

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